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Best स्वप्नवासवदत्ता Shayari, Status, Quotes, Stories

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RAVINANDAN Tiwari

#स्वप्नवासवदत्ता Harlal Mahato Antima Jain Pushpvritiya

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37
हर्षोत्फुल्ल हुई अवंतिका तब भाँपकर सन्निकट पुनर्मिलन की बेला,
प्रतिवेदन में पद्मावती जब बोली,सखी प्रत्यागत को आये बंधु अकेला।
पलभर को विष्मित भयी श्रवणकर अमात्य-राजन संवाद,
छनभर में हीं छँटा अँधेरा रहस्योद्घाटन पर स्वतः निर्विवाद।
क्षमायाचना करते थे एक-दूजे से यद्यपि सारे
निरपराध,
पूज्यनीया को सखी बोली कहती थी पद्मावती, मेरा अक्षम्य अपराध।
निःशेष हूई विरह वेदना बहकर नयनों से नीर,
तत्पश्चात चले सर्व सज्जन वत्स राज्य को
धर गंगा के तीर।
सादर आमंत्रित सर्वजन यहाँ करने को सुधार,
जोड़-तोड़ सलाह सहीत सर्व विचार स्वीकार।
🌸🙏🌸

©RAVINANDAN Tiwari #स्वप्नवासवदत्ता  Harlal Mahato Antima Jain  Pushpvritiya

RAVINANDAN Tiwari

36
रंगमंडप आये यौगंधरायण करते राजन का जयघोष,
परिचित ध्वनि परंतु अपरिचित थे
उनके आवरण भेष।
पूछा राजन ने,हे ब्राह्मण! क्याआपकी बहन यहाँ धरोहर? 
कहा अमात्य नें और क्या? चढ़ा
भृकुटी बाँक तेवर।
वापस करदें इन्हें सादर पूर्वक शिघ्र हीं इनकी बहना,
दरस करके धाई ने कही,निश्चित ये
वासवदत्ता कुलीना।
रहस्योद्घाटन में हीं था अब सर्वजन का हित निहित,
राजन की जय, आर्यपुत्र की जय बोल दोनों 
भये मूलरूप प्रकटित ।

©RAVINANDAN Tiwari #स्वप्नवासवदत्ता

RAVINANDAN Tiwari

३५
आशा-निराशा के भँवर में फँसा उदयन,
अन्य होंगी वो, धरोहर ब्रहमण की बहन।
एक हीं रूप के होते अनेक जन धरा पर,
सृजनकर्ता को भी भाते हैं स्वरूपा सुंदर। 
तत्पश्चात प्रतिहारी ने लाया यह संदेश,
द्वार आया एक आगंतुक ब्राह्मण भेष। 
कहे उज्जैनी, लेने आया अपनी थाती विशेष,
गृहोचित शिष्टाचार संग,करो शिघ्र उन्हें पेश।

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RAVINANDAN Tiwari

34
तत्क्षण भाँप पद्मावती के उद्विग्न भाव,
कहा देवी! विस्मय का कारण बताओ!
आर्य! यही अंतःपुर चित्र सदिश एक नारी,
संरक्षण में मेरे छोड़ गया है एक ब्रह्मचारी।
तपोभूमि प्रवास में जब थी मैं कुंवारी 
पति का परदेश बसना,कहा लाचारी।
ब्राहणी भेष व्रती वो प्रोषितभर्तृका,
संभवतः हों स्वामी, आर्या आवंतिका।
यथाशीघ्र उन आदरणीया को यहाँ बुलाओ,
आश्वस्त करता तेरा ये विशिष्ट श्रृंगार बनाव।

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RAVINANDAN Tiwari

33
उपमाता के उक्त प्रवदन उपरांत उदयन भया हर्षित,
परंतु अनुदृष्टि कर चित्रफलक, पद्मावती
भयी विचलित।
सौम्यता से बोली,चित्रस्थ गुरूजनों को
करती प्रणाम,
स्वगतः चित्रांकित आर्या स्वरूप सदृश आवंतिका भाम।
प्रकट बोली आर्य! ऐसी हीं थी प्रतिपूज्य आर्या वासवदत्ता? 
देवी ऐसी नहीं यही, हाय! कैसा कष्ट दिया विधाता!

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RAVINANDAN Tiwari

32
तेरे पलायन उपरांत,सुभीता से संभ्रांत,
युग्म चित्रण कर चित्रफलक अतिकांत।
तुम दोनो का  विवाह संस्कार  किया  संपन्न,
इस चित्रपट से अनुभूत होगी प्रिया प्रत्यासन्न।
भेज रहा वह उपायन अनुपम दूत के हाथ,
यशस्वान हो युगांतर,शुभकामना के साथ।

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 Harlal Mahato

RAVINANDAN Tiwari

31
अवगत हो तेरे मनहर गुण एवं कुल सम्मान,
मन ही मन हम जामाता तुम्हे लिए थे मान। 
योजनाबद्ध तुम्हें लाया गया उज्जैन छलबल सहारे,
वीणा शिक्षण बहाने सौंपा वासवदत्ता को हाथ तुम्हारे।
अग्निसाक्षी बगैर तुम गुपचुप उज्जयिनी से किये प्रस्थान,
तुम्हारे चंचलता कारण हम वंचित रह गये करने से कन्यादान।

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RAVINANDAN Tiwari

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30
मृत्युकाल में कौन किसकी कर सकता है रक्षा? 
जन्म-जीवनांत,काटने-उगाने में सृष्टि अति दक्षा।
मनुज भी अपवाद नहीं इस शाश्वत विधी विधान का,
परंतु छीजकर पुनः उभरना प्रमाण उसके अधिमान का।
जीवन दर्शन से भरे माता अंगारवती के संदेश,
कमतर हुआ सुनकर, उदयन मन जमा क्लेश।

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RAVINANDAN Tiwari

28
घोषवती की प्राप्ति से पुनःप्रतिबोधित हुई चिरप्रसुप्त वेदना,
कहा कंचुकी ने राजन अब उचित नहीं और संवेदना।
राजन! उज्जयिनी से आया है विजय शुभकामना संदेश,
संदेशवाहिका हैं आर्या वासवदत्ता की धाई विशेष।
तदुपरांत पद्मावती संग रंगमंच पर राजन
उदयन ने किया प्रवेश,
आगंतुकों ने क्रमशः वाचा महासेन व रानी अंगारवती के संदेश।

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RAVINANDAN Tiwari

27
विरह काल में प्रियजन की कोई वस्तु प्रति प्रिति
को करती उद्दीप्त,
तीव्र हीं करे और विरह  वेदना, कदापि नहीं करती तृप्त।
अन्यमनस्क हो जाता प्रेमी तत्पश्चात  पाकर खोई चिज,
अनुस्मरण कर कभी बेसुध होता व कभी जाता खीज।
उदयन का भी वहीं हाल हुआ पाकर घोषवती नामक वीणा,
जघनस्थल मध्य सुलाकर बजाती थी आर्या जिसे लगाकर अपना सीना।

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