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Best उपवन Shayari, Status, Quotes, Stories

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Ghumnam Gautam

Unsplash दुकाँ तो मिल गई, घर से मगर है छिन गया आँगन
उजड़ वीरां हुए हैं सब, नहीं अब मन कोई उपवन
कि किसके साथ होना था व किसके साथ होते हैं―
कहीं पर तन,कहीं पर मन,यही जीवन-यही जीवन

©Ghumnam Gautam #leafbook 
#उपवन 
#आँगन 
#ghumnamgautam

वैद्य (dr) उदयवीर सिंह

उपवन कभी मरा नहीं करते। #उपवन #uvsays #Motivation #Quotes #Hindi nojoto #Instagram life love #Friend Sudha Tripathi पथिक.. Riya Sethi Ji Rakhi Anamika

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CHOUDHARY HARDIN KUKNA

Diwan G

देखा जो पहली नजर में उनको,
एक रौनक सी खिली थी तन बदन में।
इस नजर से देखा मैंने उनको...
जैसे कोई नयी कली खिली हो चमन में।
छटा कुछ ऐसी थी उनकी, क्या बताऊँ,
जैसे फूल कोई मन मोहता है उपवन में।
मैं हैरान था कि मन मचल रहा था....
और वो बस गई थी मेरे मन में।
मन यूँ हर्षित हो के महका मेरा.....
जैसे खुश्बू बिखर गई हो पवन में।
वो खुशियों भरा एक झोंका सा,
बहार बनके आयी, वो मेरे जीवन में।। मनमीत....
#प्यार #नजर #जिंदगी #जीवन #चमन #उपवन #कविता #मन #बहार #महक

Manaswin Manu

मुझको दुनिया मे जब था धकेला गया
एक नदी में समंदर उड़ेला गया
एक उपवन में जंगल को लाया गया
और पत्थर पे पर्वत बिठाया गया

मुझको दुनिया मे जब था धकेला गया
एक नदी में समंदर उड़ेला गया
वो सह न सकी, मैं समा न सका
और कारण भी इसका बता न सका

©Manaswin_Manu #nojotohindi
#मैं
#दुनिया
#नदी
#समंदर
#उपवन
#जंगल
#पत्थर

sukoon

व्यर्थ न आंशू बहा तू बन्दे मुश्किल अपनी स्वयं मिटा
जिस पत्थर से चोट लगी उस पत्थर को भी यार उठा
जीवन नही नाम रुकने का नदिया बनकर बढ़ता चल
वन उपवन की बात न कर जो पर्वत हो तो उन्हें हटा

ऋषभ तोमर #नदी #मुश्किल #पर्वत #आंशू #पथ्थर #वन #उपवन

Miss. Rajput

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छिप-छिप अश्रु बहाने वालों !
मोती व्यर्थ बहाने वालों !
कुछ सपनों के मर जाने से , 
जीवन नहीं मरा करता है ।

सपना क्या है , नयन सेज पर
सोया हुआ आँख का पानी
और टूटना है उसका ज्यों
जागे कच्ची नींद जवानी
गीली उमर बनाने वालों !
डूबे बिना नहाने वालों !
कुछ पानी के बह जाने से , 
सावन नहीं मरा करता है ।

माला बिखर गयी तो क्या है
खुद ही हल हो गयी समस्या
आँसू गर नीलाम हुए तो
समझो पूरी हुई तपस्या
रूठे दिवस मनाने वालों !
फटी कमीज़ सिलाने वालों !
कुछ दीपों के बुझ जाने से , 
आँगन नहीं मरा करता है।

खोता कुछ भी नहीं यहाँ पर
केवल जिल्द बदलती पोथी
जैसे रात उतार चांदनी 
पहने सुबह धूप की धोती
वस्त्र बदलकर आने वालों !
चाल बदलकर जाने वालों !
चन्द खिलौनों के खोने से ,
बचपन नहीं मरा करता है ।

लाखों बार गगरियाँ फूटीं ,
शिकन न आई पनघट पर ,
लाखों बार किश्तियाँ डूबीं ,
चहल-पहल वो ही है तट पर ,
तम की उमर बढ़ाने वालों ! 
लौ की आयु घटाने वालों !
लाख करे पतझर कोशिश 
पर उपवन नहीं मरा करता है।

लूट लिया माली ने उपवन ,
लुटी न लेकिन गन्ध फूल की ,
तूफानों तक ने छेड़ा पर ,
खिड़की बन्द न हुई धूल की ,
नफरत गले लगाने वालों ! 
सब पर धूल उड़ाने वालों !
कुछ मुखड़ों की नाराज़ी से 
दर्पण नहीं मरा करता है !

Suraj Goswami

#RDV19

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शहर की ऊँची इमारतों से दिख रहे
सुदूर एक उपवन में
हकीकत से बहुत दूर
कुछ लाल गुलाब महत्वाकांक्षी हैं
एक टोकरी में जाने के लिये
जहाँ से उसे अर्पित होना है
ईश्वरीय आराधना में
देखना है उसको भी 
रुतबा गुलाब होने का मगर
वो नही जानता
इन लता से टूटते ही
खो देगा खुशबू
और वो बिखर जाएगा पंखुड़ियों में
रंग उसका गुलाबी भी
काला पड़ने लगेगा
फिर नई सुबह में कोई
कोई ऐसे ही गुरुर में डूबे
गुलाब की पंखुड़ियों
उसे हटा देगी
फेंक देगी कचरे में 
मिल जाएगा उसी मिट्टी में
जहाँ से लता के सहारे
निकला था महकता बदन लेकर
ये उपवन, लताये और मिट्टी
जैसे कि है 
परिवार, समाज और संस्कार
कहने को तो
मैं और आप एक गुलाब ही है #RDV19

Sunita Bishnolia

जंगल बचाओ धरती बचाओ... मैंने सूरज की गर्मी से, तप्त धरा को देखा है। वन-उपवन हरियाली के बिन,                  मानव मरता देखा है।।

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जंगल बचाओ धरती बचाओ...

मैंने सूरज की गर्मी से,
                 तप्त धरा को देखा है।
वन-उपवन हरियाली के बिन,
                 मानव मरता देखा है।।


करती थी अभिमान स्वयं पे,
                  मैं जंगल की रानी हूँ।
सपने से जागी तो देखा 
                  भूली हुई कहानी हूँ।।
देख रही मानव का लालच
                   कहे भाग का लेखा है।
वन-उपवन हरियाली के बिन,
                   मानव मरता देखा है।।


कहो कहाँ तक मनुज रहेगा,
                     मस्ती में जो डूबा है।
मुझ हिरणी का घर भी छीना
                    आगे क्या मंसूबा है।
जंगल काटे वन भी काटे
                  चमन उजड़ते देखा है
वन-उपवन हरियाली के बिन,
                  मानव मरता देखा है।।

पेड़ों के झुरमुट में मैं तो,
                   दौड़ लगाया करती थी।
शेर,बाघ ,चीतों को भी मैं,
                   खूब छकाया करती थी।।
मत काटो जंगल उपवन को 
                  भू पर संकट देखा है।
वन-उपवन हरियाली के बिन,
                    मानव मरता देखा है।।

                 


 जंगल बचाओ धरती बचाओ...

मैंने सूरज की गर्मी से,
                 तप्त धरा को देखा है।
वन-उपवन हरियाली के बिन,
                 मानव मरता देखा है।।

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