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Preeti Karn
मैं जनती हूं कविताएं किसी अन्य को जनक के अधिकार के आधिपत्य से मुक्त रखती हूं। सहधर्मिता की नियमावली का अनुपालन नहीं होता इस सृजन में। मैंने अपनी अनुभूतियों की हठधर्मिता के निर्वहन मात्र से अपने हृदय गर्भ में बीज आरोपित किए हैं जो बसंत और घहराते काले मेघ सदृश पुष्पधन्वा की धरोहर हैं। कुसुम कचनार पाटली केतकी से झड़ते रस गन्ध से पोषित स्वाति उत्तराआषाढ नक्षत्रों की बूंदों से अलंकृत मलय पवन के रेशे से बुने गए कौशेय वसन सुसज्जित मैं आसन्नप्रसवा जनती हूं कविताएं! प्रीति #जननी#कविता #गर्भ ##प्रसव #yqhindi #yqhindiquotes पुष्पधन्वा : कामदेव पाटली: गुलाब , केतकी: केवड़ा कौशेय : रेशमी आसन्नप्रसवा : जिसे
Apoorva Chaturvedi
कमनीय काया कसी, काली-काली कंचुकी के कृत्रिम कपाट किए, कौतुक किलोल को किण्ण-किण्ण केसरी के, कंचनी किरीट केश कितने कमाल कर, कीलते कपोल को किक
read moreSarita Shreyasi
गृहस्थी बसाने में, दुनिया के साथ चलने में,सबको खुश करने में कई बार हम खुद को आहत कर लेते है।कई बार हमें पता भी नहीं होता कि जिसे सबसे ज्यादा प्यार करते हैं, उसके लिए भी मन में कितना आक्रोश जमा करके बैठे हैं। किसकी बात से चोट लगी और हम तकलीफ से उबर ही नहीं पाए। जिम्मेदारी का डर, लोगों का सामना करने का डर अंजाने सब से हताहत हुए चले जाते हैं। खुद को सिद्ध करने में हम औरतें तो ज्यादा ही खींच लेती हैं खुद को। सबको खुश रखने के प्रयास से पहले स्वयं को स्वस्थ और खुश रखना जरूरी है। किसी भी बात का रोष कभी बासी मत होने देना। (Read in caption.. निकाल दो) बधाई हो।बायोप्सी की रिपोर्ट आ गई है। चिंता की कोई बात नहीं। केतकी ने फोन करके बताया। भगवान का लाख लाख शुक्र है। ये शंका तो टली। मैं तो सच
बधाई हो।बायोप्सी की रिपोर्ट आ गई है। चिंता की कोई बात नहीं। केतकी ने फोन करके बताया। भगवान का लाख लाख शुक्र है। ये शंका तो टली। मैं तो सच
read moreMAHENDRA SINGH PRAKHAR
ग़ज़ल :- चलो न मोड़ पर किसी से बन के अजनबी मिलें । नई-नई पहल करे नई-नई खुशी मिले ।। खिला नही अभी यहाँ गुलाब वह बहार का । निकल पड़े तलाश में कली कहीं खिली मिले ।। बरस रही घटा जहाँ महक रही जमीन है । कदम-कदम बढ़ा उधर जिधर महक वही मिले ।। नज़र-नज़र बदल गई जुबान फिर फिसल गई । हसीन रूप देख दिल कहे कि ज़िन्दगी मिले ।। मचल-मचल उठे जिया कहे पिया जरा हँसो । मधुर-मधुर अधर लगे गुलो कि केतकी मिले ।। २९/०८/२०२३ - महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR 1212 1212 1212 1212 चलो न मोड़ पर किसी से बन के अजनबी मिलें । नई-नई पहल करे नई-नई खुशी मिले ।। खिला नही अभी यहाँ गुलाब वह बहार का
1212 1212 1212 1212 चलो न मोड़ पर किसी से बन के अजनबी मिलें । नई-नई पहल करे नई-नई खुशी मिले ।। खिला नही अभी यहाँ गुलाब वह बहार का #शायरी
read moreRavendra
सतरूपा अष्टभुजा मंदिर में प्राथमिक शिक्षक व खण्ड विकास कार्यालय बलहा व आगनबाड़ी के कर्मचारियों ने मंदिर में आकर्षक रंगोली, भजन व विधि विधान #न्यूज़
read moreInsprational Qoute
पलछिन जो अँखियाँ इंतजार में थी यह इंतजार खत्म हुआ, सुरमई शाम की बेला में प्रियतमा का मिलन जो हुआ, पा स्पर्श प्रियतम का वो छुईमुई सी सिमट गई, हृदय की स्पंदित श्वांसे अब स्वच्छंद सी नीर बह रही, कम्पन हुआ गुदगुदाए वो ,बाहों का मानो हार हुआ, थी निःस्वास सी पत्थर अब मानो कोई जान भर रहा, पुष्पों सम अधरों को चूम,मंद मंद मुस्कुरा रहा , वर्षों बाद प्रियतम प्रियतमा का संगम हो रहा। 🔔 प्रिय कवि शर्त जरूर पढ़ें। Life With Poetry प्रतियोगिता -14 आज आपके लिए संयोग श्रृंगार रस प्रतियोगिता-14, जिसका शीर्षक 'प्रेम' (संयोग श्र
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read moreAnil Prasad Sinha 'Madhukar'
प्रणय मिलन की वेला, सोच हृदय में उठते ज्वार, प्रफुल्लित होते अंतरंग, उत्सुक करने को दीदार, तरसते नैन, लरजते होंठों पर थे तबस्सुम बेशुमार, चाहत मिलन को आतुर, दिल हो रहा था बेकरार, कुछ शरमाई, कुछ सकुचाई, कोई लाजवंती नार, घूँघट की घटाएं हटी, मुखड़े पर सावन सी फुहार, गर्म सांसें,बढ़ता स्पंदन, रति की कल्पना हुई साकार, सुमन सुगंध एक हो गए, बाहुपाश में भर अँकवार। 🔔 प्रिय कवि शर्त जरूर पढ़ें। Life With Poetry प्रतियोगिता -14 आज आपके लिए संयोग श्रृंगार रस प्रतियोगिता-14, जिसका शीर्षक 'प्रेम' (संयोग श्र
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read moreDR. SANJU TRIPATHI
प्रेम भरी नीर की बदरी अब मुझ पर बरसा दो तुम। प्यासे हैं तेरे प्यार के हम अब तो प्यास बुझा दो तुम। तुमको देखकर अब मेरा दिल भी दीवाना होने लगा आंखों से आंखें और दिल से दिल भी बातें करने लगी। सुध बुध गवाएं बैठी हूं आकर साथ निभा दो तुम। व्याकुल हो रहा है तन मन आकर के अंग लगा लो तुम। लबों पर प्यास तुम्हारी है दिल में भी नाम तुम्हारा है। आकर के जीवन सवांरो तुम ईश्वर का भी यही इशारा है। -"Ek Soch" 🔔 प्रिय कवि शर्त जरूर पढ़ें। Life With Poetry प्रतियोगिता -14 आज आपके लिए संयोग श्रृंगार रस प्रतियोगिता-14, जिसका शीर्षक 'प्रेम' (संयोग श्र
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read moreAK__Alfaaz..
शुक्ल पक्ष की, सुहागन पूर्णिमा, सी वो, बिखरती रही, भूमि के आलिंगन को, और..चाहती वो, सिमट जाना, भोर की बाँहों मे, उसने, कभी नही चाहा, कुछ प्रश्नों को, उत्तरित करना, वो सदा, उन्हें माथे की बिंदिया बना, #पूर्ण_रचना_अनुशीर्षक_मे #अश्रुओं_का_उपवास शुक्ल पक्ष की, सुहागन पूर्णिमा, सी वो, बिखरती रही,
#पूर्ण_रचना_अनुशीर्षक_मे #अश्रुओं_का_उपवास शुक्ल पक्ष की, सुहागन पूर्णिमा, सी वो, बिखरती रही, #yqbaba #yqdidi #yqhindi #yqquotes #bestyqhindiquotes
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कल, सपनों की थाली मे, चंदा की रोटी परोसकर, सितारों के चावल की, मीठी प्रेम की खीर मे, इंद्रधनुष की सतरंगी मिश्री मिला, बादलों की कटोरी मे लेकर, ममता मुँह मीठा कराने आयी, कल, धरती की गोद मे, नदियाँ नहाकर आयीं, संग वो अपने नेह सीपियाँ लायीं, और..लायीं कान्हा का पांचजन्य शंख, कल, सपनों की थाली मे, चंदा की रोटी परोसकर, सितारों के चावल की, मीठी प्रेम की खीर मे, इंद्रधनुष की सतरंगी मिश्री मिला, बादलों की कटोरी
कल, सपनों की थाली मे, चंदा की रोटी परोसकर, सितारों के चावल की, मीठी प्रेम की खीर मे, इंद्रधनुष की सतरंगी मिश्री मिला, बादलों की कटोरी #yqhindi #yqquotes #testimonial
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