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HINDI SAHITYA SAGAR
मित्रता रघु ने निभाई, किष्किंधा सुग्रीव पाई। मित्र के सम था जो भाई, लंका का अधिपति कहाई। मित्रता ही के लिए थे, कर्ण ने भी प्राण दिए थे। लाख दुःख भोगा सुदामा, मित्रता हर शय भली है। दोस्तों से ज़िंदगी है, दोस्ती ज़िंदादिली है। ©HINDI SAHITYA SAGAR #surya मित्रता रघु ने निभाई, किष्किंधा सुग्रीव पाई। मित्र के सम था जो भाई, लंका का अधिपति कहाई। मित्रता ही के लिए थे, कर्ण ने भी प्राण दिए
HINDI SAHITYA SAGAR
मित्रता रघु ने निभाई, किष्किंधा सुग्रीव पाई। मित्र के सम था जो भाई, लंका का अधिपति कहाई। मित्रता ही के लिए थे, कर्ण ने भी प्राण दिए थे। लाख दुःख भोगा सुदामा, मित्रता हर शय भली है। दोस्तों से ज़िंदगी है, दोस्ती ज़िंदादिली है। ©HINDI SAHITYA SAGAR #Friend #friendsforever #friends #Friendship मित्रता रघु ने निभाई, किष्किंधा सुग्रीव पाई। मित्र के सम था जो भाई, लंका का अधिपति कहाई।
HINDI SAHITYA SAGAR
मित्रता रघु ने निभाई, किष्किंधा सुग्रीव पाई। मित्र के सम था जो भाई, लंका का अधिपति कहाई। मित्रता ही के लिए थे, कर्ण ने भी प्राण दिए थे। लाख दुःख भोगा सुदामा, मित्रता हर शय भली है। दोस्तों से ज़िंदगी है, दोस्ती ज़िंदादिली है। ©HINDI SAHITYA SAGAR #friends मित्रता रघु ने निभाई, किष्किंधा सुग्रीव पाई। मित्र के सम था जो भाई, लंका का अधिपति कहाई। मित्रता ही के लिए थे, कर्ण ने भी प्राण दि
#maxicandragon
सारी कि सारी रामायण देखो क्या क्या कांड हुआ जब जब कोई दुष्कर्म हुआ कोई न कोई कांड हुआ कोई छुपा कोई लेकर भागा किष्किंधा लंका कांड हुआ आज भी वैसे कांड है होते याद करो क्या नहीं हुआ बंद मिले मोबाइल का नंबर तो पक्का बंदे ने कांड किया ढूंढो घर घर इसके उसके छिथर फिथर ब्रहमाण्ड हुआ लुका हुआ है खुद अपनो से जब लेनदेन का कांड हुआ नय कपड़े नई गाडी, नंबर पुराने का जंजाल हुआ समझ न पाए कोई ऐसे नओ थूथन कर श्रृंगार हुआ पकडा गए गलती से तो भी नव नंबर भी रौंग हुआ लिखा हुआ आधार भी उस दिन फर्जीवाडे का शिकार हुआ रात रात कर रहे चाकरी दिनभर ढूंढाढांड हुआ पता चला उस बंदे का जब लेनदेन का कांड हुआ #कांड #साधारणमनुष्य #Sadharanmanushya ©#maxicandragon सारी कि सारी रामायण देखो क्या क्या कांड हुआ जब जब कोई दुष्कर्म हुआ कोई न कोई कांड हुआ कोई छुपा कोई लेकर भागा किष्किंधा लंका कांड हुआ आज भी
Priya Gour
बीता अब चौमासा भी तैयार सब वानर सेनाएं, सीता की सुधि लेने राम जी का संदेश सुनाने कौन जाये, निश्चय हुआ पवन पुत्र हनुमान ही ये काज कर पाये, बजरंग बली बना रुप विशाल सौ योजन पार किये जाये, सूक्ष्म रूप धर लंका की पहरी का कर उदार,लंका में प्रवेश लिये, लंका में सुन राम जाप विभीषण का परिचय भी पाये, अब हनुमान अशोक वाटिका में पधारे जहाँ रावण दे उलाहने, सूक्ष्म रूप में बैठ वृक्ष पर लंकेश की बात सुन नीर बहाये, जानकी माँ से मिलकर राम प्रभु की सेनानी दिखाये, किष्किंधा में है प्रभु पल पल आप ही उनको याद आये, सिया कहे हे पुत्र कहना प्रभु जल्दी आइये देख रही में राहे, आश्वासन दे माँ को वाटिका से फल खाने की इच्छा जताये, अनुमति पा फिर वो फल खूब खाये और वृक्ष समूल उखाड़े, लंकेश की सेना में हाहाकार की एक वानर को वश ना कर पाये, रावण का प्रिय पुत्र भी प्राण खोया मेघनाद अब वाटिका जाये, बजरंग बली को वश में करने ब्रह्मास्त्र का बाण चलाया, मान रखने ब्रह्मास्त्र का पवन पुत्र हाथ जोड़ शीश झुकाया, रावण के समस्त ले जाकर सब वानर कह उपहास उड़ाये, मान रखने बंधा बंधन में कपि श्रेष्ठ मुस्करा कर उनका भ्रम हटाये, सब सोचे आखिर इस राम दूत को क्या सजा दी जाये, वानर को होती हैं अपनी पूंछ प्रिय लंकेश विचार कर बताये, क्यों ना इस उद्दंडी वानर के पूछ में आग लगायी जाये, महाबली मुस्कुराकर पूंछ बढा़ते जाये सारी लंका को आग लगाये, सोने की लंका धू धू कर लपटों में जलती जाये, सिया माँ से ले आशीर्वाद फिर लौट किष्किंधा आये, मंदोतरी सोचे ये लंकेश क्या विपदा हैं लाये, वानर नहीं साधारण भय से सबके हदय कांपे। ©Priya Gour जय श्री राम 😍💞 बीता अब चौमासा भी तैयार सब वानर सेनाएं, सीता की सुधि लेने राम जी का संदेश सुनाने कौन जाये, निश्चय हुआ पवन पुत्र हनुमान ही ये
HINDI SAHITYA SAGAR
कविता : दोस्तो से ज़िंदगी है दोस्ती में जां जो मांगे, छोड़कर न साथ भागे। नीति के बांधे जो धागे, रूढ़ियों को तोड़ त्यागे। दोस्त बेशक़ कम ही चुनना, आये जिनको तुमको गुनना। दोस्त हैं तो शान्त है मन, वरना मन मे खलबली है। दोस्तों से ज़िंदगी है दोस्ती ज़िंदादिली है। साथ देकर जो तुम्हारा, हर ले मन का कष्ट सारा। सामने सबके जो बचाये, बाद में गलती समझाए। दुर्गुणों से जो बचाये, सद्गुणों में जो लगाए। संकटों में साथ देकर दूर करता बोझिली है, दोस्तों से ज़िंदगी है दोस्ती ज़िंदादिली है। मित्रता रघु ने निभाई, ख़ुशहाली किष्किंधा पाई। था समान जो मित्र अरु भाई, लंका का अधिपति कहाई। मित्रता ही के लिए थे, कर्ण ने भी प्राण दिए थे। लाख दुःख भोगा सुदामा, मित्रता हर शय भली है। दोस्तों से ज़िंदगी है, दोस्ती ज़िंदादिली है। -शैलेन्द्र राजपूत ©HINDI SAHITYA SAGAR #FriendshipDay कविता : दोस्तो से ज़िंदगी है दोस्ती में जां जो मांगे, छोड़कर न साथ भागे। नीति के बांधे जो धागे, रूढ़ियों को तोड़ त्यागे। दोस्त
मेरी आपबीती
" प्रेम विस्तार है और स्वार्थ संकुचन " - स्वामी विवेकानंद ( अनुशीर्षक में पढ़े ) ©आराधना प्रेम एक कोमल एहसास , एक सुखद अनुभूति और कभी न सुलझने वाली पहेली । प्रेम के स्वरूप पर मेरा मानना है कि प्रेम का स्वरूप अथाह है इसका वर्णन
Vishnu Dutt Ji Maharj
मित्रों,,,आज आपको एक ऐसे कथा के बारे में बताने जा रहा हूँ,, जिसका विवरण संसार के किसी भी पुस्तक में आपको नही मिलेगा,,और ये कथा सत प्रतिशत सत