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Rabindra Kumar Ram
" जाने किसकी ख़्वाहिशों का तलबगार हो रहा हूं , मुहब्बत हूं प्यार से इश्क़ हो रहा हूं , छुपाते की ज़ाहिर करें अपने आरज़ू, जाने किसकी अज़िय्यत में मैं जी रहा हूं ." --- रबिन्द्र राम ©Rabindra Kumar Ram " जाने किसकी ख़्वाहिशों का तलबगार हो रहा हूं , मुहब्बत हूं प्यार से इश्क़ हो रहा हूं , छुपाते की ज़ाहिर करें अपने आरज़ू, जाने किसकी अज़िय्यत
" जाने किसकी ख़्वाहिशों का तलबगार हो रहा हूं , मुहब्बत हूं प्यार से इश्क़ हो रहा हूं , छुपाते की ज़ाहिर करें अपने आरज़ू, जाने किसकी अज़िय्यत #शायरी
read morePoet Maddy
हमने ये सोचा न था कि धीरे-धीरे हम, उनकी मोहब्बत के तलबगार हो जाएंगे............ हम पढ़ेंगे ग़ज़ल जब महफ़िल में बैठकर, तो इस जहां में वीराने गुलज़ार हो जाएंगे.......... और अपनी ग़ज़लों से इस कदर भर देंगे, बेइंतेहा मोहब्बत सारे ज़माने वालों में हम......... कि ज़माने वाले भी उसके बाद से हमेशा, हमारे इन अहसनों के कर्ज़दार हो जाएंगे.......... ©Poet Maddy हमने ये सोचा न था कि धीरे-धीरे हम, उनकी मोहब्बत के तलबगार हो जाएंगे............ #Thought#Love#Gazal#Gathering#Beautiful#Fill#World..........
हमने ये सोचा न था कि धीरे-धीरे हम, उनकी मोहब्बत के तलबगार हो जाएंगे............ #thoughtLove#gazal#GATHERING#Beautiful#fill#world.......... #Poetry
read moreSK Singhania
White कौन करता है वफ़ाओं के तकाज़े तुमसे,,,,,?? हम तो एक झूठी तसल्ली के तलबगार थे बस !,,,,,,!!! #Skg ©SK Singhania #sad_quotes कौन करता है वफ़ाओं के तकाज़े तुमसे,,,,,?? हम तो एक झूठी तसल्ली के तलबगार थे बस !,,,,,,!!! #SKG
#sad_quotes कौन करता है वफ़ाओं के तकाज़े तुमसे,,,,,?? हम तो एक झूठी तसल्ली के तलबगार थे बस !,,,,,,!!! #SKG #शायरी
read moreDevesh Dixit
मैं शब्दों का शिल्पकार हूँ टूटे-बिखरे शब्दों को मैं, जोड़ने को बेकरार हूँ। कैसे सब ये बिखर गये, देख कर मैं हैरान हूँ। अद्भुत इनकी शक्ति है, जानने को बेताब हूँ। जब न सुलझते हैं किस्से, मैं हो जाता बेहाल हूँ। अब जोड़ना है मुझे इन सबको, मैं शब्दों का शिल्पकार हूँ। देख कर संकट इन शब्दों पर, मैं हो जाता परेशान हूँ। कुछ निरर्थक कुछ अपशब्द हैं, पढ़ सुन कर मैं उदास हूँ। चुभते भी हैं ये शब्द शूल से, उन शब्दों से मैं घायल हूँ। रच सकूँ उनको सार्थकमय, ऐसा मैं वो प्रकाश हूँ। शब्दों का ही बुनूँ माया जाल, मैं शब्दों का शिल्पकार हूँ। कई विधा में रचे ये शब्द हैं, कुछ से मैं अनजान हूँ। दोहा सोरठा और बहुत हैं, कुछ का मैं ज्ञानवान हूँ। पर बिखरे जो भी शब्द हैं, उनका मैं तलबगार हूँ। क्या अर्थ निकले क्या न निकले, करता नहीं तिरस्कार हूँ। सही साँचे में उनको रचता, मैं शब्दों का शिल्पकार हूँ। .................................... देवेश दीक्षित ©Devesh Dixit #मैं_शब्दों_का_शिल्पकार_हूँ #nojotohindi #nojotohindipoetry मैं शब्दों का शिल्पकार हूँ टूटे-बिखरे शब्दों को मैं, जोड़ने को बेकरार हूँ। कैस
#मैं_शब्दों_का_शिल्पकार_हूँ #nojotohindi #nojotohindipoetry मैं शब्दों का शिल्पकार हूँ टूटे-बिखरे शब्दों को मैं, जोड़ने को बेकरार हूँ। कैस #Poetry #sandiprohila
read moreTOHFA SHAIKH RAEES AHMED SIDDIQUI
White cahh rakhte hain jo munafey ki wo sunein ishq rozgaar nahi hota hai hasratein kapdo ki tarah badalne wala shaksh sozgaar nahi hota hai ©TOHFA SHAIKH RAEES AHMED SIDDIQUI #sad_shayari love definition
#sad_shayari love definition #Poetry
read moreEkans Pandey
White MY STORY... एक उलझा हुआ क़िरदार हूं मैं, लोग मानते हैं कि समझदार हूं मैं... ख़ुद की तलाश में खोया हूं ना जाने कैसा तलबगार हूं मैं..!! ।। The silent writer ।। .. ©Ekans Pandey #SAD ना जाने कैसा तलबगार हूं मैं..!!
#SAD ना जाने कैसा तलबगार हूं मैं..!!
read moreRabindra Kumar Ram
*** ग़ज़ल *** *** नुमाइश *** " क्यों ना तेरा तलबगार हो जाऊं कहीं मैं , मैं मुख्तलिफ मुहब्बत हूं इस दस्तूर से , क्यों ना तेरा बार बार मुसलसल हो जाऊं मैं , खुद को तेरी आदतों में कितना मशग़ूल किया जाये , तुझमें में मसरुफ़ कहीं जाऊं मैं , बात जो भी फिर कहा तक जार बेजार , तेरे ज़िक्र की नुमाइश की पेशकश की जाये , लो ज़रा सी इबादत कर लूं भी मैं , इश्क़ की बात हैं मुहब्बत कर लूं मैं , तेरे ख्यालों की नुमाइश क्या ना करता मैं , ज़र्फ़ तेरी जुस्तजू तेरी आरज़ू तेरी , फिर इस हिज़्र में फिर किस की ख़्वाहिश करता मैं , उल्फते-ए-हयात एहसासों को अब जिना आ रहा मुझे , जो तेरे ख्यालों के तसव्वुर से रफ़ाक़त जो कर रहा हूं मै . " --- रबिन्द्र राम ©Rabindra Kumar Ram *** ग़ज़ल *** *** नुमाइश *** " क्यों ना तेरा तलबगार हो जाऊं कहीं मैं , मैं मुख्तलिफ मुहब्बत हूं इस दस्तूर से , क्यों ना तेरा बार बार मु