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Shivkumar

#navratri #navaratri2024 #navratri2025 #navratri2026 #नवरात्रि // देवी महागौरी // #महागौरी #उपासना , अष्टम दिवस विधान I सारे पूजन कार् #माँ #शक्ति #भक्ति #शांत

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Shivkumar

#navratri #navratri2024 #नवरात्रि #नवरात्रि2024 जिसकी पूजा नवरात्रि के पांचवें दिन होती है । जिसके समान , #सर्वशक्तिमान कोई दूज नहीं #सिंह #भक्ति #कमल #शक्तिशाली #दयालु #स्कंदमाता

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Shivkumar

#navratri #navaratri2024 #navratri2025 नवरात्रि का दूसरा दिन है , मां #ब्रह्मचारिणी का l मां #दुर्गा को दूसरा रुप है , मां ब्रह्मचारि #वस्त्र #भक्ति #कष्ट #विख्यात #तपस्या

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Mahadev Son

आत्मा थी अज़र है अमर रहेगी जन्म मन का, मरण तन का हुआ सृजन हुआ जिसका नष्ट होना भी तय उसका सफर यही तक का था ये तेरी भूल थी त्याग देगा तन भर #Life

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आत्मा थी अज़र है अमर रहेगी
जन्म मन का, मरण तन का हुआ

सृजन हुआ जिसका नष्ट होना भी तय उसका 
सफर यही तक का था ये तेरी भूल थी

त्याग देगा तन भर जायेगा मन, इस तन से 
मन चंचल पर अज़र है बस निर्भर है कर्मों पर 

कर्म होंगें जैसे मन जन्म भी तन का पायेगा वैसे 
जैसे जेब में पैसे होते वैसे वस्त्र खरीदता तू 

हिसाब किताब यहाँ पैसों से होता जैसे 
वहाँ कर्मों से गणित मन का होता 

पायेगा क्या भोगेगा क्या फिर से
मन को भी न मालूम होता.....

वर्ना छोड़ता न कभी इस तेरे तन को...

©Mahadev Son आत्मा थी अज़र है अमर रहेगी
जन्म मन का, मरण तन का हुआ

सृजन हुआ जिसका नष्ट होना भी तय उसका 
सफर यही तक का था ये तेरी भूल थी

त्याग देगा तन भर

Jesus_ka_chuna_huaa

#meditation “तौभी,” यहोवा की यह वाणी है, “अभी भी सुनो, उपवास के साथ रोते–पीटते अपने पूरे मन से फिरकर मेरे पास आओ। अपने वस्त्र नहीं, अपने मन #विचार

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N S Yadav GoldMine

#wholegrain अमावस्या के दिन पीपल के पेड़ पर सुबह जल चढ़ाना चाहिए आइये विस्तार से जानिए !!🍋🍋 {Bolo Ji Radhey Radhey} वैशाख अमावस्या :- 🌿वैशा #पौराणिककथा

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MAHENDRA SINGH PRAKHAR

प्रदीप छन्द दर-दर भटक रहा है प्राणी , जिस रघुवर की चाह में । वो तो तेरे मन में बैठे , खोज रहा क्या राह में ।। घर में बैठे मातु-पिता ही , सु #कविता

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प्रदीप छन्द

दर-दर भटक रहा है प्राणी , जिस रघुवर की चाह में ।
वो तो तेरे मन में बैठे , खोज रहा क्या राह में ।।
घर में बैठे मातु-पिता ही , सुन रघुवर के रूप हैं ।
शरण चला जा उनके प्यारे , वह भी तेरे भूप हैं ।।

मन को अपने आज सँभालो , उलझ गया है बाट में ।
सारे तीरथ मन के होते , जो है गंगा घाट में ।।
तन के वस्त्र नहीं मिलते तो, लिपटा रह तू टाट में ।
आ जायेगी नींद तुझे भी , सुन ले टूटी खाट में ।।

जितनी मन्नत माँग रहे हो , जाकर तुम दरगाह में ।
उतनी सेवा दीन दुखी की , जाकर कर दो राह में ।।
सुनो दौड़ आयेंगी खुशियाँ , बस इतनी परवाह में ।
मत ले उनकी आज परीक्षा , वो हैं कितनी थाह में ।।

जीवन में खुशियों का मेला , आता मन को मार के ।
दूजा कर्म हमेशा देता , सुन खुशियां उपहार के ।।
जीवन की भागा दौड़ी में , बैठो मत तुम हार के ।
यही सीढ़ियां ऊपर जाएं ,  देखो नित संसार के ।।

२८/०२/२०२४       -    महेन्द्र सिंह प्रखर

©MAHENDRA SINGH PRAKHAR प्रदीप छन्द

दर-दर भटक रहा है प्राणी , जिस रघुवर की चाह में ।
वो तो तेरे मन में बैठे , खोज रहा क्या राह में ।।
घर में बैठे मातु-पिता ही , सु

Dr. Satyendra Sharma #कलमसत्यकी

#ramlalla #काव्य #संग्रह वस्त्र से सन्यासी, शस्त्र में महा योद्धा है वो, पिता का आज्ञाकारी पुत्र, समाज का श्रद्धा है वो।। कहते हैं लोग #कविता #कलमसत्यकी

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Devesh Dixit

#कोहरा #दोहे #nojotohindipoetry #nojotohindi कोहरा (दोहे) घना कोहरा छा गया, दिखे न कुछ भी पार। ठंडी तब लगती बहुत, पड़े ब्यार की मार।। फसल #Poetry #sandiprohila

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Jupiter and its moon

कृष्ण नहीं आते हर युग में! पांच पति पांचाली के अभिमान बचाने ना आए। अपमानित होती नारी का सम्मान ना बचाने ना आए।। भीष्म द्रोण गुरू कृपाचार्य #कविता

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पांच पति पांचाली के अभिमान बचाने ना आए।
अपमानित होती नारी का सम्मान ना बचाने ना आए।।
भीष्म द्रोण गुरू कृपाचार्य सब मान बचाने ना आए।
वीर हुए कायरतम अबला आन बचाने ना आए।।

केश पकड़ जब रजस्वला स्त्री पर अत्याचार हुआ।
स्वजन बंधू सब मूक बने पंचाली संग व्यभिचार हुआ।।
उपहास हुआ हर नारी का सब न्याय धर्म पर वार हुआ।
निर्लज्ज सभा के भागी हर एक जन का तय संहार हुआ।।

थे विकर्ण जैसे भी जिसने पाप सभा में सत्य कहे।
विदुर सरीखे नितिकार सब सभा त्याग कर चले गए।।
धृतराष्ट्र सम अंधा राजा दूर्योधन सा अत्याचारी।
था पाखंड धर्म का या फिर थी पांडव की लाचारी।।

जब जब वस्त्र हरण को कोई दुशासन आगे आए।
तव आन मान अधिकारों पर जब जब अंधेरा छा जाए।।
हे स्त्री! तुमको निज रक्षा के हेतु स्वयं जलना होगा।
चंडी काली बनकर निशदिन महिषा मर्दन करना होगा।

तुम जननी सब जग की भर्ता निज शंका का त्याग करो।
वस्त्र हरण को बढ़ते हर दुशासन का तुम नाश करो।।
कृष्ण नहीं आते हर युग में अबला आन बचाने को।
सबला बन तुम स्वयं लड़ो निज आन और मान बचाने को।।

©Jupiter and its moon कृष्ण नहीं आते हर युग में!

 पांच पति पांचाली के अभिमान बचाने ना आए।
अपमानित होती नारी का सम्मान ना बचाने ना आए।।
भीष्म द्रोण गुरू कृपाचार्य
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