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ओम भक्त "मोहन" (कलम मेवाड़ री)
बालक मेरी दुनियाँ है,,यही है मेरे ईश्वर,,,,मेरे भगवान बालको मे है,,,,
बालक मेरी दुनियाँ है,,यही है मेरे ईश्वर,,,,मेरे भगवान बालको मे है,,,,
read morePriyanka Jaiswal
बालकामगार मी बालकामगार मी तुम्हाला काय सांगू माझी व्यथा, बालमजुरी करणे गुन्हा आहे, असेच म्हणते सारी जनता पण बालमजुरी करायची मी, का थांबाऊ सांग, त्याच्याशिवाय कशी विझेल, आमच्या भुकेची आग.. अंथरुणाला खिळून बाबा माझे झोपले आहे... 4 पैशांसाठी आई माझी, लोकांच्या घरी भांडी घासत आहे... लहान आहे बहीण खूप, कशी भागऊ सांगा तिची भूक... बघून माझ्या आईचे हाल, कप बश्या धुतो मी टपरीवर, हातभार लावण्यासाठी तिला, गजरे विकतो कधी सिग्नलवर.. आमच्याकडे बघून कोणी दाखवतो सहानुभूती, तर कोणी निघून जातो रागात... खूप काही सहन करावं लागत, जीवन जगण्यासाठी या जगात.. मुलांना श्याळेत जाताना बघून, वाटतो त्यांचा हेवा.. अशी ही गरिबी आम्हालाच का दिली तू देवा.... खेळण्याचे,शिकण्याचे वय आमचे, पण बालपण हे आमचे कधीच संपून गेले, सांग ना रे देवा अशे किती गुन्हे आम्ही केले... कशी समझवू मी तुम्हाला, परिस्थिती माझ्या मनाची... फक्त एकच दिवस नका दाखऊ मया,ठेऊन स्टेटस् मोबाईल वर बालकामगार दिनाची... ©Priyanka Jaiswal #बालकामगार मी
jawed
आए बादल (बाल कविता) देखो देखो आए बादल नील गगन में छाए बादल लहराए बल खाए बादल मस्ती में इतराए बादल सुन कर झूमे जिस को बच्चे ऐसा गीत सुनाए बादल प्यास बुझाने इस धरती की दूर गगन से आए बादल बच्चे हों या जवान बूढ़े सब के मन को भाए बादल आसमान में देखो बच्चो क्या क्या रूप दिखाए बादल बारिश आई दोडो बच्चो उमड़ उमड़ कर आए बादल ✒️जावेद अहमद जावेद ( बाभळी, दर्यापूर 7798186677) ©jawed #बालकविता #bestfrnds
Arun V Deshpande
नमस्कार- आज एक बालकविता सादर - ****** कविता -आईचे सांगणे ------------------------- सकाळ सकाळी सांगणे आईचे उशीर लावू नये वेळेवर करावे थोडं खाऊनी जा दूध पिऊनी जा रिकाम्या पोटी बाहेर न जावे अभ्यास करावा नियमितपणे लिहिणेवाचणे सतत असावे भल्याचे सांगती सदा आई-बाबा उद्धटपणाचे बोलणे नसावे वाईट वागू नये छानच वागावे ------------------------------------ कविता- आईचे सांगणे -अरुण वि.देशपांडे- पुणे. 9850177342 --------------------------------------- बाल जल्लोष प्रकाशित 12-5-2021 ©Arun V Deshpande बालकविता #droplets
बालकविता #droplets #Knowledge
read morevinay vishwasi
हम बालक भोले - भाले हैं। चाहे गोरे हैं या काले हैं। है अपनी अलग सी दुनिया, हम जग में सबसे निराले हैं। छोटे - छोटे से पग हैं अपने, पर्वत पर भी चढ़ने वाले हैं। कोशिश न करो फुसलाने की, हम सबकुछ समझने वाले हैं। डरते नहीं तूफानों से भी हम, कई संकटों को हम टाले हैं। है पास चाबियाँ उनकी भी, जो बंद किस्मत के ताले हैं। मत कम आँकना भूलकर हमें, जज़्बा दिल में अनेक पाले हैं। नहीं रूकने वाले अब हम , बस धारा - सा बहने वाले हैं। दिनांक - 05/04/2019 #बालकविता #विश्वासी
भारद्वाज
हम निकेतन, हम अनिकेतन हम तो रमते राम हमारा क्या घर, क्या दर, कैसा वेतन? अब तक इतनी योंही काटी, अब क्या सीखें नव परिपाटी कौन बनाए आज घरौंदा हाथों चुन-चुन कंकड़ माटी ठाट फकीराना है अपना वाघांबर सोहे अपने तन? देखे महल, झोंपड़े देखे, देखे हास-विलास मज़े के संग्रह के सब विग्रह देखे, जँचे नहीं कुछ अपने लेखे लालच लगा कभी पर हिय में मच न सका शोणित-उद्वेलन! हम जो भटके अब तक दर-दर, अब क्या खाक बनाएँगे घर हमने देखा सदन बने हैं लोगों का अपनापन लेकर हम क्यों सने ईंट-गारे में हम क्यों बने व्यर्थ में बेमन? ठहरे अगर किसीके दर पर कुछ शरमाकर कुछ सकुचाकर तो दरबान कह उठा, बाबा, आगे जो देखा कोई घर हम रमता बनकर बिचरे पर हमें भिक्षु समझे जग के जन! हम अनिकेतन! #बालकृष्ण शर्मा नवीन जन्मजयंती
#बालकृष्ण शर्मा नवीन जन्मजयंती
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