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Dr. Partibha 'Mahi'

Mukesh Bansode

बालकवि बैरागी #कविता

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Balkishan Jangid

बालकिशन जांगिड #nojotophoto

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 बालकिशन जांगिड

ओम भक्त "मोहन" (कलम मेवाड़ री)

बालक मेरी दुनियाँ है,,यही है मेरे ईश्वर,,,,मेरे भगवान बालको मे है,,,,

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 बालक मेरी दुनियाँ है,,यही है मेरे ईश्वर,,,,मेरे भगवान बालको मे है,,,,

Priyanka Jaiswal

jawed

आए बादल (बाल कविता)

देखो देखो आए बादल
नील गगन में छाए बादल

               लहराए बल खाए बादल
               मस्ती में इतराए बादल

सुन कर झूमे जिस को बच्चे 
  ऐसा   गीत सुनाए  बादल

              प्यास बुझाने इस धरती की
              दूर गगन से आए बादल 

बच्चे हों या जवान बूढ़े
 सब के मन को भाए बादल

              आसमान में देखो बच्चो
               क्या क्या रूप दिखाए बादल

बारिश आई दोडो बच्चो
उमड़ उमड़ कर आए बादल


✒️जावेद अहमद जावेद
   ( बाभळी, दर्यापूर 7798186677)

©jawed #बालकविता
#bestfrnds

Arun V Deshpande

बालकविता #droplets #Knowledge

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नमस्कार- आज एक बालकविता सादर -
******

कविता -आईचे सांगणे
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सकाळ सकाळी
सांगणे आईचे 
उशीर लावू नये
वेळेवर करावे 

थोडं खाऊनी जा
दूध पिऊनी जा
रिकाम्या पोटी
बाहेर न जावे

अभ्यास करावा
नियमितपणे
लिहिणेवाचणे
सतत असावे  

भल्याचे सांगती
सदा आई-बाबा
उद्धटपणाचे 
बोलणे नसावे

वाईट वागू नये 
छानच वागावे
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कविता- आईचे सांगणे
-अरुण वि.देशपांडे- पुणे.
9850177342
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बाल जल्लोष प्रकाशित 12-5-2021

©Arun V Deshpande बालकविता

#droplets

Dev Maurya

बालकविताकविता

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vinay vishwasi

हम  बालक  भोले - भाले  हैं।
चाहे   गोरे   हैं   या  काले  हैं।
है  अपनी  अलग  सी  दुनिया,
हम  जग  में  सबसे निराले हैं।
छोटे - छोटे  से पग  हैं  अपने,
पर्वत  पर  भी चढ़ने  वाले  हैं।
कोशिश न करो  फुसलाने की,
हम  सबकुछ समझने वाले हैं।
डरते  नहीं  तूफानों से भी हम,
कई  संकटों  को हम  टाले हैं।
है  पास  चाबियाँ  उनकी  भी,
जो  बंद  किस्मत  के  ताले हैं।
मत कम आँकना भूलकर हमें,
जज़्बा दिल में अनेक पाले हैं।
नहीं  रूकने  वाले  अब  हम ,
बस धारा - सा  बहने वाले  हैं।
दिनांक - 05/04/2019 #बालकविता 
#विश्वासी

भारद्वाज

#बालकृष्ण शर्मा नवीन जन्मजयंती

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हम निकेतन, हम अनिकेतन
हम तो रमते राम हमारा क्या घर, क्या दर, कैसा वेतन?

अब तक इतनी योंही काटी, अब क्या सीखें नव परिपाटी
कौन बनाए आज घरौंदा हाथों चुन-चुन कंकड़ माटी
ठाट फकीराना है अपना वाघांबर सोहे अपने तन?

देखे महल, झोंपड़े देखे, देखे हास-विलास मज़े के
संग्रह के सब विग्रह देखे, जँचे नहीं कुछ अपने लेखे
लालच लगा कभी पर हिय में मच न सका शोणित-उद्वेलन!

हम जो भटके अब तक दर-दर, अब क्या खाक बनाएँगे घर
हमने देखा सदन बने हैं लोगों का अपनापन लेकर
हम क्यों सने ईंट-गारे में हम क्यों बने व्यर्थ में बेमन?

ठहरे अगर किसीके दर पर कुछ शरमाकर कुछ सकुचाकर
तो दरबान कह उठा, बाबा, आगे जो देखा कोई घर
हम रमता बनकर बिचरे पर हमें भिक्षु समझे जग के जन!
हम अनिकेतन! #बालकृष्ण शर्मा नवीन जन्मजयंती
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