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Mehfil-e-Mohabbat
ग़रीब शख़्स को मिलता नहीं किसी भी तरह ये इश्क़ हो गया सरकारी नौकरी की तरह ©Mehfil-e-Mohabbat ✍️♥️ हिलाल बदायुनी♥️✍️
Alisha Phillips
उस ख़ुदा ने मेरी तकदीर में ये बेकसी लिखी है , वरना मुंतज़िर तो मै भी इस रात का रहता हूं । ईद मुबारक ✨ हिलाल ए ईद - ईद का अर्ध चंद्र Open for collab 🌸 Pic source - Pinterest Thank you Akshat Mitra for giving me invitation with yo
SURAJ आफताबी
हवेली-ए-ह़ुस्न में दरीचा-ए-खु़ल्द़ है नाफ़, जहाँ मणि-अ-फिरदौस चमकती है साफ ! दावत-ए-मोहब्बत में जायका-ओ-लज्ज़त है नाफ़, मेरे खयाल-ए-हयात का मुस्काता तस्स्वुर है नाफ़ ! तफ़्सील-ए-हुस्न में हिलाल-ए-आसमाँ है नाफ़, ऐसे में खुदाया "आफताब" को हो इक गुस्ताखी माफ ! नाफ़- नाभि खुल्द़ - स्वर्ग तफ्सील- विवरण, description हिलाल- नया और आखिरी चाँद #urdu #gazal #shayari #hindiurdu #yqbhaijan #yqdidi #nazm #sur
Ashiq Momin
तुम जियो हज़ारों साल, करो सालों साल धमाल तुमने किया है ऐसा कमाल, चमकाया लेखक का हिलाल जलने वालों की काटदो चाल, ठोंको उनके पाँव मे नाल तुमने लेखक का किया खयाल, यौरकोट जियो हजारों साल हिलाल - चाँद 🎀 Challenge-309 #collabwithकोराकाग़ज़ ❤ योरकोट को जन्मदिन की हार्दिक शुभकामनाएँ ❤ ❤ आज के विजेता को एक साल का प्रीमियम सबस्क्
Darshan Raj
हम बीमार का हाल क्या बताएं । दिल में भी है मलाल क्या बताएं । जैसे हालात थे वैसे हालात नहीं । हैं सवाल ही सवाल क्या बताएं । टूट जाती हैं फंदे की रस्सियां । हो गया जीना मुहाल क्या बताएं । आया है मुसाफिर शहर में जबसे । आता नहीं ख़्याल क्या बताएं । ख़रीद नहीं पाता मोहब्बतों को । जेबें हो गई हैं कंगाल क्या बताएं । होने लगी बारगाहें जबसे छत पर । दिखता नहीं हिलाल क्या बताएं । उसके जाने का अफ़सोस न रहा । क़रीब आ गया ज़वाल क्या बताएं । दो-चार दिन की यादें बची रह गई । हाय! ये कैसा है बवाल क्या बताएं । ©Darshan Raj #a #gazal #nazm #bazm_e_nazm #bazm_e_urdu #Darshan_Raj #Shayar #shayri #rekhta #Nojoto बारगाहें=दरबार, सदन ,राजसभा हिलाल=छोटा चांद या नन्न
शिखर सिंह
शाख से टूट भी जाये तो, हम वो गुल है, उजडें हुए बाग़, रोशन है जिनसे। आसमान से उतर भी जाये तो, हम वो हिलाल है, कई ज़मीनी सितारे, गुलशन हैं जिनसे। -शिखर सिंह और अनामिका ठाकुर शाख से टूट भी जाये तो, हम वो गुल है, उजडें हुए बाग़, रोशन है जिनसे। आसमान से उतर भी जाये तो, हम वो हिलाल है, कई ज़मीनी सितारे, गुलशन हैं जिनसे
Kavita Bacchavad
#RDV19 वो इस तरह से क़ायम है मुझमें.... जैसे हिलाल-ए-ईद हो.... तेरा ज़िक्र हो रहा है मुझमें.... जैसे इब्तिदा-ए-इश्क़ हो...... - कविता बछाव
talvindra_writes
देखों आसमां में, ईद का चाँद आया हैं साथ में अपने, रिश्तों की सौग़ात लाया हैं । ख़ुदा, ना धन से मानेगा, ना धनवान से मानेगा सच्चे दिल से जो कर्म करेगा, वो उसकी बात मानेगा । चिराग़, तुम दिलों के जलाना, काफ़िर को दूर भगाना अपनों के साथ, अब हरदिन को तुम ईदगाह बनाना । अब सारे गमों को, तुम अपनी जिंदगी से हटाना भुलाना अपने-पराये सबको, तुम सच्चे दिल से गले लगाना । खोलकर अपनी बाहें, तुम सबको गले लगाना अपने दुश्मनों को, तुम सदा के लिए भूल जाना । अपने मंसूबो को तुम, सदा नेक रखना अपनी ज़ुबा को तुम, अपने क़ाबू में रखना । ईद का चाँद तुम्हें, बस इतना बताने आया हैं, अपने गिले-शिकवे भुलाकर, सबको गले लगाना हैं । ख़ुश हो हमसब, देखकर ईद का हिलाल पोशाकें पहनकर हम, सुनहरी-सफ़ेद-लाल । इस शब-ए-रात में, तुम भुलकर कलाल न रखना दिल में कोई मलाल, फ़िर सबको कहना... । ईद मुबारक..........ईद मुबारक । talvindra_writes देखों आसमां में, ईद का चाँद आया हैं साथ में अपने, रिश्तों की सौग़ात लाया हैं । ख़ुदा, ना धन से मानेगा, ना धनवान से मानेगा सच