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Anamika Nautiyal
मृत्यु मेरा वरण करने से पूर्व जान लेना मेरी अभिलाषाएँ, पूर्ण हैं या रिक्त रह गई मेरी मानवीय परिभाषाएँ। क्या निभा पाई हूँ उत्तरदायित्वों को भली प्रकार, क्या कभी बनाया है स्वप्नों का संसार; अल्प समय देना,कर सकूँ सबका आभार। क्या हूँ मैं तुम्हें आलिंगन करने योग्य , क्या मेरा उद्देश्य पूर्ण हो गया है। क्या किया है सिक्त, मैंने लहू से लक्ष्य को। यदि नहीं ख़री उतरती हूँ मैं , तुम्हारे मानदंडों पर । हे मृत्यु ! त्यज देना मुझे, अनाम रहने के लिए। मृत्यु पर बस नहीं चलता 🙃 #अनाम #अनाम_ख़्याल #रात्रिख़्याल #मृत्यु_मेरा_वरण_करने_से_पूर्व
Mritunjay Tiwari
ये रात भी क्या खूब हैं, सबको सुलाकर... हमसे बात करती हैं...! ❣️🙂🤘🏻 ©Mritunjay Tiwari #मृत्युंजय_तिवारी #शायरी_मृत्युंजय_की_कलम_से #mritunjay_tiwari #मृत्युंजय #mritunjay_quote #Moon
HANAMANT YADAV (कवीराज)
मृत्युतांडव... मृत्युतांडव शिरी नाचते घोट मृत्युचा होवू नको रे. अदृष्य हा सैतान विखारी शिकार त्याची होवू नको रे... घाबरायचे मुळीच नाही, घाबरवयाचे कुणास नाही. विजयी होणार वीर जरी तू फुकाच गाफील राहू नको रे... सुरक्षीततेचा मार्ग खरा, स्वछता हाच पर्याय बरा. एकल्याच्या बेशिस्तीने कुटूंबास संकटी लोटू नको रे... निघेल यातून मार्ग खरोखर किरण आशेचा सोडू नको रे. कोपलेल्या नियतीचा तू घास कोरडा होवू नको रे... बघ रस्तांवरती पोलीसांच्या उरी काळजीचा सूर आहे. घरदार सोडले त्यांनी देशा आज्ञा त्यांची मोडू नको रे... दैवते झाली सेवक सारी, डाॅक्टरांचे रूपे धावून आली. लढतायेत सारे प्राणपणाने तू उगाच गर्दीत जावू नको रे... लहानांसवे थोर उठले सफाईगार ते रायबहादुर सारे सुटले. रात्र ही झालीय दिवस त्यांना,तुटेतोवर त्यांना छळू नको रे... शस्त्रावीण ही असे लढाई, सारे मिळूनी चल करू चढाई. संयम हाच उपाय यावर, परीक्षा विषाची तू घेवू नको रे... कवीराज (हणमंत यादव) ९०२१०३४९१७. कराड. मृत्युतांडव...
Abhay Bhadouriya
जब मृत्यु निकट खड़ी होगी और खोला जाएगा कर्मों का बहीखाता, होगा हिसाब शेष बचे कर्मों का तब केवल "धर्म" ही होगा मेरा एकमात्र "सहचर" #मृत्यु #मृत्युंजय #महादेव #कर्मफल #yqhindi #yqdidi #प्रेम #abhaybhadouriya
Parasram Arora
ज़ब कब्र क़ेधरातल पर हरी घास का उगना हुआ लगा गुमशुदा जिंदगीका जैसे फिर से आना हुआ ज़ब भी मन हुआ कदमो क़े नक्शे बनाने का लगा मेरे सफऱ का अबजाकर समापन हुआ विषाद क़े विष बुझे तीर का ज़ब भी मेरी तरफ आना हुआ घायल हुआ ह्रदय और मेरा पीड़ा से साक्षत्कार हुआ जिस दिन उस बिलखाती सांझ क़े मंजर को. मैंने देखा लगा मेरे जीवनके स्वामी उस मृत्यु दूत का आना हुआ ©Parasram Arora मृत्युदूत......
dilip khan anpadh
मृत्युदूत ------- मृत्युदूत जब आता है, जीवन थर-थर, थर्राता है, फिर लोभ कँहा,फिर दोष कँहा फिर धन दौलत का जोश कँहा फिर कँहा रहती सुंदर काया फिर साथ कँहा अपनी छाया। वो धमक-धमक कर आता है पलभर में सब हर जाता है, हो राजमहल या फिर कुटिया हो कोई जवां या फिर बुढ़िया हो उपकारी,या अपकारी हो डाकू,वैद्य या ब्रह्मचारी खड्ग बड़ा उसका भारी आनी है सबकी बारी। वो निरंकार वो निर्भय है वो चिरकाल से अक्षय है वो रहता पल पल संग तेरे वो जीवन पथ का निश्चय है। इस निश्चय को जान तो लो न तेरा है ये मान तो लो फिर अहंकार फिर द्वेष कँहा फिर संचय का उद्देश्य कँहा जो उसका है वो ले लेगा फिर रहता तेरा अवशेष कँहा। एक शून्य महज रह जाता है मृत्युदूत जब आता है जीवन थर-थर थर्राता है दिलीप कुमार खाँ-अनपढ़ #मृत्युदूत
Harendra Singh Lodhi