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Rajeev Kumar
#CTK -Funny 0r Die
इश्क़ का अंजाम -------------- हाँ दिल पत्थर है मेरा तभी जो टूटा फिर जुड़ा नहीं ☘️🍀☘️ भाव:- धातु (metal) वेल्डिंग कर जोड़ी जा सकती है, मांस-पेशियों को स्टीच (टाँका) दिया जा सकता है, हड्डी को प्लास्टर किया जा सकता है बस एक पत्थर
Harshit Pranjul Agnihotri
ये जो शहतीर है पलकों पे उठा लो यारों अब कोई ऐसा तरीका भी निकालो यारों दर्दे—दिल वक़्त पे पैग़ाम भी पहुँचाएगा इस क़बूतर को ज़रा प्यार से पा #Shayari #dushyantkumar #best_poetry #electiontime
read moreअनुज
मां, कोख में मुझको मत मारो पुत्री होने में गलती क्या.. (कृपया अनुशीर्षक पढ़ें) ©अनुज मां, कोख में मुझको मत मारो पुत्री होने में गलती क्या, पुत्र अगर होता कोख में, तुम रानी जैसी चलती क्या, मेरा भी जीवन व्यर्थ नही, मेरा भी जी
Gopal Lal Bunker
पिता ~~~~ माता जननी सबके तन की। सौगात हुई जो जीवन की।। पिता जनक हो इस जीवन का। भगवान हुआ है तन मन का।। 🔸🔸🔸 पिता जनक हो पिता कहाया। बच्चों को क्या खूब सुहाया।। तुतलाहट पर खुद को वारे। करे जतन सब हँसकर प्यारे।। 🔸🔸🔸 [ कृपया अनुशीर्षक में पढ़ें ] @ गोपाल 'सौम्य सरल' लगा गले मुस्कान सँवारे। लाकर देता चाँद सितारे।। साथी हो बचपन को तारा। किया बड़ा हो पालनहारा।। 🔸🔸🔸 सत्य जगत का बतलाता है। नर की पहचान कराता है।। नर बनता है कैसे दानव। नर बनता है कैसे मानव।। 🔸🔸🔸 कर्म भूमि है जीवन सारा। कर्ता बनता है जग तारा।। कथनी प्रिय हर जन दुख पाये। कर्म हीन हो वह मर जाये।। 🔸🔸🔸 गुण अवगुण है सभी बताता । जीवन का है पाठ पढ़ाता।। सुख की सेज नहीं है जीवन। करना पड़ता है सुख सीवन।। 🔸🔸🔸 होता है पिता पीर हरता। हर परिजन के दुख मरता।। मरकर भी वह खुश होता है। सुख चैन सभी निज खोता है।। 🔸🔸🔸 पिता नाम है बलिदानी का। यश है संतान कहानी का।। दर्द पिता का पितु हो समझो। सुलझाकर मुकरी फिर उलझो।। 🔸🔸🔸 पिता चरित की सरल कहानी। होता है जो घर की मानी।। चलते हैं जिस पर घर परिजन। मान पिता को सारे अभिजन।। 🔸🔸🔸 @ *गोपाल 'सौम्य सरल'* #चौपाई #पिता #पितृदिवस #कोराकाग़ज़ #चौपाई #चौपाई_छंद #glal #yqdidi [ चौपाई: 20/06/2022 ]~ ~~~~~~~~~~~~~~ पिता ~
Anamika Nautiyal
मधुप गुन-गुना कर कह जाता कौन कहानी यह अपनी लगता है मानो सुना रहा कोई अनकही दास्तान अपनी। किसी छोर पर इस ब्रह्मांड के क्या मैं कहीं मायने रखता हूँ अनेक आकाशगंगाओं के मध्य क्या कहीं मैं दिखता हूँ। क्या संचित किया जीवन में जो मैं तुमको सुना सकूँ कहो किस प्रकार मैं अपना रेखाचित्र दिखा सकूँ। कुछ ठोकरें और असफलताएँ केवल यही पास है बताओ क्या तुम्हें मुझसे अब भी कोई आस है। सूक्ष्म से जीवन में अपने मैंने कहाँ कुछ देखा है छोटी-छोटी असफलताओं से ही तो मैंने सीखा है । मधुर स्मृतियों के दिवस यदि कभी में झाँक आऊँ आज वर्तमान में मैं स्वयं को विषाद से घिरा पाऊँ । वह रूपवती जो सपनों में मैं देखा करता था उसके स्नेह तले ही तो सीप मोती में ढ़लता था। उन स्वर्णिम क्षणों के अतिरिक्त अब क्या मेरे पास है देह अस्थियों का पिंजर, मात्र उसमें श्वास है। शाख से टूटी पत्तियों की भाँति मेरा जीवन है वस्त्र कोई फटा हुआ उधडी़ हुई सीवन है। चलो मैं मौन हूँ तुम ही अपनी बात कहो ऊर्जा युक्त उषाकाल चाँदनी वाली रात कहो । आत्मकथा के रूप में क्या सुनाऊँ दास्तान अपने आप से तो मैं स्वयं ही हूँ अभी अनजान। नमस्ते लेखकों❤ तैयार हो हमारी "काव्योगिता" के आखिरी पड़ाव के लिए?! क्या आप कभी कोई कविता पढ़ते है और सोचते है कि अगर मै यह कविता लिखता/ल
नमस्ते लेखकों❤ तैयार हो हमारी "काव्योगिता" के आखिरी पड़ाव के लिए?! क्या आप कभी कोई कविता पढ़ते है और सोचते है कि अगर मै यह कविता लिखता/ल #अनाम #अनाम_ख़्याल
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