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Devesh Dixit
चूमकर अपने वतन की मिट्टी चूमकर अपने वतन की मिट्टी, हिंद की रक्षा को वह चला। धूल चटा कर शत्रु को उसने, टाली वतन के सर से बला। हमको सुरक्षित रखा है उसने, स्वयं ही दुश्मन से जा लड़ा। उन्हें गोलियों से छलनी करके, नाम कर लिया अपना बड़ा। सभी की आँखों का तारा है, देश का अपना वीर जवान। धरती माता भी इसको चाहे, ऐसा ही देखो ये है धनवान। नई - नई वे तरकीब लगाता, रिपु को दे मुंँह तोड़ जवाब। तिरंगे को देख जोश जगाता, पा जाता फिर वह खिताब। चूमकर अपने वतन की मिट्टी, हिंद की रक्षा को वह चला। हो गया छलनी गोलियों से पर, मुश्किल से नहीं वह टला। लड़ते लड़ते बलिदान दे दिया, ऐसा था वो कर्मठ बलवान। तिरंगा भी उससे लिपटा आया, पाया उसने ऐसा सम्मान। ........................................... देवेश दीक्षित ©Devesh Dixit #चूमकर_अपने_वतन_की_मिट्टी #nojotohindi #nojotohindipoetry चूमकर अपने वतन की मिट्टी चूमकर अपने वतन की मिट्टी, हिंद की रक्षा को वह चला। धू
Devesh Dixit
कश्मीर (दोहे) हरी भरी हैं वादियाँ, सुंदर ये कश्मीर। अब तक देखा है नहीं, होता तभी अधीर।। अब तक है मैंने सुना, सुंदरता हर ओर। देखो तुम कश्मीर को, हो न सकोगे बोर।। झरने होते हैं वहाँ, जिनका हो गुणगान। नौका भी घर सी लगे, कैसे करूँ बखान।। उत्पादन इसका बहुत, बना रहा पहचान। तरह-तरह् की वस्तुएँ, दिला रहा सम्मान।। आतंकी हमले बहुत, झेल चुका कश्मीर। अपनी सेना को नमन, रिपु से हर ली पीर।। तब देखो आजाद है, अपना ये कश्मीर। आपस में मिल खा रहे, बाँट-बाँट कर खीर।। देखो जाते घूमने, लेकर मन में चाह। देखेंगे उस दृश्य को, जिसकी पाएँ थाह।। सपनों में देखा करूँ, वो अपना कश्मीर। दिखे वहाँ के लोग भी, दिल के सदा अमीर।। ........................................................... देवेश दीक्षित ©Devesh Dixit #कश्मीर #दोहे #nojotohindi कश्मीर हरी भरी हैं वादियाँ, सुंदर ये कश्मीर। अब तक देखा है नहीं, होता तभी अधीर।। अब तक है मैंने सुना, सुंदरता
Amit Singhal "Aseemit"
रिपु हो जाए यह सारा संसार भले ही तुम्हारा, कभी न छोड़ना अपने नैतिक मूल्यों का सहारा। जीवन में अपने नैतिक मूल्यों से करके समझौता, मनुष्य अपने लक्ष्य को पाने में सफल नहीं होता। ©Amit Singhal "Aseemit" #रिपु #हो #जाए
atrisheartfeelings
प्रबिसि नगर कीजे सब काजा। हृदयँ राखि कोसलपुर राजा॥ गरल सुधा रिपु करहिं मिताई। गोपद सिंधु अनल सितलाई॥ गरुड़ सुमेरु रेनु सम ताही। राम कृपा करि चितवा जाही॥ अति लघु रूप धरेउ हनुमाना। पैठा नगर सुमिरि भगवाना॥ मंदिर मंदिर प्रति करि सोधा। देखे जहँ तहँ अगनित जोधा॥ गयउ दसानन मंदिर माहीं। अति बिचित्र कहि जात सो नाहीं॥ सयन किएँ देखा कपि तेही। मंदिर महुँ न दीखि बैदेही॥ भवन एक पुनि दीख सुहावा। हरि मंदिर तहँ भिन्न बनावा॥ #sundarkand #sunderkand #ananttripathi #atrisheartfeelings #devotional #goodmorning प्रबिसि नगर कीजे सब काजा। हृदयँ राखि कोसलपुर राजा॥ गरल
CM Chaitanyaa
" श्री चैतन्य महाप्रभु " श्री कृष्ण चैतन्य महाप्रभु का प्राकट्य सन् 1486 में फाल्गुन शुक्ल पूर्णिमा को पश्चिम बंगाल के नवद्वीप (नादिया) नामक गाँव में हुआ। यह स्वयं श
अशेष_शून्य
..... अयि गिरि नन्दिनी नन्दितमेदिनि विश्वविनोदिनि नन्दिनुते। गिरिवर विन्ध्यशिरोधिनिवासिनी विष्णुविलासिनि जिष्णुनुते। भगवति हे शितिकण्ठकुटुम्बिनि भ
शब्दिता
ये गाथा है आर्यव्रत की नारियों की जैसे समय रहा वैसा ही श्रृंगार किया... अनुशीर्षक पढ़ें नारी तुम मात्र जननी नहीं तुमने हर युग में नव इतिहास रचा.... याज्ञसेनी के जीवन को देखो यज्ञमय जीवन रहा..... अहिल्या के जीवन को देखो शिला मे
R.S. Meena
सीखो, सीखो जीना सीखो सीखो, सीखो जीना सीखो, सीखो, सीखो जीना सीखो। हर पल कोई साथ चले ना, खुद राहों को पढ़ना सीखो।। संस्कार मिलते नहीं किसी को बाजार में मुखौटा लगाने से, आदत बदलती नहीं किसी की, सागर में डुबकी लगाने से। लेकर चले साथ सबको, साथ छोड़ना कभी ना सीखो। सीखो, सीखो जीना सीखो, सीखो, सीखो जीना सीखो। असंभव नहीं होता बिखरे हुए को संग में लाने का काज, गर होता निर्मल हृदय, तो गैरों संग खोलते अपने राज। निजी हितो को तजकर, सर्वहित के लिए लड़ना सीखो। सीखो, सीखो जीना सीखो, सीखो, सीखो जीना सीखो। मुख से शहद सी बोली निकले, काज करे विष के समान, सद्व्यवहार का पाढ पढ़ाए, जो काज करे रिपु के समान। मित्र बनाओ, तो मित्र संग मन से आचरण करना सीखो। सीखो, सीखो जीना सीखो, सीखो, सीखो जीना सीखो। बगुला चल सके ना हंस की चाल, करले चाहे लाख जतन, जगह बदलकर, नाम बदलकर, करता जाएँ अपना पतन। मोह-माया का साथ करो ना, प्रकृति संग जीना सीखो। सीखो, सीखो जीना सीखो, सीखो, सीखो जीना सीखो। सीखो, सीखो जीना सीखो सीखो, सीखो जीना सीखो, सीखो, सीखो जीना सीखो। हर पल कोई साथ चले ना, खुद राहों को पढ़ना सीखो।। संस्कार मिलते नहीं किसी को
Prakhar Tiwari
प्रबिसि नगर कीजे सब काजा। हृदयँ राखि कोसलपुर राजा॥ गरल सुधा रिपु करहिं मिताई। गोपद सिंधु अनल सितलाई॥1 ॥ ॐ ॐ ॐ ©Prakhar Tiwari प्रबिसि नगर कीजे सब काजा। हृदयँ राखि कोसलपुर राजा॥ गरल सुधा रिपु करहिं मिताई। गोपद सिंधु अनल सितलाई॥1 ॥ ॐ ॐ ॐ #राम #जय_महाकाल #जय_भारत #