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अजनबी
कविता नंबर= 2 शीर्षक : मातृभूमि का जीवन दान आओ हम सब मिलकर एक प्रण करें, कीटनाशक पदार्थ को रोके हरी खाद का प्रयोग करे। सभी लोगो को देना होगा इसका ध्यान, तभी मिलेगा हमारी मातृभूमि को जीवन दान। सभी तरफ हरियाली होगी, हम सब के जीवन में तभी खुशिहाली होगी। आओ हम सब मिलकर एक प्रण करें, कीटनाशक पदार्थ को रोके हरी खाद का प्रयोग करे।। बूढ़े बच्चे और जवान, पॉलिथिन को रोको तभी दिखेगा सुंदर खेत खलिहान। नदियां नालो को देखो तुम, घर का कूड़ा कचरा इधर उधर न डालो तुम। हम सब की ये जिम्मेदारी है, हमने तो शुरू किया है अब तुम्हारी बारी है। परिवर्तन के साथ जागरूक करना भी जरूरी है, नई नवेली पीढ़ी को महत्व बताना भी जरूरी है। आओ हम सब मिलकर एक प्रण करें, कीटनाशक पदार्थ को रोके हरी खाद का प्रयोग करे। # पॉलिथिन का रोकथाम # कीटनाशक दवाओं का रोकथाम #prithvi #हरीभरी
Rakesh frnds4ever
#मौते होने की वजह हैं----- #मास्क, #सैनिटाइजर, #लॉकडाउन, ,,#भुखमरी, ,, #बेरोजगारी, ,,गलत #दवाएं, ,गलत /जहरीले #इंजेक्शन, ,,#जहरीली #वैक्सीन, ,,#डॉक्टर्स, ,#पुलिस, #सरकार,,,,#5g ,,#साइंस, #हॉस्पिटल/बूचड़खाना, #खराब #भोजन, , #यूरिया,#खाद #कीटनाशक #जिंक/#जहर,#मार्केट #प्रोडक्ट ,,असल में ये सब #कोरोना से मौत नहीं बल्कि ,,, इन सभी के द्वारा #मर्डर किया जा रहा है, ,,, ,, @एजेंडा २१,#गुलामी मौते होने की वजह हैं----- #मास्क, #सैनिटाइजर, #लॉकडाउन, ,,#भुखमरी, ,, बेरोजगारी, ,,गलत दवाएं, ,गलत /जहरीले इंजेक्शन, ,,जहरीली #वैक्सीन, #डॉ
Divyanshu Pathak
असाध्य रोगों के दो ही कारण होते हैं। एक विषैला अन्न और विषैले विचार। वैसे तो विचार भी अन्न पर ही निर्भर है। जैसा खावे अन्न, वैसा होवे मन। अन्न को ब्रह्म कहा जाता है। विषहीन अन्न लुप्त प्राय: हो चुका है। #सुप्रभातम #पंछी , #पाठकपुराण , #येरंगचाहतोंके साथ सुबह की शुरुआत करते है काफ़ी दिनों से मैंने अपने मूल प्रकार की पोस्ट नही की अब हाज़िर है थ
Divyanshu Pathak
कृष्ण एक स्वास्थ्य का अभूतपूर्व स्वरूप (सिद्धांत रूप) देश को दे गए- “गाय का, बिलौवणे का,मक्खन खाओ, भले ही चुराकर खाना पड़े।” आज विज्ञान ने उसे भी विषाक्त कर दिया। अन्न को विष बना ड़ाला विदेशी खाद से,कीटनाशक से, उन्नत बीजों से। विज्ञान पैदा नहीं कर पाया शिव, नीलकण्ठ। विष्णु के क्षीर सागर का अमृत भी हो ग
Divyanshu Pathak
विकास के आगे घुटने टेकता जीवन सारी नीतियां पलायनवादी हैं। कोई भी जिम्मेदारी उठाने की क्षमता एवं मानसिकता इनमें नहीं है। तब कौन बचाएगा कृषि और पशुधन? कौन बचाएगा धरती? तब कैसे बच पाएंगे किसान और गांव? प्रकृति से छिटक जाएगा इंसान। कलियुग के बाद प्रलय की पूर्ण तैयारी हो रही है। 22-12- 2018 विकास के आगे घुटने टेकता जीवन #विज्ञान_का_ताण्डव आज हमको #covid_19_march_22_at_8_am_to_9_pm के रूप में देखने को मिला । गुलाब कोठ
Divyanshu Pathak
हमारी संस्कृति-खान-पान, वेश-भूषा, त्योहार देवी-देवता आदि का लोक आधार तो भूगोल ही है। व्यावसायिक उत्पाद नहीं है (कॉमर्शियल क्राप्स)। :💕☕😊😊 खेती में भूगोल की भूमिका ही लुप्त हो गई। बाजरा-मक्का-ज्वार का स्थान गेहूं और चावल जैसे विषैले खाद्यान्न ने ले लिया है। गेहूं के नित नए
Divyanshu Pathak
हम प्रकृति से दूर हो गए। खान-पान भूगोल से कट गया। डिब्बा संस्कृति हमारे विकास का नेतृत्व करने लगी है। इनका एकमात्र कारण है शरीर के प्रति बढ़ता मोह और उसके लिए धन और भौतिक सुखों का बढ़ता महत्व। क्या कोई जादू या वरदान हमें इस कैंसर से मुक्त करा सकता है? Good morning ji 💕👨🍉🍉🍉🍉☕☕☕☕🍹🍹🍹🍹🍉🍉🍉😊🍓🐒👨🙏🌷🌺 : Repost🌷🐒........ : विश्व पर्यावरण दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं 🌷🐒 : विज्ञान कहता है-‘कलियुग के बाद
Divyanshu Pathak
रुपए किलो कैंसर......... : रिपोर्ट कैप्शन में पढ़े यहां साझा करने का औचित्य सिर्फ इतना है कि यहां विचारशील व्यक्तित्व मौजूद है। जानकारी फैलाना मुझे अच्छा लगता है। : गुलाब कोठारी प्रधान संपादक राजस्थान पत्रिका हम प्रकृति से दूर हो गए। खान-पान भूगोल से कट गया। डिब्बा संस्कृति हमारे विकास का नेतृत्व करने लगी है। इनका एकमात्र कारण है शरीर के प्रति बढ़
Divyanshu Pathak
71 साल में देश के लिए जीने का संकल्प तृष्णा के संघर्ष में खो गया। धन मिट्टी भी है, साथ भी नहीं जाता। हम मानवता का जितना भी ह्रास करेंगे, वो कृष्ण का ही होगा। उसने कहा था- ‘ममैवांशो जीवलोके जीवभूत: सनातन:’। #jai_hind #YourQuoteAndMine Collaborating with Pratha Sharan.. मेरी ओर से हिंदुस्तान और उसके चाहने वालों को गणतंत्र दिवस की हार्दिक शुभकामन
Divyanshu Pathak
विज्ञान का ताण्डव - 2 आज विकास के जिस दौर से हम (विश्व) गुजर रहे हैं, वहां किसी युद्ध विराम को सफलता नहीं मिलेगी। न कोई मानवता के इस ह्रास को रोक पाएगा धन भी मिट्टी दिखाई दे जाएगा। विष और संहार के एक ही देव हैं-शिव। आने वाला काल इनके ताण्डव का साक्षी होगा। असाध्य रोगों के दो ही कारण होते हैं। एक विषैला अन्न और विषैले विचार। वैसे तो विचार भी अन्न पर ही निर्भर है। जैसा खावे अन्न, वैसा होवे मन। अन