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Dheeraj saini dheer
कल उसके लिखे दो शब्दों ने दिल पर ऐसा वज्रपात किया जैसे सामने से गले लग कर पीठ पर आघात किया... dheeraj saini dheer... ©Direct Dil se कल उसके लिखे दो शब्दों ने दिल पर ऐसा वज्रपात किया जैसे सामने से गले लग कर पीठ पर आघात किया
Anupama Jha
कैसे सहे एक माँ यह बड़ा आघात? 'आधार' न दिखाने पर हुआ जो बज्रपात! रोते ,बिलखते बच्चा मरा बस कहते.... भात भात..... कैसे सहे एक माँ यह बड़ा आघात? 'आधार' न दिखाने पर हुआ जो बज्रपात! रोते ,बिलखते बच्चा मरा बस कहते.... भात भात..... #आघात #वज्रपात #माँ #भात #y
Poetry with Avdhesh Kanojia
खुलते थे टिकटॉक से, जिनके सोते नैन वज्रपात उन पर हुआ, टिकटॉक हुआ बैन। ✍️अवधेश कनौजिया© #ChineseAppsBan खुलते थे टिकटॉक से, जिनके सोते नैन वज्रपात उन पर हुआ, टिकटॉक हुआ बैन। 🤣🤣🤣🤣🤣🤣🤣🤣🤣🤣🤣 ✍️अवधेश कनौजिया©
Poetry with Avdhesh Kanojia
खुलते थे टिकटॉक से, जिनके सोते नैन वज्रपात उन पर हुआ, टिकटॉक हुआ बैन। ✍️अवधेश कनौजिया© #ChineseAppsBan खुलते थे टिकटॉक से, जिनके सोते नैन वज्रपात उन पर हुआ, टिकटॉक हुआ बैन। 🤣🤣🤣🤣🤣🤣🤣🤣🤣🤣🤣 ✍️अवधेश कनौजिया©
Naimish Awasthi
किससे कहे,किसे यह सुनाए, ह्रदयाघात यह वज्रपात है।। हर मन की यह करुण दशा है, हम सब आगे बढ़कर आये करे उपाय और लाभ उठायें। शिक्षित बने,स्वछता को
Poetry with Avdhesh Kanojia
खुलते थे टिकटॉक से, जिनके सोते नैन वज्रपात उन पर हुआ, टिकटॉक हुआ बैन।। #tiktok #tiktokyq #poetry #poem #poetrycommunity #व्यंग्य #life खुलते थे टिकटॉक से, जिनके सोते नैन वज्रपात उन पर हुआ, टिकटॉक हुआ बैन। 🤣🤣🤣🤣
Mularam Bana
बाड़मेर ज़िले की चौहटन विधानसभा की बाछड़ाऊ की माटी के लाल श्री पीरा राम जी थोरी के जम्मू कश्मीर में शहीद होने पर शत शत नमन। में ईश्वर से शहीद
Anamika Nautiyal
मैं बहुत डरती हूँ उस पल से नहीं ,मैं किसी सुनामी या भूकंप से नहीं डर रही ना मुझे डर है यम का ना मैं डरती हूँ इस पृथ्वी के, इस ब्रह्मांड के नष्ट हो जाने से ये नदी,यह नाले,यह पर्वत सब आफ़त बन टूट पड़े मेरे ऊपर। वज्रपात हो जाए इन पहाड़ों का मेरे ऊपर रेगिस्तान की धूल में मिल जाऊँ मैं कहाँ डरती हूँ भला इनसे हो जाऊँ मैं निश्वास सूख जाए मेरे भीतर का प्राण हो जाने दो मुझे चेतना शून्य। मेरा डर है केवल उस दिन के लिए , जब हो जाएँगी मेरी सारी कल्पनाएँ ख़त्म। मेरा भय है केवल, उस दिन के लिए जब; मेरे पास शब्द नहीं होंगे मेरी अंतिम कविता के लिए। मैं बहुत डरती हूँ उस पल से नहीं मैं किसी सुनामी या भूकंप से नहीं डर रही ना मुझे डर है यम का मुझे तुमसे बिछड़ने का भी डर कहाँ सताता है ना म