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Sneh Lata Pandey 'sneh'
हम तो वो संदल हैं जो महकते रहेंगे। यादों की बगिया में चहकती रहेंगे साथ पल का ही सही पर अहसास हैं ज्यादा-- तेरे दिल में सदा ख़्वाबों की तरह सजते रहेंगे तेरे दिल में घटा बनकर बरसते रहेंगे।। ©Sneh Lata Pandey 'sneh' #हम तो वो संदल हैं
Nitu Singh जज़्बातदिलके
दर्द भी तुम दवा भी तुम आहट सी कोई आए तो लगता है कि तुम हो साया कोई लहराए तो लगता है कि तुम हो जब शाख़ कोई हाथ लगाते ही चमन में शरमाए लचक जाए तो लगता है कि तुम हो संदल से महकती हुई पुर- कैफ़ हवा का झोंका कोई टकराए तो लगता है कि तुम हो ओढ़े हुए तारों की चमकती हुई चादर नदी कोई बल खाए तो लगता है कि तुम हो जब रात गए कोई किरन मेरे बराबर चुप-चाप सी सो जाए तो लगता है कि तुम हो ©Nitu Singh(जज़्बातदिलके) #चिट्ठी दर्द भी तुम दवा भी तुम आहट सी कोई आए तो लगता है कि तुम हो साया कोई लहराए तो लगता है कि तुम हो जब शाख़ कोई हाथ लगाते ही चमन मे
kumaarkikalamse
हुस्न ने ली जब जब अंगड़ाई इश्क़ पर है फिर आफ़त आई जल्वें दिखें हो पर्दा बे -पर्दा लूट गई फिर बदन की रानाई आँखें लिखे कसीदा तलब का सीने की साँसे जैसे मुझमें समाई ख़ुद को होश में रखे कैसे नाफ़ संदली, कमर करिश्माई ज़िस्म पर हो शरारत सुहानी पा- ए -नाज़ुक ने पाजेब हटाई अर्ज़ - ए - मतलब इतनी 'कुमार' हो क़त्ल ऐसे जैसे करे कसाई #paidstory #kumaarsthought #kumaaronlove #erotica_hindi #kumaarerotica #erotica #हुस्नऔरकुमार - रानाई = Beauty / Grace - क़सीदा = A poem
Mayank Sharma
जो तु इतवार को फुर्सत से आ जाती ना कसम से मजा आ जाता कविता की एक झलक नीचे, पसंद आए तो bataiyega, नापसंद हो कुछ किया नहीं जा सकता है, लिखना हम छोड़ नहीं रहे 😁😁😂: "कसम से मजा आ जाता " जो तु इतव
Shree
शाम के हर रंग का रुप है... तो तुमसे है, जिंदगी की बौछार में बहार तो तुमसे है, आग की तपिश में जो आराम है, तुमसे है, बर्फ की ठिठुरन में जो ठंडक है, तुमसे है, आंखों में बसे जो आंसू, इनमें नमी तुमसे है, दिल में चुभे जो कांटे होते महसूस तुमसे हैं, ढ़लते सुरज की रेशमी किरणें रौशन तुमसे, बादलों को डूबोया रास-संदली शाम तुमसे है, क्या कहें कि क्या करें,शब्दों का साथ तुमसे है, देखो ना, इनमें मायने और आवाज़ तुमसे है! शाम के हर रंग का रुप है... तो तुमसे है, जिंदगी की बौछार में बहार तो तुमसे है, आग की तपिश में जो आराम है, तुमसे है, बर्फ की ठिठुरन में जो ठंड
Shree
सुनो प्रेम.. सावन के जटाधारी बादलों की तरह अब तुम आसमान में छा जाओ... सुनो प्रेम.. सावन के जटाधारी बादलों की तरह अब तुम आसमान में छा जाओ... जेठ की दुपहरी से लिया ताप अंजुरी में आड़ी-टेढी खींची टूटी रेखाओं को
Shree
रंग लाल को लाल दिखलाता है, गालों की खिंचन मुस्कान बताता है, आईना झूठा लगे, हां बहुत झूठा है... महफिलों में झूमरों की याद-ए-दरिया.. ठहरा कर शमा संदली बनाता है! आईना झूठा लगे, हां बहुत झूठा है... सुदूर पड़ा सब पहुंच में बतलाता, पहुंच से दूर फिर भी छुआ जो...! आईना झूठा लगे, हां बहुत झूठा है... वक्त पड़ने पर रोशनी को दिन... अंधेरे को गमजदा रात बतलाता है! आईना झूठा लगे, हां बहुत झूठा है... रंग लाल को लाल दिखलाता है, गालों की खिंचन मुस्कान बताता है, आईना झूठा लगे, हां बहुत झूठा है... महफिलों में झूमरों की याद-ए-दरिया.. ठहरा कर
Shree
है ना, कहिए! तुम कोई नहीं हो मेरे, पर हां मेरे सब कुछ हो, अंबर रुठ जाए तो सूरज दिन ठहर जाए तो चंदा वक्त की फ़ेहरिस्त में सबब तुम सुकूं,तुम्हीं एतवार
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शिवाय की सतत शक्ति शिवा से, शाश्वत शिल्प सम समा सरस संदली शशि सी श्रुति ले, समाहित संयोग सा ये संतृप्त स्त्रोत है, संधि सकल समुचित शिवओम सोन सज्ज भस्म भांग धतूरा संग सम्मोहक स्नेह सरिता। डूबो कि उतरो, जैसी जिस श्रद्धा! शिवाय की सतत शक्ति शिवा से, शाश्वत शिल्प सम समा सरस संदली शशि सी श्रुति ले, समाहित संयोग सा ये संतृप्त स्त्रोत है, संधि सकल समुचित