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Sangeeta Kalbhor
मी काय म्हणते.. मी काय म्हणतेय तुला कळतेय कुठे तुझ्या ओसाड मनाला पालवी न फुटे जीव थांबला जीव रमला जीव शमला तू नाही रे , नाहीस ,नाहीस जीव जाणिला सहवासासाठी तुझ्या किती मी हरखायचे नानाविध प्रश्नांच्या उतरंडी मी उरकायचे काय मागितले तुला की तू जड झालास माझ्या शब्दांच्या सलोख्यालाही द्वाड झालास आता नकोय तू आणि तुझ्या प्रेमाचा ओलावा मी बरी आणि बरा रे माझ्या अंतरातला कालवा जमले तर जमव एवढे की मला विसरुन जा आला होतास शलाका बनून वारा बनून सरसरून जा.... मी माझी..... ©Sangeeta Kalbhor #retro मी काय म्हणतेय तुला कळतेय कुठे तुझ्या ओसाड मनाला पालवी न फुटे जीव थांबला जीव रमला जीव शमला तू नाही रे , नाहीस ,नाहीस जीव जाणिला सहव
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गीत लिखे हैं मैंने मन के गीत लिखे हैं मैंने मन के, भावों के सुंदर उपवन के। जहां खिले हैं पुष्प हजारों, महकते हैं वन चंदन के। गीत लिखे हैं मैंने मन के कलमकार वाणी साधक, शब्द सुरीले मोती चुनता। ओज बने हुंकार लेखनी, देशभक्ति के स्वर बुनता। शब्द शिल्प सृजन सारथी, दीप जलाता जन मन में। उजियारा आलोक भरें, घट-घट चंचल चितवन में। गीत लिखे हैं मैंने मन के स्नेह सुधा रस बहती धारा, मोती बरसते प्यार के। अधरों पर मुस्कान मधुर सी, वीणा की झंकार से। गीत गजल दोहा चौपाई, पावन छंदों की फुहार से। मुक्तक मंद मंद मुस्कुराया, मृदु लेखनी की धार से। गीत लिखे हैं मैंने मन के आडंबर से दूर रहा नित ,सत्य का मार्ग अपनाया। शील सादगी समर्पण, किर्तिमान परवान चढ़ाया। राष्ट्रप्रेम में डूबा मनमौजी, गीत रचता मैं वतन के। गाओ मेरे देश प्रेमियों, बोल सुरीले अपने मन के। गीत लिखे हैं मैंने मन के ©Instagram id @kavi_neetesh #Path गीत लिखे हैं मैंने मन के गीत लिखे हैं मैंने मन के, भावों के सुंदर उपवन के। जहां खिले हैं पुष्प हजारों, महकते हैं वन चंदन के। गीत लिख
Ankur tiwari
चलो माना गलत है दहेज़ पर क्या देने से खुद को रोक पाओगे जब भी जाओगे ढूंढने को रिश्ता नौकरी पैसा ओहदा भूल पाओगे कहने को कह तो कह देते हैं सभी कि हैं बुरी बात यूं दहेज़ लेना पर क्या कम पैसे सामान्य नौकरी वाले से अपनी बिटिया की शादी कराओगे सब लोग ढूंढ रहें इस समाज में अपने लिए दौलत मंद दामाद क्या किसी गरीब के साथ तुम अपनी बिटिया का घर बसा पाओगे गर नही तो तुम्हें अधिकार नही हैं दहेज़ के खिलाफ़ बोलने का तुम्हें अधिकार नहीं हैं सारे लड़को को एक ही तराजू पर तोलने का तुम्हें कोई अधिकार नही हैं हम पर यूं बेवजह लांछन लगाने का तुम्हें कोई अधिकार नहीं हैं इस समाज को दहेज़ लोभी बताने का ©® अंकुर तिवारी ©Ankur tiwari #Exploration चलो माना गलत है दहेज़ पर क्या देने से खुद को रोक पाओगे जब भी जाओगे ढूंढने को रिश्ता नौकरी पैसा ओहदा भूल पाओगे कहने को कह तो
vinay panwar
जय श्री कृष्णा🙏 ©vinay panwar माँ तुमसे बिछड़े बरस बीत गए हैं आज फिर आ गई है याद तुम्हारी आज फिर आँखों से मेरी आँसू छलक गए है😥 तुम्हारा भोला सा सुंदर मुखड़ा🤗 तुम्हारी मंद म
Pushpvritiya
बच्चों के स्कूली दाखिला पत्र में व्यवसाय संबंधी विवरणी माता पिता दोनो की मांगी गई...... माता के व्यवसाय में "गृहस्वामिनी" (हाउसवाइफ) ( गृह की अधिष्ठात्री) उल्लेखित किया गर्व से....... अब बारी आई अर्निंग की..कमाई की..... पास खड़े भाई साहब ने कहा..... "ज़ीरो लिख दीजिए"..... भौंहों में एक सिकुड़न.... मस्तिष्क में एक सोच........ और एक मंद मुस्कुराहट के साथ मैंने ज़ीरो लिखा............. वैसे गृहस्वामिनी "पदनाम" तो अच्छा है... किन्तु मानदेय....शून्य... कोई अतिरिक्त भत्ता नही............ न कोई लीव...... और न ही इंक्रीमेंट............ गैस की कीमतें दिन पर दिन गगनचुंबी ही क्यों न हो......... राशन दूध के पैकेटों में एमआरपी की उछाल निफ्टी सेंसेक्स को भी क्यूं न मात दे रही हो....... मासिक इंक्रीमेंट बमुश्किल ही है........ फिर भी तीस दिनों का अंक गणित सटीक बैठा लेती है....... है न 😊 ©Pushpvritiya बच्चों के स्कूली दाखिला पत्र में व्यवसाय संबंधी विवरणी माता पिता दोनो की मांगी गई...... माता के व्यवसाय में "गृहस्वामिनी" (हाउसवाइफ) ( गृह क
Vinod Mishra
MAHENDRA SINGH PRAKHAR
ग़ज़ल :- भक्त को मातु का सहारा है । ज्योति मन में यही जलाया है ।।१ मातु दर्शन मिले खुशी होगी । बस यही शेष और आशा है ।।२ मातु अर्पण किया सुनो जब मन। पुष्प फिर और क्या चढ़ाना है ।।३ सुन लिया है कथा सती माँ की । नाथ पर प्राण देख लो वारा है ।।४ दुष्ट जब भी बढ़े धरा पर माँ । भक्त तुमको तभी पुकारा है ।।५ सिंह पर हो सवार आओ माँ । आपके बिन न अब गुजारा है ।।६ कर चमत्कार देख ले दुनिया । देख तुझको तनय निहारा है ।। आज अरदास सुन जगत जननी । मातु कहके प्रखर बुलाता है ।। ७ १४/१०/२०२३ - महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR ग़ज़ल :- भक्त को मातु का सहारा है । ज्योति मन में यही जलाया है ।।१ मातु दर्शन मिले खुशी होगी । बस यही शेष और आशा है ।।२ मातु अर्पण किया सुनो
Anjali Singhal
KP EDUCATION HD
KP NEWS for the same for me to get the same ©KP NEWS HD श्रीकृष्ण की आरती आरती कुंजबिहारी की,श्री गिरिधर कृष्ण मुरारी की ॥ आरती कुंजबिहारी की,श्री गिरिधर कृष्ण मुरारी की ॥ गले में बैजंती माला, बज