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Anamika Nautiyal
प्रकृति की रक्षा हमारा प्रथम कर्तव्य फिर भी आवश्यक हो गया इस पर देना वक्तव्य स्वार्थी मानव संसाधनों का दोहन करता जाता है प्रकोप दिखाती प्रकृति तब बाद में पछताता है अपने भोजन के लिए करता जीवों का शिकार प्रकृति की रक्षा हेतु उचित है शाकाहार प्रकृति की सुंदरता पर क्यों अंकुश लगाता है रे !मूढ़ मानव तू है दास प्रकृति का,क्यों ऐसा भूल जाता है प्रकृति के साथ सामंजस्य बना कर चलो जननी और बालक के नाते का मान रखो कुछ नहीं हो तुम प्रकृति बिन 'अनाम' रौद्र रूप जो दिखाए सब हो जाए तमाम। #रमज़ान_कोराकाग़ज़ ☘️अंतरराष्ट्रीय जैव विविधता दिवस☘️ 28 वें दिन की रचना
Divyanshu Pathak
बेरोज़गारी --------------- सच तो ये है कि आज का शिक्षित युवा रोज़गार के रूप में सिर्फ़ सरकारी नौकरी को ही देखता है।उसके पास सृजन के विकल्प बहुत ही कम उपलब्ध हैं।हमारा समाज भी उन्हीं लोगों को प्राथमिकता देता है जो सरकारी नोकरी प्राप्त कर लेते हैं। जिन्हें नहीं मिलती बे सभी ख़ुद को बेरोज़गार कहते हैं और भत्ता प्राप्त करने की जुगत लगाते हैं। शेष कैप्शन में पढ़ें बेरोज़गारी ------------ जनसंख्या की दृष्टि से प्रगतिशील भारत दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा देश है।भौगोलिक दृष्टि से सम्पन्न और जलवायु की अनुकूलता
Divyanshu Pathak
हम भारतीय विकास की बड़ी क़ीमत चुका रहे है ! आबादी की बेलगाम बढ़ोतरी अनियंत्रित अनियोजित औद्योगिकी करण ने कई शहरों को पर्यावरणीय नर्क का रूप दे दिया है ! तमाम नगर भी इसी राह पे चल रहे हैं! देश के '88' में से '75' जॉन बुरी तरह प्रदूषित हो चुके हैं ! पवित्र नदियों का पानी पीने तो क्या नहाने लायक भी नहीं रह गया ! Panchhi🐣: सुनो....💕👴 यारा👰💕 क्या हम प्यार इश्क़ मोहब्बत बिरह में उलझ कर भावी जीवन की सम्भावनाओ को भी दम घोंट कर तबाह कर लेंगे ! Panchhi🐣: :आप
Anamika Nautiyal
कोरा काग़ज़ की प्रतियोगिता हम लिखते रहेंगे के लिए टीम काव्यांजलि की नौवें दिन की रचना जिसका शीर्षक है:- इंसान और रिश्ते आज हमारी टीम ने इंस
Anjuola Singh (Bhaddoria)
#anjula #singh #bhadauria देवभूमि उत्तराखंड, एक अविस्मरणीय संस्मरण By ©Anjula Singh Bhadauria नमस्कार/ਸਤਿ ਸ਼੍ਰੀ ਅਕਾਲ/आदाब/Hello दोस्तों, सर्वप्रथम आप सबसे अनुरोध है
Shakti Singh
प्रकृति में विविधता एक मूल्य सत्य है उसी प्रकार मानवीय सोच मे , धर्म में, कर्म मे भी विविधता हैं। इसलिए किसी एक को मानने वाली नीति के पीछे खड़े होकर सही या ग़लत का फैसला नही किया जा सकता है। . . . .. . . . . . ©Shakti Singh विविधता #blindtrust