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Divuu.writes
जाओ ढूंढ लाओ कोई काला जादू मुझे वश में करने को मुझ पर प्रेम से अलग कोई टोटका असर न करेगा ©Divuu.writes #girl कोई टोटका
सुसि ग़ाफ़िल
सिगरेट के टोटके जैसा हो गया है , इश्क कहीं पर भी चूस कर फेंक दिया जाता है। टोटका - जब सिगरेट पीने के बाद अंतिम पलों में वह फिल्टर रह जाता है जिसे हम पैर के नीचे मसल देते हैं । सिगरेट के टोटके जैसा हो गया है , इश्
Anuj Jain
तीसरा दिन था आज की मिनती परेशान हो गयी थी। उसकी हालत पागलों की तरह हो गयी थी कि कहीं भूत प्रेत का साया या कोई जादू टोटका तो नही था। पिछले दो दिनों से ठीक सुबह के दस बजे , दोपहर के 2 बजे और शाम के 6 बजे उसके घर में घंटी बजती थी। पूरी कहानी अनुशीर्षक में Anuj Jain तीसरा दिन था आज की मिनती परेशान हो गयी थी। उसकी हालत पागलों की तरह हो गयी थी कि कहीं भूत प्रेत का साया या कोई जादू टोटका तो नही था। पिछले दो
Ish Kumar King
कृपया अनुशीर्षक देखिये- बेशक़ 'धोखा' आसानी से मिल जाता है, कई बार हमारे साथ ऐसा होता है कि हम किसी व्यक्ति पर विश्वास करते हैं और वह व्यक्ति हमे धोखा देता है, धोखा द
AB
.... पता नहीं क्यूँ दिल और मन दोनों ही साफ होने के बावजूद हम किसी सदमे में क्यूँ जी रहे होते हैं. हुआ कुछ नहीं होता है फिर भी ये फालतू का सोचना औ
Madhav Jha
हाँ मगर ये भी है कि अथाह हों भी तो केवल इतनी की जिसमें केवल धर्मानुसार ज़िन्दगी जी जीने की मांग हो उस ऊपरवाले से क्योंकि यदि जन्म मिला है, वो भी ऐसी पृष्टभूमि लिखकर की बाद में कौन अपना है कौन नहीं ये ज्ञात हो एवं हर क्षण ये लगे के मेरी क्या ग़लती की जन्म मिला और ये बतलाया गया कि तुम तो अकारण ही आ गए, हमें तो एक कन्या चाहिए थी तो इसमें एक की ज़िन्दगी और भाग्य को कुंठित करते हुए माना कि भगवान को क्यों दोष भाग्यशाली नहीं हुए तो भाग्य को क्यों दोष देना, क्योंकि हर पल झेला ही तो है, माता पिता सेज संबंधियों में प्यार और अपनेपन को सिर्फ ऊपरी सतह पे ही तो देखा है और ख़ुद महसूस करते हुए पिता के द्वारा या मां की ममता से परिपूर्ण उस लाड़ और प्यार को भले महसूस किया मगर यहां ये प्रश्न नहीं यहां ये प्रश्न है कि जब समूचे कुल का भाग्य ही भंग है तो हमारी पीढ़ी का क्या दोष, जो नियति है वो सब हो रहा है और होता रहेगा, इसलिए मैं किसी एक मज़हब समुदाय या कुल में मर्यादा और उससे उससे उपजित सिर्फ एकाकी धर्म और आचार विचार को न मानते हुए यदि अपनी जीवनशैली का मापदंड रखते हुए अगर सर्व विश्व का हुआ और मन मेरा किसी एकाकी धर्म य्या जात य्या पात से लगाव न रखते हुए सर्वधर्मसभाव का भाव रखूं और बाह्य दुनिया को समझता हूं और अपने आपको ढालता हूँ और इसमें यदि मेरा अपना समाज या अपने ख़ून के रिश्ते के लोग ही मुझे समझाते हैं..... तो बताइए फिर भी में गलत हूँ सबके लिए ख़ासकर के अपने ही परिवार के लिए जिन्होंने मुझे कभी आंतरिक स्पष्टता से समझा ही नहीं और न ही आंतरिक तौर पे
Aprasil mishra
"नारी अस्मितायें एवं सामाजिक सुरक्षा" एक वीभत्स अपराध के साये में आज हमारा शहर भी जीने को अग्रसर हो रहा है।अशिक्षा एवं बेरोजगारी में उर्ध्वगामी सर
Aprasil mishra
"नारी अस्मितायें एवं सामाजिक सुरक्षा" एक वीभत्स अपराध के साये में आज हमारा शहर भी जीने को अग्रसर हो रहा है।अशिक्षा एवं बेरोजगारी में उर्ध्वगामी सर