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Dr. Alpana suhasini

जूही चंपा टेसू और कचनार की बातें करें #HeartfeltMessage #शायरी

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Swarima Tewari

एक और हिंदी में "कच्ची थी कच्चे कचनार की कलम"😁 Here, कलम= A gardening technique Try to repeat both for 10 times😉 #tonguetwister Kamran Hamid #Humour #yqbaba #challengeaccepted #tounguetwister

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Accept all the expectations, except from the expectation's expert एक और हिंदी में "कच्ची थी कच्चे कचनार की कलम"😁
Here, कलम= A gardening technique
Try to repeat both for 10 times😉
#tonguetwister Kamran Hamid

ragini sharma

*दोहे* --------- 🍃🍁 ओढ़ी चूनर प्रीत की, किया साज शृंगार। पायल पहनी नेह की ,दिया हृदय उपहार 🍁🍃 वेणी गूँथी पीर की, रेशम -रेशम प्यार । तनमन सुर

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*दोहे*
---------
🍃🍁
ओढ़ी चूनर प्रीत की, किया साज शृंगार।
पायल पहनी नेह की ,दिया हृदय उपहार
🍁🍃
 वेणी गूँथी पीर की, रेशम -रेशम प्यार ।
तनमन सुरभित हो गया,खिली कली कचनार
🍁🍃
हुई अलंकृत रागिनी,पाया प्रीतम प्यार ।
बाहों के बंधन कसे,अधर सुर्ख गुलनार
🍁🍃
मन से मन ने नेह के ,लिखे अनगिनत छंद ।
धड़कन ने भी लिख दिये,नये गीत के बंद ।

*रागिनी स्वर्णकार(शर्मा )*
इंदौर* *दोहे*
---------
🍃🍁
ओढ़ी चूनर प्रीत की, किया साज शृंगार।
पायल पहनी नेह की ,दिया हृदय उपहार
🍁🍃
 वेणी गूँथी पीर की, रेशम -रेशम प्यार ।
तनमन सुर

MAHENDRA SINGH PRAKHAR

प्रेम नही होता जो जग में , चुभते शूल हजार । वन-वन भटके प्राणी फिर तो , मिले नही कचनार ।। प्रेम प्रकृति में प्रेम शज़र में , प्रेम प्राण आधा #कविता

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प्रेम नही होता जो जग में , चुभते शूल हजार ।
वन-वन भटके प्राणी फिर तो  , मिले नही कचनार ।।

प्रेम प्रकृति में प्रेम शज़र में , प्रेम प्राण आधार ।
प्रेम नाम है पावन प्रभु का , जिसमें शक्ति अपार ।
श्याम भजन अब निशिदिन होता  , यही प्रेम का सार
प्रेम नही होता जो जग में , चुभते शूल हजार ।।

प्रेम नही कोई छल पाया , छले प्रेम से आज ।
प्रेम की दुर्बल न है माया , बने प्रेम से काज ।
झर-झर निर्झर बहती गंगा, धूले पाप संसार ।
प्रेम नही होता जो जग में , चुभते शूल हजार ।।

प्रेम भक्ति है प्रेम शक्ति है , नही प्रेम आकार ।
प्रेम मधुर बंधन वो बाँधें , तोड़े क्या संसार ।
यहाँ प्रेम की मोती बनकर , बनतें है परिवार ।
प्रेम नही होता जो जग में , चुभते शूल हजार ।।

वन-वन भटके फिर तो प्राणी , मिले नही कचनार ।
प्रेम नही होता जो जग में ,चुभते शूल हजार ।।

०७/११/२०२२    -       महेन्द्र सिंह प्रखर

©MAHENDRA SINGH PRAKHAR प्रेम नही होता जो जग में , चुभते शूल हजार ।
वन-वन भटके प्राणी फिर तो  , मिले नही कचनार ।।

प्रेम प्रकृति में प्रेम शज़र में , प्रेम प्राण आधा

Pnkj Dixit

💓🌳💓 प्यार में मुझे पुकार लेना कचनारी होंठों से मेरा नाम लेना मेरी मुस्कराहट को तेरे चेहरे पे थाम लेना अनकहे अनसुने लफ्ज़ #me #you #ishq #ज़िन्दगी #कविता #nojohindi

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💓🌳💓
प्यार में 
मुझे पुकार लेना
कचनारी होंठों से 
मेरा नाम लेना
मेरी मुस्कराहट को
तेरे चेहरे पे थाम लेना
अनकहे अनसुने लफ्ज़
कोरे कागज़ पर उतार लेना
बड़े चाव और अदा ओ अंदाज़ में
दिल को छू लेने वाला एहसास
आँखों से आँखों में रू-ब-रू करा देना
तुम्हीं ने सिखाया, तुम्हीं ने जताया
कैसे एक दूसरे को अपनाया जाए...
सुनो! तुम अपने से नहीं;
अपनेपन में अपने बनने लगे हो।
🌷👰💓💝
...✍️कमल शर्मा'बेधड़क'

©Pnkj Dixit 💓🌳💓
प्यार में 
मुझे पुकार लेना
कचनारी होंठों से 
मेरा नाम लेना
मेरी मुस्कराहट को
तेरे चेहरे पे थाम लेना
अनकहे अनसुने लफ्ज़

Pnkj Dixit

💓🌳💓 प्यार में मुझे पुकार लेना कचनारी होंठों से मेरा नाम लेना मेरी मुस्कराहट को तेरे चेहरे पे थाम लेना अनकहे अनसुने लफ्ज़

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💓🌳💓
प्यार में 
मुझे पुकार लेना
कचनारी होंठों से 
मेरा नाम लेना
मेरी मुस्कराहट को
तेरे चेहरे पे थाम लेना
अनकहे अनसुने लफ्ज़
कोरे कागज़ पर उतार लेना
बड़े चाव और अदा ओ अंदाज़ में
दिल को छू लेने वाला एहसास
आँखों से आँखों में रू-ब-रू करा देना
तुम्हीं ने सिखाया, तुम्हीं ने जताया
कैसे एक दूसरे को अपनाया जाए...
सुनो! तुम अपने से नहीं;
अपनेपन में अपने बनने लगे हो।
🌷👰💓💝
...✍️कमल शर्मा'बेधड़क'

©Pnkj Dixit 💓🌳💓
प्यार में 
मुझे पुकार लेना
कचनारी होंठों से 
मेरा नाम लेना
मेरी मुस्कराहट को
तेरे चेहरे पे थाम लेना
अनकहे अनसुने लफ्ज़

Preeti Karn

#जननी#कविता #गर्भ ##प्रसव #yqhindi #yqhindiquotes पुष्पधन्वा : कामदेव पाटली: गुलाब , केतकी: केवड़ा कौशेय : रेशमी आसन्नप्रसवा : जिसे

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मैं जनती हूं  कविताएं 
किसी अन्य को
जनक के अधिकार के आधिपत्य से
मुक्त रखती हूं।
सहधर्मिता की  नियमावली  का
अनुपालन नहीं होता
इस सृजन में।
 मैंने अपनी अनुभूतियों की हठधर्मिता 
के  निर्वहन  मात्र से
अपने हृदय गर्भ में
बीज आरोपित किए हैं
जो बसंत और घहराते काले 
मेघ सदृश  पुष्पधन्वा की
धरोहर हैं।
कुसुम कचनार पाटली केतकी 
से झड़ते रस गन्ध से पोषित
स्वाति उत्तराआषाढ नक्षत्रों की
बूंदों से अलंकृत 
मलय पवन के रेशे से
बुने गए कौशेय वसन 
सुसज्जित
मैं आसन्नप्रसवा जनती हूं कविताएं!
                    प्रीति


     #जननी#कविता #गर्भ ##प्रसव
#yqhindi #yqhindiquotes 
पुष्पधन्वा  : कामदेव
पाटली:    गुलाब   , केतकी: केवड़ा
कौशेय :  रेशमी
आसन्नप्रसवा : जिसे

MAHENDRA SINGH PRAKHAR

ग़ज़ल:- कैसे गले लगे हो गद्दार की तरह से । दिल से जरा लगो तो दिलदार की तरह से ।।१ हमसे नही छुपाओ बातें कभी जिया की । खुलकर कहो मिरी जाँ हकदार #शायरी

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ग़ज़ल:-
कैसे गले लगे हो गद्दार की तरह से ।
दिल से जरा लगो तो दिलदार की तरह से ।।१

हमसे नही छुपाओ बातें कभी जिया की ।
खुलकर कहो मिरी जाँ हकदार की तरह से ।।२

उड़ती हुई सुनी है हमने यही खबर कल ।
चर्चा हुआ तुम्हारा कचनार की तरह से ।।३

घर द्वार चाहिए तो आना कभी नगर में ।
सब कुछ तुम्हें मिलेगा परिवार की तरह से ।।४

जीवन यहाँ हमीं ने अपना सुनो डुबाया ।
अब दोष दे किसे हम पतवार की तरह से ।।५

पहली दफा मिली थी उनसे सुनों नज़र यह ।
जिस पर किया भरोसा गंवार की तरह से ।।६

छल कर चले गये हैं रिश्ते सभी प्रखर को ।
अच्छा प्रयोग है ये व्यापार की तरह से ।।७

०७/०७/२०२३     -    महेन्द्र सिंह प्रखर

©MAHENDRA SINGH PRAKHAR ग़ज़ल:-
कैसे गले लगे हो गद्दार की तरह से ।
दिल से जरा लगो तो दिलदार की तरह से ।।१

हमसे नही छुपाओ बातें कभी जिया की ।
खुलकर कहो मिरी जाँ हकदार

DR. SANJU TRIPATHI

मोहब्बत करके भी, कभी कबूल ना करना, कचनार कली का अंदाज है दिल लूटने का। तुझे अहसास ही नहीं कितने फ़िगार हुए हैं, तुझ तितली को,चस्का लगा यार ब #yqbaba #YourQuoteAndMine #कोराकाग़ज़ #collabwithकोराकाग़ज़ #अंदाज़अपनाअपना #KKCC534 #अशोक_अरुज #अल्फ़ाज़_जो_लिखे_तेरी_याद_में

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कभी किसी को मोहब्बत में इंतजार कराना भाता है,
कभी किसी को दीदार के लिए तड़पाना रास आता है।
मोहब्बत करने का सबका अंदाज अपना अपना होता है।
कोई खामोशी से बता लेता है कोई जता ही नहीं पाता है। मोहब्बत करके भी, कभी कबूल ना करना,
कचनार कली का अंदाज है दिल लूटने का।
तुझे अहसास ही नहीं कितने फ़िगार हुए हैं,
तुझ तितली को,चस्का लगा यार ब

Anupama Jha

#श्रृंगार #पीर #yqdidi 500 नहीं करती मैं श्रृंगार नहीं भाता मुझे फूल हार नैनों के काजल फैल नीर संग पीर दिल की कह जाते हैं

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नहीं करती मैं श्रृंगार
नहीं भाता मुझे फूल हार
नैनों के काजल
फैल नीर संग
पीर दिल की 
कह जाते हैं
व्यथा मन की मेरे
पूरे जग को सुनाते हैं।

(पूरी कविता अनुशीर्षक में) #श्रृंगार #पीर #yqdidi #500

नहीं करती मैं श्रृंगार
नहीं भाता मुझे फूल हार
नैनों के काजल
फैल नीर संग
पीर दिल की 
कह जाते हैं
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