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Ravendra
Ravendra
Vandana
गीली मिट्टी सा मन उसका जिसने चाहा वही मोड़ दिया,,, गीली मिट्टी सा मन उसका जिसने चाहा वही मोड़ दिया माँ बाप के घर की सुकुमारी दायरो में समेट दिया,,,,,,, देखो बंधन के लिए कितना कितना आडंबर रचा
Insprational Qoute
रचना:-3 विधा:- कविता विषय:-पत्नी ********************* सम्पूर्ण कविता अनुशीर्षक में पढ़ियेगा रचना:-3 विधा:- कविता विषय:-पत्नी ********************* सुंदर-सुशील-सर्वगुणसम्पन्न-सहनशीलता से परिपूर्ण मैं पत्नी हूँ, नदी-निर्मल-निर्झरिणी
Insprational Qoute
सुंदर-सुशील-सर्वगुणसम्पन्न-सहनशीलता से परिपूर्ण मैं पत्नी हूँ, नदी-निर्मल-निर्झरिणी-निर्मोह-नेक दिल सम सम्पूर्ण मैं पत्नी हूँ, ममतामयी-सेवामयी-निष्ठामयी-पतिव्रता-प्रेममूर्ति मैं एक पत्नी हूँ, सहधर्मिणी-सहभागी-सहयोगी-अर्धांगिनी-परिणीता मैं पत्नी हूँ। 👇👇👇👇👇👇👇👇👇👇👇👇👇👇 🙏सम्पूर्ण रचना अनुशीर्षक में पढ़ियेगा🙏 विषय:-पत्नी ********************* सुंदर-सुशील-सर्वगुणसम्पन्न-सहनशीलता से परिपूर्ण मैं पत्नी हूँ, नदी-निर्मल-निर्झरिणी-निर्मोह-नेक दिल सम स
यशवंत कुमार
दोनों हाथों में बेकारी है! Read in caption... #desh #duniya #corruption #riste #sarkar #terrorism #change #unemployment हाथों में बेकारी है !! घूम-घूम, सब देख-देख नज़रों ने
यशवंत कुमार
हाथों में बेकारी है !! घूम-घूम, सब देख-देख नज़रों ने खाया धोखा! खून के प्यासे दो जनों में रिश्ता भाई का चोखा !! जिंदगी की भीख मांगता बेटे से पिटता बाप! मंदिर - मंदिर माथा टेका मिल गया अभिशाप !! Continue.... Read Full poem in Caption. हाथों में बेकारी है !! घूम-घूम, सब देख-देख नज़रों ने खाया धोखा! खून के प्यासे दो जनों में रिश्ता भाई का चोखा !! जिंदगी
यशवंत कुमार
दोनों हाथों में बेकारी है !! घूम-घूम, सब देख-देख नज़रों ने खाया धोखा! खून के प्यासे दो जनों में रिश्ता भाई का चोखा !! जिंदगी की भीख मांगता बेटे से पिटता बाप! मंदिर - मंदिर माथा टेका मिल गया अभिशाप !! माँ ने जब समझाया लाडली चिल्ला कर बोली ! इतना रोका-टोका मत कर खा लूंगी नींद की गोली!! Read in Caption... हाथों में बेकारी है !! घूम-घूम, सब देख-देख नज़रों ने खाया धोखा! खून के प्यासे दो जनों में रिश्ता भाई का चोखा !! जिंदगी
AK__Alfaaz..
मै, मनु और शतरूपा की, सप्तपदी के पश्चात् आत्ममिलन की, सातवीं सवेंदना, दुख, मै, नवमाह गर्भ में, पौरुष को रखकर, स्व रक्तपोषित करने वाली, सतत फलदायिनी, कोख, #पूर्ण_रचना_अनुशीर्षक_मे #दुख मै, मनु और शतरूपा की, सप्तपदी के पश्चात् आत्ममिलन की,
N S Yadav GoldMine
{Bolo Ji Radhey Radhey} किसी भी कारण से जब मृत्यु दिवस के दिन कोई दाह संस्कार नहीं हो पाता है, पर तब भी मृत्यु दिवस के दिन से ही सूतक काल को गिना जाएगा। ध्यान रहे कि अग्निहोत्र करने वालों के लिए सूतक काल दस दिनों तक के लिए ही माना जाता है। यदि कन्या का विवाह हो जाता है। उसके पश्चात माता पिता की मृत्यु हो तो विवाहिता स्त्री के लिए तीन दिन का सूतक माने जाने की परंपरा है। वहीं, मृत्यु के पश्चात जब तक घर में शव रहे तब तक वहां उपस्थित सभी गोत्र के लोगों को सूतक का दोष लगता है। और तो और कोई भी व्यक्ति किसी और जाति के व्यक्ति को कंधा देता है या उसके घर में रहता है, वहां भोजन करता है तो उसके लिए भी सूतक काल दस दिनों तक के लिए मान्य होगा। एक और बात अगर कोई भी व्यक्ति सिर्फ शव को कंधा देने के लिए मौजूद होते हैं, तो उनके लिए सूतक काल एक दिन के लिए ही मान्य माना जाता है। दाह संस्कार अगर दिन के समय ही संपन्न हो जाए तो शव यात्रा में शामिल होने वाले लोगों को सूर्यास्त के पश्चात सूतक दोष नहीं लगता। वहीं, रात्रि में दाह संस्कार होने पर सूर्योदय से पूर्व तक सूतक दोष रहता है। बताते चलें कि सूतक काल में किसी भी तरह के मांगलिक कार्य तथा परिवार के सदस्यों के लिए श्रृंगार आदि करना वर्जित कहा गया है। ©N S Yadav GoldMine {Bolo Ji Radhey Radhey} किसी भी कारण से जब मृत्यु दिवस के दिन कोई दाह संस्कार नहीं हो पाता है, पर तब भी मृत्यु दिवस के दिन से ही सूतक काल को