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Ajayy Kumar Mahato

#लज्जा लज्जा, #शर्म, हया, #मर्यादा , #मान -सम्मान; इन शब्दों को समझ नहीं पाता हूँ.! जितना चाहे प्रयास करूँ समझने का, मैं उतना ही उलझता जाता #Women #स्त्री #कविता #महिला #allalone #पुरुषों #दमन

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लज्जा, शर्म, हया, मर्यादा, मान-सम्मान;
इन शब्दों को समझ नहीं पाता हूँ.!
जितना चाहे प्रयास करूँ समझने का,
मैं उतना ही उलझता जाता हूँ.!

कुछ लोग कहते हैं उपरोक्त शब्द,
स्त्री, महिला, लड़कियों के गहने हैं.!
पुरुषों का कोई वास्ता नहीं इन शब्दों से,
क्या पुरुषों द्वारा स्त्री दमन के सारे बहाने हैं.?

उत्तर मिलता नहीं कहीँ किसी पुस्तक में,
इस दोहरे मापदंड से लज्जित, नतमस्तक मैं.!
अन्तरमन में आग्नेयगिरि का उबालता लावा सा,
विस्फोट विनाशकारी होगा समझो उसकी अश्रुरूपी दस्तक में.!
©Ajay #लज्जा 
लज्जा, #शर्म, हया, #मर्यादा , #मान -सम्मान;
इन शब्दों को समझ नहीं पाता हूँ.!
जितना चाहे प्रयास करूँ समझने का,
मैं उतना ही उलझता जाता

atrisheartfeelings

एक पिता की बेटी और फ़िर पिता का समर्पण बेटी की विदाई बेटी से दो परिवारों की इज्ज़त कृपया कर इस कहानी को पढ़ कर बताएं कैसी लगी 🙏 मिडिल क्ला #HeartTouching #parrents #ananttripathi #atrisheartfeelings

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Heart touching story 
please read the captions एक पिता की बेटी
और फ़िर पिता का समर्पण
बेटी की विदाई
बेटी से दो परिवारों की इज्ज़त

कृपया कर इस कहानी को पढ़ कर बताएं कैसी लगी 🙏

मिडिल क्ला

Divyanshu Pathak

Good morning 💕👨🍉🍨☕☕🍧🍧🌷🌷 सह शिक्षा के वातावरण में न पौरूष का अंश दिखाई देगा, न ही स्त्रैण भाव। किसी पर भी एक-दूसरे का प्रभाव नहीं दिखाई पड़ता #shweta #Deepti #komal #Mridula #y100ni

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कभी हम शक्ति के उपासक थे
आज उसके खून के प्यासे हो गए।
जीवन की सारी कामनाओं की पूर्ति के  आधार
भग नाम की छह शक्ति-स्वरूप थे।
धर्म, ज्ञान, वैराग्य, यश, श्री और ऎश्वर्य 
(अणिमा, महिमा, गरिमा, लघिमा, प्राप्ति प्राकाम्य, ईशीत्व और वशीत्व)।
यही जन्म-स्थिति-मृत्यु का आधार भी है। Good morning 💕👨🍉🍨☕☕🍧🍧🌷🌷
सह शिक्षा के वातावरण में न पौरूष का अंश दिखाई देगा, न ही स्त्रैण भाव। किसी पर भी एक-दूसरे का प्रभाव नहीं दिखाई पड़ता

Vikas Sharma Shivaaya'

भगवान सूर्यदेव के 12 नाम :- ॐ सूर्याय नम: । ॐ भास्कराय नम:। ॐ रवये नम: । ॐ मित्राय नम: । ॐ भानवे नम: ! ॐ खगय नम: । ॐ पुष्णे नम: । #समाज

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भगवान सूर्यदेव के 12 नाम :-
ॐ सूर्याय नम: ।
ॐ भास्कराय नम:।
ॐ रवये नम: ।
ॐ मित्राय नम: ।
ॐ भानवे नम: !
ॐ खगय नम: ।
ॐ पुष्णे नम: । 
ॐ मारिचाये नम: । 
ॐ आदित्याय नम: ।
ॐ सावित्रे नम: । 
ॐ आर्काय नम: ।
ॐ हिरण्यगर्भाय नम: ।

सूर्य के देवता भगवान शिव हैं।

भैरव:-
ग्रंथों में अष्ट भैरवों का जिक्र मिलता है- ये आठ भैरव आठों दिशाओं (पूर्व, पश्चिम, उत्तर, दक्षिण, ईशान, आग्नेय, नैऋत्य, वायव्य) का प्रतिनिधित्व करते हैं और आठों भैरवों के नीचे आठ-आठ भैरव होते हैं। यानी कुल 64 भैरव माने गए हैं- ध्यान के बिना साधक मूक सदृश है, भैरव साधना में भी ध्यान की अपनी विशिष्ट महत्ता है। 

विष्णु सहस्रनाम(एक हजार नाम) आज 347 से 358 नाम 
347 अरविन्दाक्षः जिनकी आँख अरविन्द (कमल) के समान है
348 पद्मगर्भः हृदयरूप पद्म में मध्य में उपासना करने वाले हैं
349 शरीरभृत् अपनी माया से शरीर धारण करने वाले हैं
350 महर्द्धिः जिनकी विभूति महान है
351 ऋद्धः प्रपंचरूप
352 वृद्धात्मा जिनकी देह वृद्ध या पुरातन है
353 महाक्षः जिनकी अनेको महान आँखें (अक्षि) हैं
354 गरुडध्वजः जिनकी ध्वजा गरुड़ के चिन्ह वाली है
355 अतुलः जिनकी कोई तुलना नहीं है
356 शरभः जो नाशवान शरीर में प्रयगात्मा रूप से भासते हैं
357 भीमः जिनसे सब डरते हैं
358 समयज्ञः समस्त भूतों में जो समभाव रखते हैं
🙏बोलो मेरे सतगुरु श्री बाबा लाल दयाल जी महाराज की जय🌹

©Vikas Sharma Shivaaya' भगवान सूर्यदेव के 12 नाम :-
ॐ सूर्याय नम: ।
ॐ भास्कराय नम:।
ॐ रवये नम: ।
ॐ मित्राय नम: ।
ॐ भानवे नम: !
ॐ खगय नम: ।
ॐ पुष्णे नम: ।

अशेष_शून्य

तुमसे प्रेम किया नहीं मैंने बस प्रेम हो गया मुझे ख़ुद से तुम्हारे आने के बाद !! फ़र्क है ना हमें कुछ करना हो तो चयन हम करते हैं; और जब कु #yourquote #hindiquotes #yourquotebaba #yourquotedidi #yqsahitya #paidstory #अशेष_शून्य

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तुमसे प्रेम किया नहीं
 मैंने.......
(अनुशीर्षक में ) तुमसे प्रेम किया नहीं 
मैंने बस प्रेम हो गया 
मुझे ख़ुद से तुम्हारे आने 
के बाद !!
फ़र्क है ना हमें कुछ करना हो
तो चयन हम करते हैं;
और जब कु

DR. SANJU TRIPATHI

इंद्र के अंशावतार यदुकुल वंश के पांडव और कुंती के तीसरे पुत्र थे अर्जुन । द्रोणाचार्य के शिष्य धनुर्विद्या में पारंगत और सर्वश्रेष्ठ धनुर्धर #yqbaba #yqdidi #myquote #YourQuoteAndMine #openforcollab #collabwithmitali #mahabharat_charitra #kuntiputra_arjun

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कृपया अनुशीर्षक में पढ़ें।
👇👇👇👇 इंद्र के अंशावतार यदुकुल वंश के पांडव और कुंती के तीसरे पुत्र थे अर्जुन ।
द्रोणाचार्य के शिष्य धनुर्विद्या में पारंगत और सर्वश्रेष्ठ धनुर्धर

N S Yadav GoldMine

#SunSet {Bolo Ji Radhey Radhey} अग्नि पुराण अति प्राचीन पुराण है। शास्त्रीय व विषयगत दृष्टि से यह पुराण बहुत ही महत्वपूर्ण पुराण है। अग्नि प #पौराणिककथा

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{Bolo Ji Radhey Radhey}
अग्नि पुराण अति प्राचीन पुराण है। शास्त्रीय व विषयगत दृष्टि से यह पुराण बहुत ही महत्वपूर्ण पुराण है। अग्नि पुराण में 12 हजार श्लोक, 383 अध्याय उपलब्ध हैं। स्वयं भगवान अग्नि ने महर्षि वशिष्ठ जी को यह पुराण सुनाया था। इसलिये इस पुराण का नाम अग्नि पुराण प्रसिद्ध है। विषयगत एवं लोकोपयोगी अनेकों विद्याओं का समावेश अग्नि पुराण में है।

आग्नेये हि पुराणेस्मिन् सर्वा विद्याः प्रदर्शिताः     (अग्नि पुराण)

पद्म पुराण में पुराणों को भगवान बिष्णु का मूर्त रूप बताया गया है। उनके विभिन्न अंग ही पुराण कहे गये हैं। इस दष्ष्टि से अग्नि पुराण को श्री हरि का बाँया चरण कहा गया है।

अग्नि पुराण में अनेकों विद्याओं का समन्वय है जिसके अन्तर्गत दीक्षा विधि, सन्ध्या पूजन विधि, भगवान कष्ष्ण के वंश का वर्णन, प्राण-प्रतिष्ठा विधि, वास्तु पूजा विधि, सम्वत् सरों के नाम, सष्ष्टि वर्णन, अभिषेक विधि, देवालय निर्माण फल, दीपदान व्रत, तिथि व्रत, वार व्रत, दिवस व्रत, मास व्रत, दान महात्म्य, राजधर्म, विविध स्वप्न, शकुन-अपशकुन, स्त्री-पुरूष के शुभाशुभ लक्षण, उत्पात शान्त विधि, रत्न परीक्षा, लिंग का लक्षण, नागों का लक्षण, सर्पदंश की चिकित्सा, गया यात्रा विधि, श्राद्ध कल्प, तत्व दीक्षा, देवता स्थापन विधि, मन्वन्तरों का परिगणन, बलि वैश्वदेव, ग्रह यंत्र, त्र्लोक्य मोहनमंत्र, स्वर्ग-नरक वर्णन, सिद्धि मंत्र, व्याकरण, छन्द शास्त्र, काव्य लक्षण, नाट्यशास्त्र, अलंकार, शब्दकोष, योगांग, भगवद्गीता, रामायण, रूद्र शान्ति, रस, मत्स्य, कूर्म अवतारों की बहुत सी कथायें और विद्याओं से परिपूर्ण इस पुराण का भारतीय संस्कष्त साहित्य में बहुत बड़ा महत्व है।

अग्नि पुराण का फल:-अग्नि पुराण को साक्षात् अग्नि देवता ने अपने मुख से कहा हे। इस पुराण के श्रवण करने से मनुष्य अनेकों विद्याओं का स्वामी बन जाता है। जो ब्रह्मस्वरूप अग्नि पुराण का श्रवण करते हैं, उन्हें भूत-प्रेत, पिशाच आदि का भय नहीं सताता। इस पुराण के श्रवण करने से ब्राह्मण ब्रह्मवेत्ता, क्षत्रिय राजसत्ता का स्वामी, वैश्य धन का स्वामी, शूद्र निरोगी हो जाता है तथा उनके समस्त पाप नष्ट हो जाते हैं। इतना ही नहीं जिस घर में अग्नि पुराण की पुस्तक भी हो, वहाँ विघ्न बाधा, अनर्थ, अपशकुन, चोरी आदि का बिल्कुल भी भय नहीं रहता। इसलिये अग्नि पुराण की कथा का श्रवण अवश्य करना चाहिये।

अग्नि पुराण करवाने का मुहुर्त:-अग्नि पुराण कथा करवाने के लिये सर्वप्रथम विद्वान ब्राह्मणों से उत्तम मुहुर्त निकलवाना चाहिये। अग्नि पुराण के लिये श्रावण-भाद्रपद, आश्विन, अगहन, माघ, फाल्गुन, बैशाख और ज्येष्ठ मास विशेष शुभ हैं। लेकिन विद्वानों के अनुसार जिस दिन अग्नि पुराण कथा प्रारम्भ कर दें, वही शुभ मुहुर्त है।

अग्नि पुराण करने के नियम:-अग्नि पुराण का वक्ता विद्वान ब्राह्मण होना चाहिये। उसे शास्त्रों एवं वेदों का सम्यक् ज्ञान होना चाहिये। अग्नि पुराण में सभी ब्राह्मण सदाचारी हों और सुन्दर आचरण वाले हों। वो सन्ध्या बन्धन एवं प्रतिदिन गायत्री जाप करते हों। ब्राह्मण एवं यजमान दोनों ही सात दिनों तक उपवास रखें। केवल एक समय ही भोजन करें। भोजन शुद्ध शाकाहारी होना चाहिये। स्वास्थ्य ठीक न हो तो भोजन कर सकते हैं।

©N S Yadav GoldMine #SunSet {Bolo Ji Radhey Radhey}
अग्नि पुराण अति प्राचीन पुराण है। शास्त्रीय व विषयगत दृष्टि से यह पुराण बहुत ही महत्वपूर्ण पुराण है। अग्नि प

N S Yadav GoldMine

#Missing {Bolo Ji Radhey Radhey} अग्निदेव कहते हैं :- अब में बुद्ध अवतार का वर्णन करूंगा ,जो पड़ने और सुनाने वाले के मनोरथ को सिद्ध करने वाल #पौराणिककथा

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{Bolo Ji Radhey Radhey}
अग्निदेव कहते हैं :- अब में बुद्ध अवतार का वर्णन करूंगा ,जो पड़ने और सुनाने वाले के मनोरथ को सिद्ध करने वाला है । पूर्वकाल मे देवता और असुरो मे घोर संग्राम हुआ । उसमे देत्यों ने देवताओ को परास्त कर दिया । तब देवता त्राहि-त्राहि पुकारते हुये भगवान की शरण मे गए । भगवान माया-मोह रूप मे आकार राजा शुद्धोधन के पुत्र हुये । उन्होने देत्यों को मोहित किया और उनसे वेदिक धर्म का परित्याग करा दिया । वे बुद्ध के अनुयाई देत्य " बोद्ध " कहलाए । फिर उन्होने दूसरे लोगों से वेद-धर्म का परित्याग करा दिया ।इसके बाद माया-मोह ही ' आर्हत ' रूप से प्रगत हुआ । उसने दूसरों को भी ' आर्हत ' बनाया । इस प्रकार उनके अनुयायी वेद-धर्म से वंचित  होकर पाखंडी बन गए । उन्होने नर्क मे ले जाने वाले कर्म करना आरंभ कर दिया । वे सब-के-सब कलियुग के अंत मे वर्ण संकर होंगे और नीच पुरुषों से दान लेंगे । इतना ही नही , वे लोग डाकू और दुराचारी भी होंगे । वाजसनेय ( वृहदारण्यक ) -मात्र ही वेद कहलाएगा । वेद की दस पाँच शाखे ही प्रमाणभूत मानी जाएंगी । धर्म का चोला पहने हुये सब लोग अधर्म मे ही रुची रखने वाले होंगे । राजारूपधारी मलेच्छ ( मुसालेबीमान और इसाया )  मनुष्यो का ही भक्षण करेंगे ।

तदन्तर भगवान कल्कि प्रगट होंगे । वे श्री विष्णुयशा के पुत्र रूप मे अवतीर्ण हों याज्ञवलक्य को अपना पुरोहित बनाएँगे । उन्हे अस्त्र-शस्त्र विदध्या का पूर्ण ज्ञान होगा । वे हाथ मे अस्त्र लेकर मलेच्च्योन का संहार  ( मुसालेबीमान और इसाया ) कर देंगे । तथा चरो वर्णो और समस्त आश्रमो मे शास्त्रीय मर्यादा साथपित करेंगे । समस्त प्रजा को धर्म के उत्तम मार्ग मे लगाएंगे । इसके बाद श्री हरी कल्कि तूप का परित्याग करके अपने धाम चले जाएंगे । फिर तो पूर्ववत सतयुग का साम्राज्य होगा । साधुश्रेष्ठ ! सभी वर्ण और आश्रम के लोग अपने-अपने धर्म मे दृद्तापूर्वक लग जाएंगे । इस प्रकार सम्पूर्ण कल्पो और मन्वंतरों मे श्री हरी के अवतार होते हैं । उनमे स ए कुछ हो चुके हैं और कुछ आगे होने वाले हैं । उन सबकी कोई नियत संख्या नही है ।

जो मनुष्य श्री विष्णु के अंशावतार तथा पूर्ण अवतार सहित दस अवतारों के चरित्र का पाठ अथवा श्रवण करता है , वह सम्पूर्ण कामनाओ को प्राप्त कर लेता है । तथा निर्मल हृदय होकर परिवार सहित स्वर्ग को जाता है । इस प्रकार अवतार लेकर श्री हरी धर्म की व्यवस्था का निराकरण करते हैं । वे ही जगे की श्रष्टी आदी के कारण हैं । ।। ८

इस प्रकार आदी आग्नेय महापुराण मे ' बुद्ध तथा कल्कि -इन दो अवतारो का वर्णन नामक सोलहवा अध्याय समाप्त  हुआ ।। १६ । ।

©N S Yadav GoldMine #Missing {Bolo Ji Radhey Radhey}
अग्निदेव कहते हैं :- अब में बुद्ध अवतार का वर्णन करूंगा ,जो पड़ने और सुनाने वाले के मनोरथ को सिद्ध करने वाल
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