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अशुनुराग
नक्षत्र.... पाऊलं कधी वार्याचे मनास कळले होते, गेले जे पुढे निघूनि माघे न ते वळले होते! शेवटी भृंगा तो तडपून मकरंदविना मेला, हाय!एवढे का त्यास फुलांनी छळले होते! तुझ्या वचनांचे सारेच हिशोब तू ठेवलेले , सांग माझे ही शब्द..काय तू पाळले होते? या आकाशाला न राहिले आता त्याचेपन नक्षत्र असे हे परके कुणी उधळले होते! #नक्षत्र
Rohini Pande
रोही पंचाक्षरी विठ्ठल रंग °°°°°°°°°°°°°° विठू गजर नाम लहर प्रसन्न होई राम प्रहर..१ विठू रुक्माई बाप नि आई रूप दिसते हो ठाई ठाई..२ सावळ रंग रूप अभंग तव दर्शनी सरते व्यंग..३ हे पांडुरंगा आत्मतरंगा तल्लीन नित्य चरण संगा..४ भीमेच्या काठी दर्शना साठी उभी पंढरी भाविका पाठी..५ रोहिणी पांडे (शब्द नक्षत्र) #शब्द नक्षत्र#
Parasram Arora
तुम तट पर खडे हो और सागर की लहरे उद्वेलित है तुम्हे प्यास लगी है फिर भी तुम प्यासे हो क्यों कि तु म चातक हो चकोर हो सागर के जल से नही बुझेगी तुम्हारी प्यास तुम्हे प्रतिक्षा करनी होगी स्वाति की. तुम्हे प्रयीक्षा करनी होगी उस महत्त. क्षण. की ©Parasram Arora स्वाति नक्षत्र #friends
Rohini Pande
तुझ्या माझ्यातलं अंतर मी मुद्दाम राखून ठेवलंय, तुझं अबोल आपलेपण जरी मला खूप भावलंय रोहिणी पांडे(शब्द नक्षत्र) #Love शब्द नक्षत्र
NG India
मगन भई घट अंतर लग कर, गह कर शब्द की धारा । रैन दिवस मोहिं कूका देता, मेरा स्वामी प्यारा ।।टेर।। नहीं और को संग में चाहता, ऐसा है भरतारा । वरता है उस सूरत को, तजे काल माया की धारा (1) अविनाशी स्वामी मिल जाये, को करे नश्वर प्यारा । दिव्य दृष्टि से देख चुकी मैं, जगत है बना असारा (2) स्वारथ बस सब प्रीत करे, रखते ऊपर व्यवहारा । जब मौका आकर गिर जाये, सब कर लेत किनारा (3) स्वामी मेरा मैं स्वामी की, ऐसा व्रत हैं धारा । नहीं और अब याद करूँ मैं, राधास्वामी रहूँ पुकारा (4) *राधास्वामी* राधास्वामी प्रीति बानी 5--88 स्वामी मेरा मैं स्वामी की ।
NiKhiL KhUIE .....🖋️
किसी एक विचार को अपने जीवन का लक्ष्य बनाओ कु विचारों का त्याग कर केवल उसी विचार के बारे मैं सोचो तुम पाओगे की सफलता तुम्हारे कदम चुम रही है... #स्वामी
Biikrmjet Sing
जा को जोगी खोजत हारे पायो नह तह पारो।। सो स्वामी तुम निकट पछानो रूप रेख ते न्यारा।। अर्थ:- जिस परमात्मा से मिलने के लिए अनेक जोगी उसे खोज खोज के हार गये पर उसका उरवार-पार नहीं जान सके ऐसे निराकार परमात्मा प्रकाश को तुम अपनी आंख के साहमने जानो ओर उस निराकार प्रकाश को पछाण कर देखो जो रूप रेखा से यानी शरीरिक रूप रेखा से परे है ओर जो सन्तो द्वारा बताई नाम ध्यान की विधि से मिलता है।। ©Biikrmjet Sing #स्वामी
nisha Kharatshinde
मन आणि श्रद्धा पत्ता नसलेल्या गोष्टी माणसाला जगण्याचे बळ देतात तुझ्या चरणांशी नतमस्तक होताना अश्रू गालांवरून संथ वाहतात तु़्झ्या सतत नामस्मरणाने वेदनांचाही विसर पडतो स्वर्ग सुख जे तुझ्या सेवेत स्मृतीभ्रंश होऊनी देह विसरतो ✍️ काव्यनिश ©nisha Kharatshinde स्वामी
nisha Kharatshinde
मन आणि श्रद्धा पत्ता नसलेल्या गोष्टी माणसाला जगण्याचे बळ देतात तुझ्या चरणांशी नतमस्तक होताना अश्रू गालांवरून संथ वाहतात तु़्झ्या सतत नामस्मरणाने वेदनांचाही विसर पडतो स्वर्ग सुख जे तुझ्या सेवेत स्मृतीभ्रंश होऊनी देह विसरतो ✍️ काव्यनिश ©nisha Kharatshinde स्वामी