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Anil Ray
समस्त पहचान का अस्थायी अस्तित्व नाम-रूप तक भी माता-पिता द्वारा पाया.. क्या था मुझमें मेरा कुछ भी नही यार तुझसे मिलन में मेरा 'मैं' भी जैसे खो गया.. पूछना खुदा से मेरी 'तड़फ' को तुम क्यों कोई मुझसे मिलकर भी जुदा हो गया.. बनाकर परी पर कतरे गये बंदिशों में चारों ओर दीवारों से मर्यादा महल हो गया.. पाक इबादत इश्क़ में खुदा समझा था और देखो अब वो खुदा भी पत्थर हो गया.. अनिल अनल जलाती है मेरी रूह तक क्यों जिस्म -टुकड़ों का समाज भिन्न हो गया.? ©Anil Ray विचारार्थ लेखन.................✍🏻✍🏻✍🏻✍🏻✍🏻 विवाह एक नापाक गठबंधन है चाहे इसे जो नाम दे कोई ? इसका जन्म नेकनीयत की भावना से नहीं बल्कि सुरक्ष
abhisri095
बातों में, वो आ गया था मेरे मै ही पाक निकला... जिसे दिल समझा था वो नापाक निकला... ©abhisri095 #नापाक
VEER NIRVEL
आज मुझे, कल तुझे ख़ाक हो जाना है, एक दिन हमें जलकर राख हो जाना है...1 नियति ने लिख दिया सभी का प्रारब्ध, हर बुलंद भवन में सुराख़ हो जाना है....2 कितनी मिली साँसे किसी को नहीं पता, रूह के जाते, जिस्म नापाक हो जाना है.....3 इतना बड़ा अहं, क्या काम आएगा भला, मटकी में जाकर एक छटांक हो जाना है....4 कल तक था अब नहीं रहा जग में ‘Veer’, इक दिन खबर सुनकर आवाक हो जाना है..... - डॉ. मधुसूदन चौबे #Chai_Lover ©VEER NIRVEL आज मुझे, कल तुझे ख़ाक हो जाना है, एक दिन हमें जलकर राख हो जाना है...1 नियति ने लिख दिया सभी का प्रारब्ध, हर बुलंद भवन में सुराख़ हो जाना है..
Parul (kiran)Yadav
"वो नज़र जो मुझ पर डाली जाती है , पाक है या नापाक भलां मुझसे बेहतर कौन समझ सकता है ,.... !! ©Parul Yadav #WoNazar #वो_नजर #पाक #नापाक #नोजोतोहिन्दी Anshu writer Ashutosh Mishra SIDDHARTH.SHENDE.sid udass Afzal khan Shahab Sethi Ji
shamawritesBebaak_शमीम अख्तर
हिन्द को नाज़ है जिस पर,वो निशानी हम है ताज और लाल किले के यहां बानी हम है मजहब के नाम पर जुल्मों सितम हम नही करते वफ़ा की आड़ में सियासत हम नही करते ज़मीन में दफन होते भी है तो ग़ुस्ल करके, वतन की मिट्टी को नापाक हम नही करते तमाम अहले वतन को स्वतंत्रता दिवस (यौमे आज़ादी) की पुरखुलूस मुबारकबाद साहिर लुधियानवी ©shamawritesBebaak_शमीम अख्तर #IndependenceDay #साहिर_लुधियानवी हिन्द को नाज़ है जिस पर,वो निशानी हम है ताज और लाल किले के यहां बानी हम है मजहब के नाम पर जुल्मों सित
Shubham Bhardwaj
सागर से गहरी है जिंदगी, इसको नापा नही जाता। अंधे कुएँ के मानिंद है यह,इसको भापा नही जाता।। कभी हँसकर तो कभी रोकर,गुजर ही जायेगी यह। अपनी मनमर्जी से यारों इसको कभी आंका नही जाता।। ©Shubham Bhardwaj #सागर #से #गहरी #जिंदगी #इसको #नापा #नही
deepakdilbook
|| जब तक सीधी नहीं करोगे पाकिस्तानीयों की पूंछ , तब तक ऐसे ही होते रहेंगे भारत में पुलवामा और_ पुंछ, तारिख गवाह है ऐसी नापाक हरकत करने वालों के साथ जैसे को तैसा जवाब ही सीधी कर पाएगा ऐसे पागल कुत्तों की पूंछ| लेखक:- @deepakdilbook #deepakdilbook ©deepakdilbook || जब तक सीधी नहीं करोगे पाकिस्तानीयों की पूंछ , तब तक ऐसे ही होते रहेंगे भारत में पुलवामा और_ पुंछ, तारिख गवाह है ऐसी नापाक हरकत करने
MAHENDRA SINGH PRAKHAR
बात करते रहो मुहब्बत में । दाग़ लगने न पाये इज्ज़त में ।।१ है वफ़ा का यही तराजू देखो । छोड़ना तू नहीं मुसीबत में ।।२ प्यार नापाक तू नही करना । ढाल ले अब इसे इबादत में ।।३ बात ज्यादा बड़ी नही करता । लुट गया मैं इसी शराफ़त में ।।४ खून के पी रहा यहाँ आसूँ । जख़्म जब से मिला मुहब्बत में ।।५ आज शुक्रिया अदा करो उनका । ज़ाँन जो दे रहे हिफ़ाज़त में ।।६ तुम सिखाओ न इल्म हमको अब । जो बुजुर्गों से मिली विरासत में ।।७ आज भी हम डगर नही बदले । सीख जो भी लिया नसीहत में ।।८ आज भाषण नही प्रखर सुनना । पूछना हर सवाल क़ामत में ।।९ ०४/०४/२०२३ - महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR बात करते रहो मुहब्बत में । दाग़ लगने न पाये इज्ज़त में ।।१ है वफ़ा का यही तराजू देखो । छोड़ना तू नहीं मुसीबत में ।।२ प्यार नापाक तू नही करना ।
Vedantika
नापाक इरादे उसके थे जो कोई समझ ना पाया जहर क़ल्ब में लेकर उसने अपना जाल फैलाया मनमोहनी भोली सूरत पे लेकर मीठी सी मुस्कान आई थीं वो रहगुजर लूटने लोगों का ईमान नादान थे जो समझ ना पाए अपनी ज़िंदगी के अंज़ाम उसके लफ़्ज़ों से होकर मदहोश लोगों ने दे दिया ईमान ईमान निगल कर लोगों का अपनी भूख मिटाई अपनी दुनिया का अँधेरा वो इस दुनिया ले आई लौट गई वो अपनी दुनिया छोड़ असर लेकर ईमान इंसान ना इंसान रहा फिर फ़क़त रह गया बनके हैवान देख दूर से अट्ठहास कर रही दुनिया का वीभस्त हाल अब इंसान ही लगा बनाने उसके हिस्से का नया जाल उसके तिलिस्म को तोड़ने ‘वेद’ ने लिया एक हथियार अपने दिल में फिर से जगाया उसने सोया हुआ ईमान ♥️ Challenge-486 #collabwithकोराकाग़ज़ ♥️ इस पोस्ट को हाईलाइट करना न भूलें :) ♥️ इस विषय को अपने शब्दों से सजाइए। ♥️ रचना लिखने के बाद
Vedantika
महफूज़ नही मेरी ज़िंदगी दुनिया के इन रास्तों पर ढूँढता हूँ एक निलय अपनी रूह की हिफाज़त के लिए करता हूँ मैं सफ़र डरते हुए रोज ही इन रास्तों पर हो जाऊँ ना मैं भी इस भीड़ में गुमशुदा क़भी रूह मेरी अंजान हैं साज़िशों से दुनिया की मासूम सी खो ना दे पाकीज़गी अपनी दुनिया के इस दस्तूर में होकर दुनिया के रूबरू कर दे ख़ुद को ही घायल ही मिटा दे अपना वज़ूद मेरे इस नापाक ज़िस्म से चाहिए एक निलय मेरी इस रूह की पाकीज़गी के लिये मिल जाए निज़ात मुझे इस दुनिया के डर से माक़ूल नही है जिस्म मेरा अपनी इस रूह के लिए ए ख़ुदा दे मुझे रूह की ज़िंदगी के लिए एक निलय महफूज़ नही मेरी ज़िंदगी दुनिया के इन रास्तों पर ढूँढता हूँ एक निलय अपनी रूह की हिफाज़त के लिए करता हूँ मैं सफ़र डरते हुए रोज ही इन रास्तों पर हो