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Anil Ray

विचारार्थ लेखन.................✍🏻✍🏻✍🏻✍🏻✍🏻 विवाह एक नापाक गठबंधन है चाहे इसे जो नाम दे कोई ? इसका जन्म नेकनीयत की भावना से नहीं बल्कि सुरक्ष #Dream #Women #thought #girl #nojotohindi #Inequality #marrage #Anil_Kalam #Anil_Ray

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abhisri095

बातों में,
वो आ गया था मेरे
मै ही पाक निकला... 
जिसे दिल समझा था
वो नापाक निकला...

©abhisri095 #नापाक

VEER NIRVEL

आज मुझे, कल तुझे ख़ाक हो जाना है, एक दिन हमें जलकर राख हो जाना है...1 नियति ने लिख दिया सभी का प्रारब्ध, हर बुलंद भवन में सुराख़ हो जाना है.. #Shayari #Chai_Lover

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आज मुझे, कल तुझे ख़ाक हो जाना है,
एक दिन हमें जलकर राख हो जाना है...1
नियति ने लिख दिया सभी का प्रारब्ध, 
हर बुलंद भवन में सुराख़ हो जाना है....2
कितनी मिली साँसे किसी को नहीं पता,
रूह के जाते, जिस्म नापाक हो जाना है.....3
इतना बड़ा अहं, क्या काम आएगा भला, 
मटकी में जाकर एक छटांक हो जाना है....4

कल तक था अब नहीं रहा जग में ‘Veer’,
इक दिन खबर सुनकर आवाक हो जाना है.....
- डॉ. मधुसूदन चौबे
#Chai_Lover

©VEER NIRVEL आज मुझे, कल तुझे ख़ाक हो जाना है,
एक दिन हमें जलकर राख हो जाना है...1
नियति ने लिख दिया सभी का प्रारब्ध, 
हर बुलंद भवन में सुराख़ हो जाना है..

Parul (kiran)Yadav

#WoNazar #वो_नजर #पाक #नापाक #नोजोतोहिन्दी Anshu writer Ashutosh Mishra SIDDHARTH.SHENDE.sid udass Afzal khan Shahab Sethi Ji #शायरी

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shamawritesBebaak_शमीम अख्तर

#IndependenceDay #साहिर_लुधियानवी हिन्द को नाज़ है जिस पर,वो निशानी हम है ताज और लाल किले के यहां बानी हम है मजहब के नाम पर जुल्मों सित #writersofindia #nojotohindi #NojotoFilm #poetrycorner #shamawritesBebaak

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Shubham Bhardwaj

deepakdilbook

|| जब तक सीधी नहीं करोगे पाकिस्तानीयों की पूंछ , तब तक ऐसे ही होते रहेंगे भारत में पुलवामा और_ पुंछ, तारिख गवाह है ऐसी नापाक हरकत करने #Quotes #deepakdilbook

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MAHENDRA SINGH PRAKHAR

बात करते रहो मुहब्बत में । दाग़ लगने न पाये इज्ज़त में ।।१ है वफ़ा का यही तराजू देखो । छोड़ना तू नहीं मुसीबत में ।।२ प्यार नापाक तू नही करना । #शायरी

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बात करते रहो मुहब्बत में ।
दाग़ लगने न पाये इज्ज़त में ।।१

है वफ़ा का यही तराजू देखो ।
छोड़ना तू नहीं मुसीबत में ।।२

प्यार नापाक तू नही करना ।
ढाल ले अब इसे इबादत में ।।३

बात ज्यादा बड़ी नही करता ।
लुट गया मैं इसी शराफ़त में ।।४

खून के पी रहा यहाँ आसूँ ।
जख़्म जब से मिला मुहब्बत में ।।५

आज शुक्रिया अदा करो उनका ।
ज़ाँन जो दे रहे हिफ़ाज़त में ।।६

तुम सिखाओ न इल्म हमको अब ।
जो बुजुर्गों से मिली विरासत में ।।७

आज भी हम डगर नही बदले ।
सीख जो भी लिया नसीहत में ।।८

आज भाषण नही प्रखर सुनना ।
पूछना हर सवाल क़ामत में ।।९

०४/०४/२०२३    -    महेन्द्र सिंह प्रखर

©MAHENDRA SINGH PRAKHAR बात करते रहो मुहब्बत में ।
दाग़ लगने न पाये इज्ज़त में ।।१

है वफ़ा का यही तराजू देखो ।
छोड़ना तू नहीं मुसीबत में ।।२

प्यार नापाक तू नही करना ।

Vedantika

♥️ Challenge-486 collabwithकोराकाग़ज़ ♥️ इस पोस्ट को हाईलाइट करना न भूलें :) ♥️ इस विषय को अपने शब्दों से सजाइए। ♥️ रचना लिखने के बाद

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नापाक इरादे उसके थे जो कोई समझ ना पाया
जहर क़ल्ब में लेकर उसने अपना जाल फैलाया
मनमोहनी भोली सूरत पे लेकर मीठी सी मुस्कान
आई थीं वो रहगुजर लूटने लोगों का ईमान
नादान थे जो समझ ना पाए अपनी ज़िंदगी के अंज़ाम
उसके लफ़्ज़ों से होकर मदहोश लोगों ने दे दिया ईमान
ईमान निगल कर लोगों का अपनी भूख मिटाई
अपनी दुनिया का अँधेरा वो इस दुनिया ले आई
लौट गई वो अपनी दुनिया छोड़ असर लेकर ईमान
इंसान ना इंसान रहा फिर फ़क़त रह गया बनके हैवान
देख दूर से अट्ठहास कर रही दुनिया का वीभस्त हाल
अब इंसान ही लगा बनाने उसके हिस्से का नया जाल
उसके तिलिस्म को तोड़ने ‘वेद’ ने लिया एक हथियार
अपने दिल में फिर से जगाया उसने सोया हुआ ईमान ♥️ Challenge-486 #collabwithकोराकाग़ज़

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Vedantika

महफूज़ नही मेरी ज़िंदगी दुनिया के इन रास्तों पर ढूँढता हूँ एक निलय अपनी रूह की हिफाज़त के लिए करता हूँ मैं सफ़र डरते हुए रोज ही इन रास्तों पर हो

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महफूज़ नही मेरी ज़िंदगी दुनिया के इन रास्तों पर
ढूँढता हूँ एक निलय अपनी रूह की हिफाज़त के लिए
करता हूँ मैं सफ़र डरते हुए रोज ही इन रास्तों पर
हो जाऊँ ना मैं भी इस भीड़ में गुमशुदा क़भी

रूह मेरी अंजान हैं साज़िशों से दुनिया की मासूम सी
खो ना दे पाकीज़गी अपनी दुनिया के इस दस्तूर में
होकर दुनिया के रूबरू कर दे ख़ुद को ही घायल ही
मिटा दे अपना वज़ूद मेरे इस नापाक ज़िस्म से

चाहिए एक निलय मेरी इस रूह की पाकीज़गी के लिये
मिल जाए निज़ात मुझे इस दुनिया के डर से
माक़ूल नही है जिस्म मेरा अपनी इस रूह के लिए
ए ख़ुदा दे मुझे रूह की ज़िंदगी के लिए एक निलय महफूज़ नही मेरी ज़िंदगी दुनिया के इन रास्तों पर
ढूँढता हूँ एक निलय अपनी रूह की हिफाज़त के लिए
करता हूँ मैं सफ़र डरते हुए रोज ही इन रास्तों पर
हो
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