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sanatani boy
AJAY NAYAK
वही मिट्टी, वही राज भवन है, वही राज भवन में बैठे लोग हैं। उन्ही इंसानी लोगों के बीच, द्रोपदी, आज भी लूट रही है ! कोई कह रहा है, मैं आऊंगा तो सब बदल जाएगा। कोई कह रहा है, मैं आया तो सब बदल गया है। भूल जाते हैं वो पुराने दिन, भूल जाते हैं वो पुराने घोषणाएं। तब भी सीना ठोक कर यही कहा था, आज भी सीना ठोक कर यही कह रहे। द्रोपदी के दिन न कल बहुरे थे, द्रोपदी के दिन न आज बहुरे है। वह कल भी एक अबला थी, वह आज भी एक अबला ही है। उसकी साड़ी उसका सम्मान कल भी, भरे दरबार में अपनो से खींची गई थी। उसकी साड़ी उसका सम्मान आज भी, सरे आम अपनो से ही खिंची जा रही है। ऐ द्रोपदी, तुम भी जिद्द छोड़ यह मान लो, कलियुग चल रहा, बचाने न आयेगा कोई कान्हा। इस कलियुग में रावण, दुर्योधन, दुशासन से ज्यादा, राम, कान्हा के रुप में छिपे भेड़ियों से लड़ना होगा। –अjay नायक ‘वशिष्ठ’ ©AJAY NAYAK #द्रोपदी आज भी लूट रही है ! #नारी #द्रोपदी द्रोपदी आज भी लूट रही है ! वही मिट्टी, वही राज भवन है, वही राज भवन में बैठे लोग हैं। उन्ही इंसानी लोगों के बीच, द्रोपदी आज भी लूट रही है !
Insprational Qoute
द्रोपद दुलारी द्रोपदी ********************* चिर-कुमारी द्रोपदी द्रुपद दुलारी, यज्ञ से जन्मी याज्ञसेनी कहलाई, पंच कन्याओं में से वो ही एक है, वही सुंदरता की मूरत है बताई। सम्पूर्ण रचना अनुशीर्षक में पढ़े। द्रोपद दुलारी द्रोपदी ********************* चिर-कुमारी द्रोपदी द्रुपद दुलारी, यज्ञ से जन्मी याज्ञसेनी कहलाई, पंच कन्याओं में से वो ही एक है, वही सुंदरता की मूरत है बताई, धन धन्यता से ये नार भरपूर है, मान से हो दीन आज मजबूर है,
Sunil itawadiya
महाभारत होना चाहिए रेड द कैप्शन 🥺🥺 👇👇 पाप को अब धोना चाहिए बैठ के न यूँ ही रोना चाहिए लूट रही आज कई द्रौपती एक और महाभारत होना चाहिए साड़ी उतरी थी तब केवल पर क्या क्या न उतर गया सिंहासन डोल गए थे कितने
Varsha Sharma
संदेह होता है आज कान्हा तुझ पर भी... क्या वाकई कभी तूने द्रोपदी को, चीर हरण से बचाया था क्या कभी तूने महिला की इज्ज़त बचाने हेतु, शस्त्र भी उठाया था आज हर दिन कितनी ही द्रोपदियों का चीर हरण यहां किया जाता है टोली में दरिंदो द्वारा नारियों को वस्त्रहीन कर दिया जाता है कितने हैं कौरव यहां, लेकिन पांडव कोई न दिखता है कितने हैं राक्षस यहां, लेकिन कृष्ण कोई न दिखता है कान्हा ! क्या सिर्फ एक द्रोपदी को बचाना ही तेरा फर्ज था या कहूं मैं, की तुझ पर उसका कोई कर्ज था जीवन तूने हमें दिया, जिंदगी तूने हमें दी, तो नारियों के सम्मान को बचाना भी तो तेरा ही फर्ज़ था अगर चला ही गया इस दुनिया से तू, तो भूला देंगे हम तुझे भी अब बस इतना बता दे तू कि किसने किया तुझसे आखिरी अर्ज था क्या बाकियों को बचाने का कुछ नहीं तेरा फर्ज़ था क्या तुझ पर सिर्फ उस द्रोपदी का ही कोई कर्ज था, उस द्रोपदी का ही कोई कर्ज था.....— % & ना चाहते हुए भी आज, संदेह होता है मुझे कान्हा, तेरे अस्तिव पर, क्या वाकई तू कभी यहां था भी.... इसी भारत में तू जन्मा है पढ़ने को तो हमें यही मिलता है कान्हा सुना है,की कण -कण में भी तू यहां बसता है क्या ये तेरी वही भूमि है, जहां हमें तेरे अस्तिव का, आज कुछ न पता है हमें तो सिर्फ तेरी भूमि के, इन गिरोह बलात्कारों का ही पता है #gangrape #rapeinindia
Dhanush TL
गुरुर नही है मुझमे ।। पर जिद्द्दी कमाल हु ©Dhanush TL #र्दद #ग्रामीण #ह्रदय #द्रोपदी
Bharat Bhushan pathak
Bharat Bhushan pathak
अतुकांत कविता मैं ! द्रुपद पुत्री द्रौपदी , नहीं। सहूँगी जो, तेरे लांछन तुमने क्या है सोचा,चुप रहूँगी, कुछ तुमसे कहूँगी नहीं। सुन!ये दुशासन तू मैं कल भी न अबला थी न आज भी मैं अबला हूँ। हाँ कल बंधी थी , इसलिए बंदी थी आज मुक्त हूँ,उन्मुक्त हूँ मैं लांछन नहीं, आज प्रतिशोध लूँगी। मैं याज्ञसैनी नहीं! हाँ केशव मेरे भ्राता हैं। हे दुशासन,सुन ले तू! मैं कोमला नहीं, आज ज्वाला हूँ। ठोकर सहने वाली, शिला न समझ! मैं पिघला हुआ लावा हूँ। कितनों को मैंने निगला है, जो शीश झुकाए पाला है। आज द्युत नहीं होगा, रण ही केवल होगा आज। सोच नहीं,ले वार कर तू। सियारीन नहीं मैं, सिंहनी हूँ हरदम मैंने दबोचा है। अरे नराधम! क्या तुझमें पुरुषार्थ नहीं, लांछन से जो काम चलाता है। ©Bharat Bhushan pathak #प्रतिक्रिया #द्रोपदी #आत्मविवेचन #प्रतिशोध