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Sita Prasad

।। तुम जो होते तो..।। हर तरफ़ आलम-ए-तन्हाई का न नज़ारा होता, हाँ,,, तुम जो होते तो ज़िक्र सिर्फ़ तुम्हारा होता। राह-ए-ज़िन्दगी में कई साथी मिले और छूटे भी, ग़म-कश न बनते ग़र तुम्हारा मिला सहरा होता! © Sasmita Nayak

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तलबदारों की कतार ज़रा लम्बी थी, तेरे दर पर,
ज़रा इज़हार कुछ वक्त पहले कर लिया होता,
न मैं तड़पता रज़ामंदी की उलझन में, दिन रात दिलबर,
न तेरा इंतजार नकारा होता।। ।। तुम जो होते तो..।।

हर तरफ़ आलम-ए-तन्हाई का न नज़ारा होता,
हाँ,,, तुम जो होते तो ज़िक्र सिर्फ़ तुम्हारा होता।
राह-ए-ज़िन्दगी में कई साथी मिले और छूटे भी,
ग़म-कश न बनते ग़र तुम्हारा मिला सहरा होता!

© Sasmita Nayak

Sita Prasad

•। तलब ।• '''''''''''''''''' ऐ, सनम! मोहब्बत में कोई न ख़सारा चाहिए, हमें सिर्फ़ मौसम-ए-बहारा का इशारा चाहिए। बाग़-ए-हयात को लगी है तलब तेरे लम्स की, मेरे नफ़स को बस हर-दम वही शरारा चाहिए। ख़सारा- loss

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जुस्तजू तेरी न होगी फिजूल,
परवरदिगार कुबूल करता है
इश्कबाजों की गुजारिश,
तलबगारों के सब्र की अपनी पहचान है।। •। तलब ।•
''''''''''''''''''
ऐ, सनम! मोहब्बत में कोई न ख़सारा चाहिए,
हमें सिर्फ़ मौसम-ए-बहारा का इशारा चाहिए।
बाग़-ए-हयात को लगी है तलब तेरे लम्स की, 
मेरे नफ़स को बस हर-दम वही शरारा चाहिए।

ख़सारा- loss

Poonam Suyal

।। कुछ अपने अनजाने से ।। कुछ अपने अनजाने से निकले, धूप में जब हमसाये निकले, जख्मों से दिल छलनी कर के वो अपना दामन बचाए निकले। सब कुछ समझ बैठे थे जिनको हम कभी, टूट गया वो भरम, दफ़्न कर ज़र-ए-एहसास दिल में कहीं, दामन छुड़ाए निकले। हमसाये - पड़ोसी

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जिनको समझा हमने अपने करीब, वो तो बेगाने निकले,
सरे राह हमको छोड़ गए वो, हम रह गए अकेले।
दिल हमारा हो गया छलनी, पर उनको क्या परवाह,
अपनी दुनिया में वो रम गए, कितने बेपरवाह वो निकले।— % & ।। कुछ अपने अनजाने से ।।

कुछ अपने अनजाने से निकले, धूप में जब हमसाये निकले,
जख्मों से दिल छलनी कर के वो अपना दामन बचाए निकले।
सब कुछ समझ बैठे थे जिनको हम कभी, टूट गया वो भरम,
दफ़्न कर ज़र-ए-एहसास दिल में कहीं, दामन छुड़ाए निकले।

हमसाये - पड़ोसी

Poonam Suyal

।। हम क्या करेंगे ...।। सोचते हैं कि दूर ही से निहार लेंगे, अब तुम को न शर्मिंदा करेंगे, तुमको तकलीफ़ हो ज़रा सी भी ऐसा कोई काम न आइंदा करेंगे। दिल-ए-मुज़्तर की बेताबी का आलम कैसे बयां करें हम तुम को, मुस्कुरा कर,कर दो विदा, तुम जो रो पड़े तो बोलो हम क्या करेंगे। © Sasmita Nayak

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आँखों में भरे होंगे आँसू, लब फ़िर भी मुस्कुराते रहेंगे,
हम उदास होकर ना कभी तुमको विदा करेंगे।
चोट लगेगी दिल पर तो वो भी कुबूल होगी हमें,
अपनी जुबां से कभी हम उफ्फ तक ना करेंगे।— % & ।। हम क्या करेंगे ...।।

सोचते हैं कि दूर ही से निहार लेंगे, अब तुम को न शर्मिंदा करेंगे, 
तुमको तकलीफ़ हो ज़रा सी भी ऐसा कोई काम न आइंदा करेंगे। 
दिल-ए-मुज़्तर की बेताबी का आलम कैसे बयां करें हम तुम को, 
मुस्कुरा कर,कर दो विदा, तुम जो रो पड़े तो बोलो हम क्या करेंगे।
  
© Sasmita Nayak

Poonam Suyal

।। प्यार का पैमाना।। जग ज़ाहिर हो गया अब मोहब्बत का फ़साना, मेरे 'हर लफ्ज़ में हो तुम' कह रहा है ये ज़माना। ज़ुबाँ से ज़ाहिर करने की ज़रूरत होती है कहाँ, मेरे चश्मों से छलक जाता है 'प्यार का पैमाना'।

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तेरे दिल में है अब मेरा ठिकाना,
दूर अब तू मुझसे ना जाना।

नहीं जी पाएँगे हम तुझ बिन,
तुझे ही दिल से हमने अपना माना। ।। प्यार का पैमाना।।

जग ज़ाहिर हो गया अब मोहब्बत का फ़साना,
मेरे 'हर लफ्ज़ में हो तुम' कह रहा है ये ज़माना। 

ज़ुबाँ से ज़ाहिर करने की ज़रूरत होती है कहाँ,
मेरे चश्मों से  छलक जाता है 'प्यार का पैमाना'।

Poonam Suyal

°• तू कहे तो.. •° तेरे लिए सारी तरब-ओ-ख़ुशी इंतिख़ाब ले आएँ, तू कहे तो फ़लक से चाँद चमन से गुलाब ले आएँ। तेरे ख़यालो में खोये रहते हैं हम शाम-ओ- सहर, तू कहे तो हम इश्क़ की शो'बा-ए-हिसाब ले आएँ।

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तेरे लिए हम खुशियों का गुलशन सजाएँ,
तू कहे तो तेरे लिए ज़मीं पर चाँद तारे ले आएँ।

तेरी हर तमन्ना हम कर देंगे पूरी,
तू कहे तो सारा जहां तेरे क़दमों में ले आएँ। °• तू कहे तो.. •°

तेरे लिए सारी तरब-ओ-ख़ुशी इंतिख़ाब ले आएँ,
तू कहे तो फ़लक से चाँद चमन से गुलाब ले आएँ।

तेरे ख़यालो में खोये रहते हैं हम शाम-ओ- सहर,  
तू कहे तो हम इश्क़ की शो'बा-ए-हिसाब ले आएँ।

Poonam Suyal

।। आग़ोश ।। आ कर हम से वो, कुछ ऐसे हम-आग़ोश हो गए, शिकायतें हमारी सारी पल भर में ख़ामोश हो गए। न रही हमको जग वालों की कुछ ख़ैर-ओ-ख़बर, आते ही उन के सामने हम तो बस मदहोश हो गए। © Sasmita Nayak

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उनके आगोश में हमको मिला ऐसा सुकून,
हम बस उनके होकर रह गए।
ना हमें अपना होश रहा ना ज़माने की खबर,
तुममें खोकर हम तो बेमिसाल हो गए। ।। आग़ोश ।।

आ कर हम से वो, कुछ ऐसे हम-आग़ोश हो गए,
शिकायतें हमारी सारी पल भर में ख़ामोश हो गए।
न रही हमको जग वालों की कुछ ख़ैर-ओ-ख़बर,
आते ही उन के सामने हम तो बस मदहोश हो गए।

© Sasmita Nayak

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