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Sita Prasad

।। हम क्या करेंगे ...।। सोचते हैं कि दूर ही से निहार लेंगे, अब तुम को न शर्मिंदा करेंगे, तुमको तकलीफ़ हो ज़रा सी भी ऐसा कोई काम न आइंदा करेंगे। दिल-ए-मुज़्तर की बेताबी का आलम कैसे बयां करें हम तुम को, मुस्कुरा कर,कर दो विदा, तुम जो रो पड़े तो बोलो हम क्या करेंगे। © Sasmita Nayak

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आँसू तुम्हारे बाँध देते हैं हमें,
कसूरवार बन हम खुद से शर्मिंदा हो जाएंगे,
हौसलाअफजाई करना तुम्हारी मुस्कान से,
वादा करते हैं लौट आएंगे ।।— % & ।। हम क्या करेंगे ...।।

सोचते हैं कि दूर ही से निहार लेंगे, अब तुम को न शर्मिंदा करेंगे, 
तुमको तकलीफ़ हो ज़रा सी भी ऐसा कोई काम न आइंदा करेंगे। 
दिल-ए-मुज़्तर की बेताबी का आलम कैसे बयां करें हम तुम को, 
मुस्कुरा कर,कर दो विदा, तुम जो रो पड़े तो बोलो हम क्या करेंगे।
  
© Sasmita Nayak

Sita Prasad

।। तुम जो होते तो..।। हर तरफ़ आलम-ए-तन्हाई का न नज़ारा होता, हाँ,,, तुम जो होते तो ज़िक्र सिर्फ़ तुम्हारा होता। राह-ए-ज़िन्दगी में कई साथी मिले और छूटे भी, ग़म-कश न बनते ग़र तुम्हारा मिला सहरा होता! © Sasmita Nayak

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तलबदारों की कतार ज़रा लम्बी थी, तेरे दर पर,
ज़रा इज़हार कुछ वक्त पहले कर लिया होता,
न मैं तड़पता रज़ामंदी की उलझन में, दिन रात दिलबर,
न तेरा इंतजार नकारा होता।। ।। तुम जो होते तो..।।

हर तरफ़ आलम-ए-तन्हाई का न नज़ारा होता,
हाँ,,, तुम जो होते तो ज़िक्र सिर्फ़ तुम्हारा होता।
राह-ए-ज़िन्दगी में कई साथी मिले और छूटे भी,
ग़म-कश न बनते ग़र तुम्हारा मिला सहरा होता!

© Sasmita Nayak

Sita Prasad

।। खयालों की बस्ती ।। दिल में मेरे, तेरे खयालों की बस्ती बसी रही, ये इश्क़ की आग भी मुसलसल जलती रही। मुराद-ए-शिकवा कोई नहीं गुफ़्तुगू के सिवा, ऐ, सनम फ़िर मिलेंगे हम, अगर ज़िन्दगी रही।। © Sasmita Nayak

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जी लेंगे हसीन लम्हों की आड़ में,
निर्मल सी तेरी हसीं की चाह में,
आग उधर भी सुलगी हो अगर,
मिलना न टलेगा इस हँसी सफर में।। ।। खयालों की बस्ती ।।

दिल में मेरे, तेरे खयालों की बस्ती बसी रही,
ये इश्क़ की आग भी मुसलसल जलती रही।
मुराद-ए-शिकवा कोई नहीं गुफ़्तुगू के सिवा,
ऐ, सनम फ़िर मिलेंगे हम, अगर ज़िन्दगी रही।।

© Sasmita Nayak

Sita Prasad

•। तलब ।• '''''''''''''''''' ऐ, सनम! मोहब्बत में कोई न ख़सारा चाहिए, हमें सिर्फ़ मौसम-ए-बहारा का इशारा चाहिए। बाग़-ए-हयात को लगी है तलब तेरे लम्स की, मेरे नफ़स को बस हर-दम वही शरारा चाहिए। ख़सारा- loss

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जुस्तजू तेरी न होगी फिजूल,
परवरदिगार कुबूल करता है
इश्कबाजों की गुजारिश,
तलबगारों के सब्र की अपनी पहचान है।। •। तलब ।•
''''''''''''''''''
ऐ, सनम! मोहब्बत में कोई न ख़सारा चाहिए,
हमें सिर्फ़ मौसम-ए-बहारा का इशारा चाहिए।
बाग़-ए-हयात को लगी है तलब तेरे लम्स की, 
मेरे नफ़स को बस हर-दम वही शरारा चाहिए।

ख़सारा- loss

Sita Prasad

तुम्हें सौंपते हैं हम अपनी ये 'ज़िन्दगानी' तुम्हीं से सुरू, तुम्हीं पे ख़तम हर कहानी। ख़्वाहिश है मुख्तसर सी,कम न हो कभी, हमारे इश्क़ की रक़्स-ओ-रंग-ओ-रवानी। © Sasmita Nayak #rztask92 #rzलेखकसमूह #collabwithrestzone #yqdidi #mitalovequotes #rzpicprompt2297

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बस इतना मुक्कमल हो जाए प्यार अपना,
हर इन्तेहा बन जाए कहानी,
मिसाल भले ही न दें कोई, 
महफूज़ रहे दोस्ती हमारी।। तुम्हें सौंपते हैं हम अपनी ये 'ज़िन्दगानी'
तुम्हीं से सुरू, तुम्हीं पे ख़तम हर कहानी।
ख़्वाहिश है मुख्तसर सी,कम न हो कभी, 
हमारे इश्क़ की रक़्स-ओ-रंग-ओ-रवानी।

© Sasmita Nayak

#rztask92 #rzलेखकसमूह #collabwithrestzone #yqdidi #mitalovequotes #rzpicprompt2297

Poonam Suyal

।। नाउम्मीदी का मेला।। बज़्म-ए-ज़िंदगी में उजालों ने अब अंधेरा सजा कर रखा है, उम्मीदों के बाज़ार में नाउम्मीदी का मेला सजा कर रखा है। एक यख़-बस्ता उदासी है दिल-ओ-जान पे, न बाक़ी जोश, जो फूल चुने थे तेरे लिए, तसव्वुर उनका सजा कर रखा है। यख़-बस्ता - frozen

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नाउम्मीदी में भी दिल में अपने हमने उम्मीद का दिया जला रखा है,
करते हैं तुझसे कितनी मोहब्बत ये राज़ हमने सीने में दबा रखा है।
तू हमें अब याद करे या करता रहे हमारे प्यार को नज़रअंदाज़,
तेरी मोहब्बत को हमने अपने दिल में अब सदा के लिए बसा रखा है।
 ।। नाउम्मीदी का मेला।।

बज़्म-ए-ज़िंदगी में उजालों ने अब अंधेरा सजा कर रखा है,
उम्मीदों के बाज़ार में नाउम्मीदी का मेला सजा कर रखा है। 
एक यख़-बस्ता उदासी है दिल-ओ-जान पे, न बाक़ी  जोश,
जो फूल चुने थे तेरे लिए, तसव्वुर उनका सजा कर रखा है।

यख़-बस्ता - frozen

Poonam Suyal

।। आस ।। उनके आने की आस से ही दिल में ज़िंदगी पैदा होने लगी, शमा जलने से पहले ही उम्मीद की रौशनी ख़दाँ होने लगी। इंतिहा-ए-इश्क़ है ये, इसमें भला कैसी जफ़ा, कैसा गिला, अब तो उन्ही की ख़ुशी में अपनी ख़ुशी की चर्चा होने लगी। ख़दाँ - happiness

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उनकी मोहब्बत से ज़िंदगी मेरी रोशन होने लगी,
दुखों की रात ढलकर उल्लास से भरी भोर होने लगी।
दिल की मेरी उदासी आखिरकार दूर होने लगी,
मेरी बेरंग सी ज़िंदगी भी अब रंगीन होने लगी। ।। आस ।।

उनके आने की आस से ही दिल में ज़िंदगी पैदा होने लगी,
शमा जलने से पहले ही उम्मीद की रौशनी ख़दाँ होने लगी।
इंतिहा-ए-इश्क़ है ये, इसमें भला कैसी जफ़ा, कैसा गिला,
अब तो उन्ही की ख़ुशी में अपनी ख़ुशी की चर्चा होने लगी। 

ख़दाँ - happiness

Poonam Suyal

।। कुछ अपने अनजाने से ।। कुछ अपने अनजाने से निकले, धूप में जब हमसाये निकले, जख्मों से दिल छलनी कर के वो अपना दामन बचाए निकले। सब कुछ समझ बैठे थे जिनको हम कभी, टूट गया वो भरम, दफ़्न कर ज़र-ए-एहसास दिल में कहीं, दामन छुड़ाए निकले। हमसाये - पड़ोसी

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जिनको समझा हमने अपने करीब, वो तो बेगाने निकले,
सरे राह हमको छोड़ गए वो, हम रह गए अकेले।
दिल हमारा हो गया छलनी, पर उनको क्या परवाह,
अपनी दुनिया में वो रम गए, कितने बेपरवाह वो निकले।— % & ।। कुछ अपने अनजाने से ।।

कुछ अपने अनजाने से निकले, धूप में जब हमसाये निकले,
जख्मों से दिल छलनी कर के वो अपना दामन बचाए निकले।
सब कुछ समझ बैठे थे जिनको हम कभी, टूट गया वो भरम,
दफ़्न कर ज़र-ए-एहसास दिल में कहीं, दामन छुड़ाए निकले।

हमसाये - पड़ोसी

Poonam Suyal

।। हम क्या करेंगे ...।। सोचते हैं कि दूर ही से निहार लेंगे, अब तुम को न शर्मिंदा करेंगे, तुमको तकलीफ़ हो ज़रा सी भी ऐसा कोई काम न आइंदा करेंगे। दिल-ए-मुज़्तर की बेताबी का आलम कैसे बयां करें हम तुम को, मुस्कुरा कर,कर दो विदा, तुम जो रो पड़े तो बोलो हम क्या करेंगे। © Sasmita Nayak

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आँखों में भरे होंगे आँसू, लब फ़िर भी मुस्कुराते रहेंगे,
हम उदास होकर ना कभी तुमको विदा करेंगे।
चोट लगेगी दिल पर तो वो भी कुबूल होगी हमें,
अपनी जुबां से कभी हम उफ्फ तक ना करेंगे।— % & ।। हम क्या करेंगे ...।।

सोचते हैं कि दूर ही से निहार लेंगे, अब तुम को न शर्मिंदा करेंगे, 
तुमको तकलीफ़ हो ज़रा सी भी ऐसा कोई काम न आइंदा करेंगे। 
दिल-ए-मुज़्तर की बेताबी का आलम कैसे बयां करें हम तुम को, 
मुस्कुरा कर,कर दो विदा, तुम जो रो पड़े तो बोलो हम क्या करेंगे।
  
© Sasmita Nayak

Poonam Suyal

।। प्यार का पैमाना।। जग ज़ाहिर हो गया अब मोहब्बत का फ़साना, मेरे 'हर लफ्ज़ में हो तुम' कह रहा है ये ज़माना। ज़ुबाँ से ज़ाहिर करने की ज़रूरत होती है कहाँ, मेरे चश्मों से छलक जाता है 'प्यार का पैमाना'।

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तेरे दिल में है अब मेरा ठिकाना,
दूर अब तू मुझसे ना जाना।

नहीं जी पाएँगे हम तुझ बिन,
तुझे ही दिल से हमने अपना माना। ।। प्यार का पैमाना।।

जग ज़ाहिर हो गया अब मोहब्बत का फ़साना,
मेरे 'हर लफ्ज़ में हो तुम' कह रहा है ये ज़माना। 

ज़ुबाँ से ज़ाहिर करने की ज़रूरत होती है कहाँ,
मेरे चश्मों से  छलक जाता है 'प्यार का पैमाना'।
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