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Abundance
#पकड़ संगीत वाले ही कह सकते मेरी पकड़ मजबूत है बाकी लोग बस इतना कहते हमारी पहुंच बहुत दूर तक है........ ©Mallika #lonely
follow your heart# megha sen
हमारे पहले शिक्षक हमारे माता पिता होते है जो पहली बार हाथ पकड़ के चलना सिखाते है दुसरी बार जो हाथ पकड़ के लिखना पढना सिखाते है वो हमारे दुसरे शिक्षक अर्थात हमारे गुरु तीसरे और अंतिम शिक्षक हमारी खुद की गलती होती है जो हमें हर दिन एक नया पाठ सिखाती है jo जितनी बार गिरता है उसमे फिर से खड़े होने का जस्बा होता है, इस लिए अपने माता पिता, गुरु और अपने द्वारा की गयी गलती कभी भूलना नही चाहिए, इनसे हमें हर रोज एक नई प्रेरणा लेनी चाहिए शिक्षक ###$🙏🙏🙏🙏
शिक्षक ###$🙏🙏🙏🙏
read moresunil kumar
जैसी भी थी मेरी खूबसूरती के कायल थे तुम, दीवानों की तरह मेरे पीछे पागल थे तुम, ठोकरो ने अकेले चलना सीखा दिया तुम्हें, वरना आज भी मेरी कलाई पकड़ कर चल रहे होते तुम, आज भी तुझे ये गलतफहमी है की तेरी खूबसूरती के कायल थे हम, प्यार सिद्दत से किया था तेरे पीछे पागल नही थे हम, और चलना तो मैंने बचपन में ही सीखा था, कोई नज़र ना उठाये तुम पर इसलिय तुम्हारी कलाई पकड़ कर चलते थे हम, तेरे बारे में अब क्या बताये की, क्या थी तुम, Coffee को भी चाय बोला करती थी तुम, खूबसूरती की मिसाल देने वाली हुस्न की मल्लिका, मुह धुलने को भी makeup बोला करती थी तुम, #शिकायत
Deepa Mishra
जब रस्सी हाथ मे पकड़ कर रखने में खुद को दर्द मिल रहा हो तो उसे छोड़ देना बेहतर है... ठीक उसी तरह जब रिश्ता आपको चुभ रहा हो तो ऐसे रिश्ते को पकड़ कर रखना व्यर्थ है. उसे छोड़ देना ही बेहतर है..।।।
bunny HindUstani
वो इक लम्हे की तरह थी, जो आहिस्ता आहिस्ता मेरे हाथ से फिसलती रही मैं चाहता तो कस कर पकड़ लेता उसे, मगर मेरी ये पकड़ कब उसके लिए जकड बन जाती और उसका दम घुट जाता #nojotohindi #sadlove #lovequotes
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read moreRAAJ
दिल ख़्यालों का बवाल क्यों मचाता है? तुम ही बताओ ऐसा कैसे हो जाता है? -- ये क्या है...क्यों है..बोलो? तुम इतने प्यारे क्यों हो?? ✍-राजकुमारी #NojotoQuote नज़्म-'तुम इतने प्यारे क्यों हो' मुझे आप पर इतना प्यार क्यों उमड़ता है... दिल का रुख़ तेरी ओर क्यों मुड़ता है..... कभी कभी मन करता है आप सामने होते... और हम आपको जी भर दिल की बातें बताते... हाथ पकड़ लेते आपका और कहीं जाने न देते... फिर अगले पल सोचते हैं जो देख लूँ सामने से...
नज़्म-'तुम इतने प्यारे क्यों हो' मुझे आप पर इतना प्यार क्यों उमड़ता है... दिल का रुख़ तेरी ओर क्यों मुड़ता है..... कभी कभी मन करता है आप सामने होते... और हम आपको जी भर दिल की बातें बताते... हाथ पकड़ लेते आपका और कहीं जाने न देते... फिर अगले पल सोचते हैं जो देख लूँ सामने से...
read moreRajesh Raana
कही पकड़ लिया गिरेबाँ वक्त का कसकर डरता हूँ मेरे अपनों का दम न घुट जायें। - राणा © वक्त का गिरेबाँ कही #पकड़ लिया #गिरेबाँ #वक्त का #कसकर #डरता हूँ मेरे अपनों का #दम न #घुट जायें। - राणा © #Hindinojoto #Nojotohindi #Nojoto #Hindi #Waqt
Ajay Amitabh Suman
बिछिया अनिमेश आठवीं कक्षा का विद्यार्थी था । बचपन से हीं अनिमेश के पिताजी ने ये उसे ये शिक्षा प्रदान कर रखी थी कि जीवन में आगे बढ़ने के लिए एक आदमी का योग्य होना बहुत जरुरी है। अनिमेश अपने पिता की सिखाई हुई बात का बड़ा सम्मान करता था । उसकी दैनिक दिनचर्या किताबों से शुरू होकर किताबों पे हीं बंद होती थी । हालाँकि खेलने कूदने में भी अच्छा था। नवम्बर का महिना चल रहा था। आठवीं कक्षा की परीक्षा दिसम्बर में होने वाली थी। परीक्षा काफी नजदीक थी। अनिमेश अपनी किताबों में मशगुल था। ठण्ड पड़नी शुरू हो गय
बिछिया अनिमेश आठवीं कक्षा का विद्यार्थी था । बचपन से हीं अनिमेश के पिताजी ने ये उसे ये शिक्षा प्रदान कर रखी थी कि जीवन में आगे बढ़ने के लिए एक आदमी का योग्य होना बहुत जरुरी है। अनिमेश अपने पिता की सिखाई हुई बात का बड़ा सम्मान करता था । उसकी दैनिक दिनचर्या किताबों से शुरू होकर किताबों पे हीं बंद होती थी । हालाँकि खेलने कूदने में भी अच्छा था। नवम्बर का महिना चल रहा था। आठवीं कक्षा की परीक्षा दिसम्बर में होने वाली थी। परीक्षा काफी नजदीक थी। अनिमेश अपनी किताबों में मशगुल था। ठण्ड पड़नी शुरू हो गय
read moreShiprika Saxena Acharya
ये जगमगाहट ज़माने को दिखाने के लिए एक झूटी कहानी है घर लौट आओ कि ये दिवाली तुम बिन बिल्कुल वीरानी है घर की चौखट पर इसलिए हुँ कि तुम अँधेरा देख बाहर से ही न लौट जाओ आने से पहले ही फिर अगले साल आने का वादा न कर पाओ आज फिर तुम्हारे इंतज़ार में सारा दिन रसोई में लगकर वो सा पकवान बनाएं जो तुम्हारे बचपन की निशानी है घर लौट आओ कि ये दिवाली तुम बिन बिल्कुल वीरानी है आ जाओ की तुम्हारी ऊँगली पकड़ कर चलना सीखाने वाली हड्डियां अब बूढ़ा चुकीं है जिन आँखों ने ये दुनिया तुम्हें दिखाई वो नज़रें अब धुंधला चुकीं हैं मेरे नातिन पोतों से ये बात कहने में देर न हो जाये चलो इस बार चलें जहाँ रहती तुम्हारी दादी या नानी हैं घर लौट आओ कि ये दिवाली तुम बिन बिल्कुल वीरानी है छोटा सा ही ख़्वाब था कि बहुत काबिल बनो पर तुम तो मेरे हाथों कि पहुंच से निकल कर काफी बड़े हो गएँ तुम्हारा ओहदा, तुम्हारी पहचान, तुम्हारी मसरूफ़ियत जैसे मेरे और तुम्हारे बीच दीवार बनकर खड़े हो गए खुद अपनों से ही इतना दूर हो जाओ आखिर क्यों इतना ऊँचा उड़ने कि ठानी हैं घर लौट आओ कि ये दिवाली तुम बिन बिल्कुल वीरानी है गाजर के हलवे में भी अब तुम बिन कहाँ वो स्वाद रहा हैं जो पतझड़ में भी खिला रहता था वो शज़र अब हर सावन में बर्बाद रहा हैं कुछ पल तो ठहरो मेरे पास यु ही समझ लो तुम्हारे वक़्त पे हक़ जाताना मेरी ढलती उम्र कि नादानी हैं घर लौट आओ कि ये दिवाली तुम बिन बिल्कुल वीरानी है पडोसी कहते हैं अक्सर बंटी की मम्मी, बंटी इस साल भी नहीं आया खैर हमारी कुछ ज़रूरत हो तो बताना जी करता हैं उनसे की कहके देख लूँ बंटी की चाहत हैं, ज़रा उसे ही लाकर दिखाना सुनो, अमृत तो नहीं पिया, अमर तो नहीं हूँ मैं कहाँ तुम्हें हमेशा के लिए पकड़ कर बैठने वाली मेरी ज़िंदगानी हैं शम्स-ऐ-ज़िन्दगी ढल जाये, उससे पहले ही आ जाओ कि ये दिवाली तुम बिन बिल्कुल वीरानी हैं #Diwali #memories #lasthope
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