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Poonam Suyal
कपड़ा है ज़रूरी सिर्फ ढकने के लिए तन अच्छे आचरण से शुद्ध होता है मन सिर्फ कपड़ों को इतनी अहमियत ना दीजिए अपने खूबसूरत विचारों से सबका दिल जीतिए सभी दोस्तों को प्यार भरा "नमस्कार" 🎀 आप सभी के लेखन को और बेहतर बनाने के लिए यहां पर रूटीन पोस्ट की जाती हैं पर सुबह की पहली पोस्ट में से ही एक सर्वश्रेष्ठ प्रतिलिपि / Write up को चुन कर Testimony रिपोस्ट से सम्मानित किया जाएगा । 🎀 रूटीन पोस्ट की Collab समय सीमा सिर्फ़ 4 घंटे या अगली रूटीन पोस्ट पर ख़तम हो जाती हैं ।
नेहा उदय भान गुप्ता
कोई अपना तन ढकता, तो कोई अपना शान दिखाता है। रंग बिरंगे होते है ये कपड़े, हर इंसान को है ये लुभाता है।। कभी खूंटी पर टंगता, तो कभी बदन पर चढ़ जाता है। कपड़ों की पहचान यही, कभी पावदान, तो लाज छुपाता है।। सभी दोस्तों को प्यार भरा "नमस्कार" 🎀 आप सभी के लेखन को और बेहतर बनाने के लिए यहां पर रूटीन पोस्ट की जाती हैं पर सुबह की पहली पोस्ट में से ही एक सर्वश्रेष्ठ प्रतिलिपि / Write up को चुन कर Testimony रिपोस्ट से सम्मानित किया जाएगा । 🎀 रूटीन पोस्ट की Collab समय सीमा सिर्फ़ 4 घंटे या अगली रूटीन पोस्ट पर ख़तम हो जाती हैं ।
नेहा उदय भान गुप्ता😍🏹
कोई अपना तन ढकता, तो कोई अपना शान दिखाता है। रंग बिरंगे होते है ये कपड़े, हर इंसान को है ये लुभाता है।। कभी खूंटी पर टंगता, तो कभी बदन पर चढ़ जाता है। कपड़ों की पहचान यही, कभी पावदान, तो लाज छुपाता है।। सभी दोस्तों को प्यार भरा "नमस्कार" 🎀 आप सभी के लेखन को और बेहतर बनाने के लिए यहां पर रूटीन पोस्ट की जाती हैं पर सुबह की पहली पोस्ट में से ही एक सर्वश्रेष्ठ प्रतिलिपि / Write up को चुन कर Testimony रिपोस्ट से सम्मानित किया जाएगा । 🎀 रूटीन पोस्ट की Collab समय सीमा सिर्फ़ 4 घंटे या अगली रूटीन पोस्ट पर ख़तम हो जाती हैं ।
Satyam Kumar
मैं प्रत्यक्ष होकर भी प्रमाण हूँ समाज का करता कल्याण हूँ थोड़ा जमीं से जुड़ा इंसान हूँ मैं रोटी,कपड़ा और मकान हूँ #रोटी #कपड़ा #मकान #yqtales #yqdidi #yqbhaijan #yqbaba
Pahadi
दिल परेशान है मेरा तुझको मनाने के लिए मैं हूं बेचैन मेरी जान तुझे पाने के लिए तेरे दीदार का कोई तो बहाना मिल जाए छत पे आजा तू जरा कपड़ा सुखाने के लिए ©Pahadi #Heart #दिल_परेशान है मेरा तुझको मनाने के लिए मैं हूं #बेचैन #मेरी_जान तुझे पाने के लिए तेरे #दीदार का कोई तो बहाना मिल जाए छत पे आजा तू जरा #कपड़ा सुखाने के लिए
Dr. Giridhar Kumar
आबादी साल-दर-साल बढ़ रही , कर रही संसाधनों की बर्बादी। रोटी-कपड़ा-मकान को तो तरस रहे हैं, पर, बच्चे तो जैसे वहीं बरस रहें हैं। अशिक्षा कहीं, तो गरीबी कहीं है, हैरानी कि ज्यादा बच्चे वहीं है । छत के लिए तो पेड़ों को काट रहे हैं, असल में तो खुद की ही सांसों को छांट रहे हैं। वह दिन दूर नहीं , जब अगली पीढ़ी के सवाल हम पर दागे जाएंगे। "क्यों हम उनके लिए कुछ बचा ना पाए?" हम कुछ बता ना पाएंगे। बढ़ती बन गई है अब मजबूरी, हमारा संभलना है अब बेहद जरूरी। सबको जागरूक और शिक्षित बनाना होगा, रोकथाम के तरीकों को जल्द ही अपनाना होगा। ©Dr. Giridhar Kumar . आबादी world population day! पूरा पढ़िए और लिखिए अपने विचार कॉमेंट बॉक्स में और पसंद आए तो शेयर करना ना भूलें।
Dr. Giridhar Kumar
उस तरफ चमक दमक देख उसने सोचा, "रहन सहन को कैसे सुधारूं मैं, रोटी नसीब नहीं, मकां पर पैसे, कैसे लगाऊं मैं । लल्ला को कागज तक नसीब नहीं, खुद की साड़ी पर पैसे, कैसे लगाऊं मैं।।" निराशा के बादल उसकी आंखो के आगे छाने लगे थे, तभी उसकी नजर दूसरी तरफ पड़ी, जहां लल्ला अखबार के टुकड़े को पढ़ने की कोशिश कर रहा था। देखकर उसकी आंखों में चमक आ गई। उसने उसी वक्त तय किया। "लल्ला को कैसे भी पढ़ाऊंगी, खुद 'पाव' से भी काम चलाऊंगी, सो जाऊंगी एक और दिन तारों के नीचे, रहन सहन का ये नाटक एक और दिन, इसी साड़ी में झेल जाऊंगी।" ★★★★★ ©Dr. Giridhar Kumar . एक छोटी सी कहानी - रहन सहन वह स्त्री है, वह कुछ भी कर सकती है। #Twowords #Zindagi #स्त्री #भूख #मकान #रोटी #कपड़ा Do like and comment,let me know your response. if you loved ,feel free to repost😊😊😊
pandeysatyam999
अम्बे तू है जगदम्बे काली, जय दुर्गे खप्पर वाली, तेरे ही गुण गावें भारती, ओ मैया हम सब उतारे तेरी आरती। तेरे भक्त जनो पर माता भीर पड़ी है भारी। दानव दल पर टूट पड़ो मां करके सिंह सवारी॥ सौ-सौ सिहों से बलशाली, है अष्ट भुजाओं वाली, दुष्टों को तू ही ललकारती। ओ मैया हम सब उतारे तेरी आरती॥
तन्हा
धूप तेज थी और सूरज भी सर पर था मैं बांधकर कपड़ा चेहरे पर , चेहरा भी ना बचाता तो क्या करता और आंधियां जोरो की चली थी शहर में और मेरे घर में दरवाजा भी नहीं था मैं खिड़कियां भी ना लगाता तो क्या करता धूप तेज थी और #सूरज भी सर पर था मैं #बांधकर #कपड़ा चेहरे पर ,#चेहरा ना बचाता तो क्या करता #आंधियां जोरो की चली थी शहर में और मेरे घर में #दरवाजा भी नहीं था मैं #खिड़कियां भी ना #लगाता तो क्या करता
तन्हा
धूप तेज थी और सूरज भी सर पर था बांधकर कपड़ा चेहरे पर , मैं चेहरा भी ना बचाता तो क्या करता ! आंधियां जोरो की चली थी शहर में और मेरे घर में , दरवाजा भी नहीं था मैं खिड़कियां भी ना लगाता तो क्या करता ! एक लड़की हंसी और ऐसे हंसी की , उसे कभी , कोई गम मिला ही नहीं अपना दर्द भी ना सुनाता उसे , तो क्या करता ! और चांद को घमंड हो गया था की , उससे खूबसूरत और कोई है ही नहीं, अब तेरी तस्वीर भी उसे ना दिखाता , तो क्या करता ! एक समंदर मांग रहा था , पानी की भीख मुझसे अब मैं आंसू भी ना बहाता , तो क्या करता ! #बेवफा #इश्क़ #धोखा #tears #आंसू #जान #tumbewafa #धूप #तेज थी और #सूरज भी #सर पर था मैं #बांधकर #कपड़ा #चेहरे पर ,#चेहरा ना बचाता तो क्या करता #आंधियां #जोरो की चली थी #शहर में और #मेरे #घर में #दरवाजा भी नहीं था #मैं #खिड़कियां भी ना #लगाता तो क्या #करता