Find the Latest Status about यूनानी from top creators only on Nojoto App. Also find trending photos & videos about, यूनानी.
Er. Nishant Saxena "Aahaan"
MAHENDRA SINGH PRAKHAR
ग़ज़ल :- यहाँ कोई भी मतदानी नहीं है । बिके हैं सब बेईमानी नहीं है ।।१ गिरा जो आँख से पानी नहीं है । बयां करना भी आसानी नहीं है ।।२ लगाओ खूब नारे हिंद के अब । यहाँ कोई भी यूनानी नहीं है ।। ३ जरा सा हौसला करके तो देखो । कोई भी दरिया तूफ़ानी नहीं है ।।४ तुम्हीं से पूछने आये चले हम । हमीं पे क्यूँ मेहरबानी नहीं है ।।५ चुनावी खेल चालू हो गये तो । दिखा कोई भी अभिमानी नहीं है ।।६ लगे आरोप झूठे सैनिकों पे । हमारा देश बलदानी नहीं है ।।७ अदब से सर झुकाते हैं उन्हें बस । प्रखर की वह महारानी नहीं है ।।८ १२/०३ २०२४ - महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR ग़ज़ल :- यहाँ कोई भी मतदानी नहीं है । बिके हैं सब बेईमानी नहीं है ।।१ गिरा जो आँख से पानी नहीं है । बयां करना भी आसानी नहीं है ।।२
ashutosh anjan
भारतीय परंपरा (चिंतन) अनुशीर्षक में पढ़े।👇 भारतीय संस्कृति व परंपरा विश्व की सर्वाधिक प्राचीन एवं समृद्ध संस्कृति व परंपरा है। इसे विश्व की सभी संस्कृतियों की जननी माना जाता है। जीने
Dr. Giridhar Kumar
डॉक्टर्स मैं डॉक्टर हूँ, भगवान नहीं इंसान हूँ, इंसान को बचाने की कोशिश करता हूँ। अपने मरीज के जाने का शोक मैं भी मनाता हूँ। नहीं लगता मेरा भी मन , टूट मैं भी जाता हूँ। परिजनों को बताते वक्त, रो मैं भी जाता हूँ। हो जाता है कई दफा, नई बीमारी आ जाती है, न पढ़ा न सुना, अनसुलझी रह जाती है, तब भरसक कोशिश करता हूँ, जिसमें किरण जगी,उसे इस्तेमाल करता हूँ। उम्मीद के साथ-साथ नाकामयाबी का गम मैं भी रखता हूँ। इन सब के बाद भरे मन से मुझे भी घर जाना होता है, बेटा बेटी, पापा मम्मी हर किरदार मुझे भी निभाना होता है। अंदर पीड़ा बाहर सबका बीड़ा मुझे भी उठाना होता है। अगली सुबह भी मेरा मन मुझे गिरा देता है, पर छुट्टी के बाद मरीजों का मुस्कुराता खिलखिलाता चेहरा मुझे तुरंत उठा देता है। हर गम से परे वो अनुभूति, मुझे फिर से डॉक्टर बना देती है। मुझे हर दिन फिर से जगा देती है।। हां, मैं डॉक्टर हूँ, भगवान नहीं इंसान हूँ, इंसान को बचाने की कोशिश करता हूँ । ©Dr. Giridhar Kumar Hii , on this doctors day, I urge you guys to support your doctor. don't make them Gods, please accept them as humans first. please stop a
Gaurav Christ
N S Yadav GoldMine
{Bolo Ji Radhey Radhey} महाभारत का संक्षिप्त परिचय 'महाभारत' भारत का अनुपम, धार्मिक, पौराणिक, ऐतिहासिक और दार्शनिक ग्रंथ है। यह हिन्दू धर्म के मुख्यतम ग्रंथों में से एक है। यह विश्व का सबसे लंबा साहित्यिक ग्रंथ है, हालाँकि इसे साहित्य की सबसे अनुपम कृतियों में से एक माना जाता है, किन्तु आज भी यह प्रत्येक भारतीय के लिये एक अनुकरणीय स्रोत है। हिन्दू मान्यताओं, पौराणिक संदर्भो एवं स्वयं महाभारत के अनुसार इस काव्य का रचनाकार वेदव्यास जी को माना जाता है, और इसे लिखने का श्रेय भगवान गणेश को जाता है, इसे संस्कृत भाषा में लिखा गया था। इस काव्य के रचयिता वेदव्यास जी ने अपने इस अनुपम काव्य में वेदों, वेदांगों और उपनिषदों के गुह्यतम रहस्यों का निरुपण किया हैं। इसके अतिरिक्त इस काव्य में न्याय, शिक्षा, चिकित्सा, ज्योतिष, युद्धनीति, योगशास्त्र, अर्थशास्त्र, वास्तुशास्त्र, शिल्पशास्त्र, कामशास्त्र, खगोलविद्या तथा धर्मशास्त्र का भी विस्तार से वर्णन किया गया हैं। महाभारत की विशालता और दार्शनिक गूढता न केवल भारतीय मूल्यों का संकलन है बल्कि हिन्दू धर्म और वैदिक परम्परा का भी सार है। महाभारत की विशालता महानता और सम्पूर्णता का अनुमान उसके प्रथमपर्व में उल्लेखित एक श्लोक से लगाया जा सकता है, जिसका भावार्थ है, 'जो यहाँ (महाभारत में) है वह आपको संसार में कहीं न कहीं अवश्य मिल जायेगा, जो यहाँ नहीं है वो संसार में आपको अन्यत्र कहीं नहीं मिलेगा।' यह कृति प्राचीन भारत के इतिहास की एक गाथा है। इसी में हिन्दू धर्म का पवित्रतम ग्रंथ भगवद्गीता सन्निहित है। पूरे महाभारत में लगभग १,१०,००० श्लोक हैं, जो यूनानी काव्यों इलियड और ओडिसी से परिमाण में दस गुणा अधिक हैं। विद्वानों में महाभारत काल को लेकर विभिन्न मत हैं, फिर भी अधिकतर विद्वान महाभारत काल को 'लौहयुग' से जोड़ते हैं। अनुमान किया जाता है कि महाभारत में वर्णित 'कुरु वंश' १२०० से ८०० ईसा पूर्व के दौरान शक्ति में रहा होगा। पौराणिक मान्यता को देखें तो पता लगता है कि अर्जुन के पोते परीक्षित और महापद्मनंद का काल ३८२ ईसा पूर्व ठहरता है। यह महाकाव्य 'जय', 'भारत' और 'महाभारत' इन तीन नामों से प्रसिद्ध हैं। वास्तव में वेद व्यास जी ने सबसे पहले १,००,००० श्लोकों के परिमाण के 'भारत' नामक ग्रंथ की रचना की थी, इसमें उन्होने भरतवंशियों के चरित्रों के साथ-साथ अन्य कई महान ऋषियों, चन्द्रवंशी-सूर्यवंशी राजाओं के उपाख्यानों सहित कई अन्य धार्मिक उपाख्यान भी डाले। इसके बाद व्यास जी ने २४,००० श्लोकों का बिना किसी अन्य ऋषियों, चन्द्रवंशी-सूर्यवंशी राजाओं के उपाख्यानों का केवल भरतवंशियों को केन्द्रित करके 'भारत' काव्य बनाया। इन दोनों रचनाओं में धर्म की अधर्म पर विजय होने के कारण इन्हें 'जय' भी कहा जाने लगा। महाभारत में एक कथा आती है कि जब देवताओं ने तराजू के एक पासे में चारों 'वेदों' को रखा और दूसरे पर 'भारत ग्रंथ' को रखा, तो 'भारत ग्रंथ' सभी वेदों की तुलना में सबसे अधिक भारी सिद्ध हुआ। अतः 'भारत' ग्रंथ की इस महत्ता (महानता) को देखकर देवताओं और ऋषियों ने इसे 'महाभारत' नाम दिया और इस कथा के कारण मनुष्यों में भी यह काव्य 'महाभारत' के नाम से सबसे अधिक प्रसिद्ध हुआ। जय श्री कृष्ण। जय श्री राधे।। ©N S Yadav GoldMine {Bolo Ji Radhey Radhey} महाभारत का संक्षिप्त परिचय 'महाभारत' भारत का अनुपम, धार्मिक, पौराणिक, ऐतिहासिक और दार्शनिक ग्रंथ है। यह हिन्दू धर्म
Divyanshu Pathak
'राजपूत' ( अतीत के झरोखे से-02 ) अग्नि-पुराण के अनुसार- चन्द्रवंशी कृष्ण और अर्जुन तथा सूर्यवंशी राम और लव-कुश के वंशज राजपूत थे।स्वयं 'राजपूत' भी इस कथन को सहर्ष स्वीकार करते हैं।इसी आधार पर श्री गहलोत ने भी लिखा है कि- "वर्तमान राजपूतों के राजवंश वैदिक और पौराणिक काल के सूर्य व चन्द्रवंशी क्षत्रियों की सन्तान हैं।ये न तो विदेशी हैं और न ही अनार्यों के वंशज।जैसा कि कुछ यूरोपीयन लेखकों ने अनुमान लगाया।डॉ दशरथ शर्मा भी लिखते हैं कि राजपूत सूर्य और चन्द्रवंशी थे। दशवीं शताब्दी में चरणों के साहित्य और इतिहास लेखन में राजपूतों को सूर्यवंशी व चन्द्रवंशी बताया है। 1274 ई. का शिलालेख जो चित्तौड़गढ़, 1285 ई.
Aprasil mishra
"उदारवाद बनाम रुढ़िवाद : एक जीवट समावेशी संस्कृति के सन्दर्भ में " 1.सांस्कृतिक अंतर्परिवर्तन- संस्कृति के बाहर किसी अन्य में संस्कृति में होने वाले बदलाव. 2.सांस्कृतिक अंत:परिवर्तन- किसी संस्कृति के भीतर हो