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Manak desai
देखते ही दिल को मेरे भा गए वो क्यू जाते वक्त मुस्कुरा गए वो, काश ठहर जाता वक्त जी भर देख लेते हम रूकता नहीं वक्त समझा गए वो, मिले नहीं पल भर मिलन को यादगार बना गए वो तनिक ठहरूँ मैं ना समझ हूँ ये क्या समझा गए वो, यूँ तो ख़ामोश थे वे इतने की कुछ बोले नहीं क्यू दिल में मेरे हलचल इतनी मचा गए वो , मैं समंदर ठहरा हुआ एक संगम सा किनारे पर उठे और लहरा गए वो, चेहरा दिखा या ढका था ओढ़नी से ये क्या क्षण भर में पागल बना गए वो, मैं कक्षा एक का बालक इस गणना में कक्षा बारह की गणित पढ़ा गए वो, मिलन अमन तुम संग चैन का कुछ ऐसा था पल भर में माणक को चमका गए वो ..! ©Manak desai राम राम सा ❤️🙏 खम्मा घणी सा 🙏 आप सगळा ने प्रणाम सा 🙏☕☕☕☕😊 मिलन की बात करते हैं संग दर्पण की आस करते हैं उनको दिव्य ज्योति और खुद को जगमगाती
Rishi
एक इबादत
akrosh बांध के मुंह ओढ़नी से काहे तू हमार दिल धड़कावे लू नज़रिया तउ तोहार कत्ल वैसे ही कईले बा, होंठवा के लाली छुपा अब काहें हमका तड़पावत बाडू हो..
Shree
... रखी बचा प्रतीक्षा की बैचैनी कभी रंजनीगंधा गुंथ सुगन्ध कभी किरणों पर सोने चढ़ी कभी नीम सी गले अटकी शहद सम मिठी स्मृति बनी... इत उत पल पल अब तब हुई बस एक मिलन की होड़ लगी। श्रृंगार सोलह कर लो केश कुंतल संवार लो काजल की धार पहन कानों में पड़ी बालियां उसमें झूलती झुनकियां! होठों पर पराग सी लाली परिमल बन मन सुं
Shree
विदाई pc: Google आज भी कुछ लड़कियां होती हैं जो रो पड़ती हैं अपनी विदाई में... फर्क नहीं पड़ता कि शादी अरेंज हुई है या लव। स्वाभिमान और स्वावलंब
Shree
आईने से छुपकर जो कनखियों की ओट में दागती हो सवालों के पैने तीर दिलबर-ओ...! अनुशीर्षक आईने से छुपकर जो कनखियों की ओट में दागती हो सवालों के पैने तीर दिलबर-ओ...! अठखेलियां जानलेवा हैं तुम्हारी, सुनो ओ अदा-अदब पोशीदा, महक बेल
Shree
कहां हो तुम... क्या कहूं, कहां नहीं! (Act of God) **ईश्वर और मैं** हर एक कहानी किसी ना किसी की आपबीती होती है। जैसे हर एक कहानी का स्रोत और रचनाकार ईश्वर होता है, उसी प्रकार उसके पात्र पहले
Shree
आकाशगंगाओं के परे जब सितारों का मिलन होगा, तब हम मिलेंगे। निर्वासित पुष्पों का जब चयन होगा और वो खिलेंगे, तब हम मिलेंगे। सर्वेसर्वा संसार में सकल जब सृष्टि पुकारेगी हमको, तब हम मिलेंगे। क्षितिज की धारी पर जब दिन-रात हमें साथ में ढूंढ़ेंगे, तब हम मिलेंगे। जिन आक्षांशों को किसी देश की सीमाएं न लांघती हो, वहां हम मिलेंगे। निस्तेज निराधार निरंतर अपेक्षित इच्छाएं जहां नहीं हो, वहां हम मिलेंगे। मुस्कानों की मासूमियत को ओढ़नी से ना ढंकना पड़े, वहां हम मिलेंगे। इससे बेहतर और सुघर तुम्हें कुछ समझ आये तो कहो, वहां हम मिलेंगे। ~~ हम मिलेंगे~~ Shree आकाशगंगाओं के परे जब सितारों का मिलन होगा, तब हम मिलेंगे। निर्वासित पुष्पों का जब चयन होगा और वो खिलेंगे, तब हम मिल
Sita Prasad
काँटों का दामन ( अनुशीर्षक में पढ़ें) हो जाती हूँ कभी मैं ख़ुद से हताश, हौसला भी मैं अपने अंदर समेट लेती हूँ। दिल चाहे कितना भी दुखे मेरा, उसे छुपा मैं हँस लेती हूँ। आँसुओं को