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Ashiq Momin
मेरे ख़ालिक़ ने मुझे ख़ाक़ से अफज़ल बना दिया मेरे यार के शर ने फिर से मुझे ख़ाक कर दिया ख़ालिक़ - खुदा ख़ाक़ - मिट्टी अफज़ल- बेहतर शर - शरारत/शैतानी #कोराकाग़ज़ #collabwithकोराकाग़ज़ #ख़ालिक़ #wordoftheday #writinggyan #yqdidi #yq
Sangeeta Patidar
वो नहीं दर्द से वाकिफ़ अभी, शायद नहीं मैं मन-माफ़िक अभी, आती नहीं जो याद, शायद होंगे नहीं मेरे ख़याल हाज़िक़ अभी। माँग-माँगकर क्या पाना, दिल से देके निभाये कोई तो बात बने, बेवजह ही हो फ़िक्र मेरी, शायद नहीं है एहसास सादिक़ अभी। जितनी कम मिलेंगी फ़ुर्सतें उतनी ही कम होंगी यह उम्मीदें भी, बेचैन नहीं हैं उनकी धड़कनें शायद हुए नहीं वो आशिक़ अभी। वो मेरे हर लम्हे का सुकून, वो ही मेरी ख़ुशियों का भी है सुतून, नसीब में है इंतज़ार शायद दिल हुआ नहीं उनके फ़ाइक़ अभी। जैसे नदी से ठंडक, पेड़ों से साँसें, बिना ख़्वाहिश ही मिले 'धुन', वैसे ही मेरे लिए उनका प्यार, शायद बना नहीं ख़ालिक़ अभी। हाज़िक़- Perfect, Skilful सादिक़- Honest फ़ाइक़- Able सुतून- Pillar ख़ालिक़- God, Creator #restzone #rztask293 #rzलेखकसमूह #sangeetapa
shaukat ali shaukat
अपने महबूब की और अपनी अताअत के लिए हमको ख़ालिक़ ने किया ख़ल्क़ इबादत के लिए ताकि इन्साफ़ की रहों पे रहें हम क़ायम रब्ब ने नाज़िल किया मीज़ान अदालत के लिए शौकत अली 'शौकत' अपने महबूब की और अपनी अताअत के लिए हमको ख़ालिक़ ने किया ख़ल्क़ इबादत के लिए ताकि इन्साफ़ की रहों पे रहें हम क़ायम रब्ब ने नाज़
Ashu
•कलम• कलम में मेरी भरी है स्याही, जो लिखती हैं अल्फाज़ मेरे हृदय के। कलम में मेरी भरी है स्याही, जो लिखती हैं सफ्ह़ा हर रोज एक अपने हुक़ूक की। कलम में मेरी भरी है स्याही, जो लिखती हैं आसुदगी अपने अज़ाज-तरो के लिए। कलम में मेरी भरी है स्याही, जो लिखती हैं प्यार के रहजनों की कहानी। कलम में मेरी भरी है स्याही, जो लिखती हैं ख़ालिक़ के मेहर। कलम में मेरी है स्याही, जंग के मौसम को बदलने की। •कलम• कलम में मेरी भरी है स्याही, जो लिखती हैं अल्फाज़ मेरे हृदय के। कलम में मेरी भरी है स्याही, जो लिखती हैं सफ्ह़ा हर रोज एक अपने हुक़ू
Aabha Tripathi
कह रही आज जो, इक अनकही कहानी है; कि ख़्वाबों की, हकीक़त में, इक ख़ूबसूरत बस्ती बसानी है! जहाँ हर परिंदा आज़ाद होगा; जहाँ इंसानों का मख़लूक से रिश्ता ख़ास होगा; जहाँ रुसवा हो जो कोई जानवर, तो हर इंसान नासाज़ होगा; जहाँ ख़ुदा को भी अपनी ख़ालिक़ी पर, बेइंतहा नाज़ होगा; जहाँ दहलीज के परे, तरजीह पहले बेज़ुबानों की होगी; जहाँ हर तराने में मौसिक़ी, पहले रहनुमानों की होगी; जहाँ बदले में वफ़ादारी के, खुशियों की मेहरबानी होगी; जहाँ इंसानी दुनिया अधूरी, बिन इन बेज़ुबानों होगी; फिर हर इंसान की होगी वही, जो आज मेरी ज़ुबानी है, कि ख़्वाबों की, हकीक़त में, इक ख़ूबसूरत बस्ती बसानी है! इंसान और जानवर : इक रिश्ता💙 This I've penned down something what I aspire to be a world in future, where every human being would have sweet
नरेश होशियारपुरी
ज़र्रे ज़र्रे में बसा है वोह कोई इसमें शुभा नहीं।। सब का मालिक एक वही सब का बिधाता है।। ⭐⭐⭐ 3 testimonials on Urdu_shayari/promotional screening by Tanha Raatein 💐🥳🥳Shayari Challenge: submit before 6a.m the next day , mentionin