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Ashutosh Mishra
--समुद्रतट-- समुद्र तट के किनारे को छूती समुद्र की लहरें, अनायास दिल में हलचल पैदा कर रही है। सूनसान जगह सूनी आंखों में---------- एक पुनः प्रयास की अलख जगा रही है। निराशा हल नहीं किसी समस्या का, पुनः प्रयास का यत्न बात रही है। अंत जीवन का समाधान नहीं है, एक कायर की पहचान है-------। सागर के किनारे रहने वाले हमेशा सजग रहते हैं, वो जानते हैं---------- सागर कब शांत और कब उग्ररूप थर सकता है। जिंदगी के उतार चढ़ाव भी इसी तरह होतें है। अल्फ़ाज़ मेरे ✍️🙏🏻🙏🏻 ©Ashutosh Mishra #seashore समुद्र तट के किनारे को छूती लहरें, अनायास दिल में हलचल पैदा कर रही है। सुनसान जगह सूनी आंखों में----- एक पुनः प्रयास का अलख जगा र
Ankur tiwari
कुछ लोग हमारे जीवन में कुछ खुशियां लेकर आते है कुछ लोग हमें जीवन भर की खातिर दुःख तकलीफ़ दे जाते है इन कुछ लोगों के आने जानें से जीवन का हर मोड़ बदलता है कोई चार कदम संग होता है कोई जीवन भर संग चलता है कोई आता मतलब लेकर अपना बहुत ही प्यार दिखाता है कोई अनायास ही बेमतलब सा दिल को बहला कर जाता है जो बिन मतलब के होते संग वो ही तो साथ निभाते हैं बाकी मतलब से आने वाले मौका ढूंढ निकल ही जाते है फिर किस पर करे भरोसा किसको मीत बनाएं जग में हम कौन हंसेगा खुशियों में संग किसके संग दुःख में रोएंगे हम ©Ankur tiwari #PhisaltaSamay कुछ लोग हमारे जीवन में कुछ खुशियां लेकर आते है कुछ लोग हमें जीवन भर की खातिर दुःख तकलीफ़ दे जाते है इन कुछ लोगों के आने जा
Dr.Vinay kumar Verma
अदनासा-
नोजोटो को मेरा प्रणाम, हार्दिक मंगलमय शुभकामनाएं एवं अभिनंदन, इस माननीय मंच ने मुझे लिखने की जो आज़ादी दी है, वह मेरे लिए अनमोल है इसलिए मैं नोजोटो और उनसे जुड़े सभी माननीय सदस्य जन को हार्दिक नमस्कार करता हूं, और भविष्य में नोजोटो द्वारा जो नया इतिहास रचा जायेगा, उस महत्वपूर्ण घटना के लिए अग्रिम सप्रेम हार्दिक शुभकामनाएं देता हूं। कभी-कभी भावुकता वश, हिंदी के प्रती उदासीन रह रहे मानसिकता को रेखांकित करता हूं तो मेरे मन में भी आलोचना का भाव आता है, परंतु जब..... क्रमशः लेख कृपया कैप्शन में पढ़ें🌹🙏😊🇮🇳🇮🇳 ©अदनासा- #NojotoTurns5 ...भी माननीय मंच नोजोटो के अतिरिक्त अन्य कवि सम्मेलन या मुशायरे में जाता हूं तो लगता है, मैं भारत में हूं मैं भारतीय हूं, और
Rakesh frnds4ever
जीवन के सभी सुखद दुखद क्षणों की मन में छपी और मस्तिष्क के चेतन अवचेतन हिस्से में सहेजी गई सभी स्मृतियां जब जिंदगी की मुश्किल परिस्थितियों ओर बदतर हालातों में अनायास ही आंखों के दृश्यपटल के सामने इक रंगमंच के रूप में एक साथ प्रसारित हो ,, छवि के रूप में उभरती हैं तो मानों जैसे आपकी खुद की विभिन्न स्थितियों में अच्छी, बुरी, बेकार ,दयालु,स्वार्थी,लोभी, निर्दयी,सहयोगी, मतलबी,एकाकी,,आदि सभी छवियों से आपको रूबरू करा देती हैं ©Rakesh frnds4ever #Chhavi #जीवन के सभी सुखद दुखद #क्षणों की मन में छपी और मस्तिष्क के #चेतन #अवचेतन हिस्से में सहेजी गई सभी #स्मृतियां जब जिंदगी की
अनुषी का पिटारा "अंग प्रदेश "
एक कलि देख, गया था काँप मैं कुछ घटित होगा गया था भाँप मैं वो "कहती" गई मैं सुनता गया शब्दों से 'सपनें' को बुनता गया जब देखा 'अकेला हूँ' आस-पास जा खड़े हुए लेकर 'गुलाब' खास दे दिया खिला- ताजा 'गुलाब' मैं वो हँसी खिल उठा 'अनायास' मैं अद्भुत अनोखी थी अपने आप में 'नींदें' टूटी करता रहा "बिलाप" मै ©अनुषी का पिटारा.. एक कलि देख, गया था काँप मैं कुछ घटित होगा गया था भाँप मैं वो "कहती" गई मैं सुनता गया शब्दों से 'सपनें' को बुनता गया जब देखा 'अकेला हूँ'
Rakesh frnds4ever
जब जिंदगी के थपेड़े लगते हैं तो ना बलशाली, मजबूत शरीर काम आता है ना अच्छा स्वास्थ्य यहां तक कि आपकी ईमानदारी ,अच्छाइयां, भी बेईमानी हो जाती हैं आपको भोलापन लोगों को बुरा लगने लगता है और खुद के लिए मुश्किलें बढ़ाने वाला काम करने लगता है आपका साफ दिल लोगों, अपनों ,दुनिया वालों की गंदगी में धूमिल हो कहीं गुम सा होने लगता है ओर जो कुछ हिस्सा दृश्यगत होता है वो अनायास ही पता नहीं क्यों सबको मलिन व कुटिल लगने लगता है,,... और आप किसी बुत की तरह खामोशी और अंधकार में कहीं छुपते छुपाते ,, बचते बचाते,, अदृश्य जगह में गुम होते चले जाते हैं,,,.... ©Rakesh frnds4ever #berang जब #जिंदगी के #थपेड़े लगते हैं तो ना बलशाली, मजबूत शरीर काम आता है ना अच्छा स्वास्थ्य यहां तक कि आपकी #ईमानदारी ,अच्छाइयां, भी
aaj_ki_peshkash
जन्म आणि मरणं यामध्ये जे जगणं असतं ना तेच राहून गेलय तुझ माझ्यापाशी... माझं तुझ्यापाशी... आता मोकळे करावेत बंध आणि घट्ट व्हावे बाहुपार तुझे माझ्याभोवती... माझे तुझ्याभोवती... ©aaj_ki_peshkash #TereHaathMein #जन्म आणि #मरणं यामध्ये जे #जगणं असतं ना तेच राहून गेलय तुझ माझ्यापाशी... माझं तुझ्यापाशी... आता #मोकळे करावेत #बंध
ashish gupta
तन्हाइयों में भी राहत दी जाती है तेरे ना होने पर भी तुझसे मिलाती है गम ए मोहब्बत में प्यार की बौछार सी बरस जाती है मेरे हमसफ़र मीठी सी यादें तेरी तबीयत सी सुधर जाती है रंगत चेहरे कि सवार जाती है जब जब क्यालो में मेरे वो आते हैं मेरे हमसफ़र मीठी सी यादें तेरी अनायास ही मेरा मन मिलने को दिल चाहता है बेचैनी मेरी हद से बढ़ जाती है जब-जब ख्यालों की दुनिया में वो आते है ©ashish gupta #Luminance तन्हाइयों में भी राहत दी जाती है तेरे ना होने पर भी तुझसे मिलाती है गम ए मोहब्बत में प्यार की बौछार सी बरस जाती है मेरे हमसफ़र
N S Yadav GoldMine
अत्यन्त दु:ख से रोती हुई कुरूकुल की स्त्रियों ने भी अपने पिता आदि के साथ-साथ पतियों के लिये जल अपर्ण किये पढ़िए महाभारत !! 📄📄 {Bolo Ji Radhey Radhey} महाभारत: स्त्री पर्व सप्त़विंष अध्याय: श्लोक 19-44 {Bolo Ji Radhey Radhey} 📜 वैशम्पायनजी कहते हैं- राजन। वे युधिष्ठिर आदि सब लोग कल्याणमयी, पुण्यसलिला, अनेक जलकुण्डों से सुशोभित, स्वच्छ, विशाल रूप धारिणी तथा तट प्रदेष में महान् वनवाली गंगाजी के तट पर आकर अपने सारे आभूषण, दुपट्टे तथा पगड़ी आदि उतार डाले और पिताओं, भाईयों, पुत्रों, पौत्रों, स्वजनों तथा आर्य वीरों के लिये जलांजलि प्रदान की। 📜 अत्यन्त दु:ख से रोती हुई कुरूकुल की स्त्रियों ने भी अपने पिता आदि के साथ-साथ पतियों के लिये जल अपर्ण किये। धर्मज्ञ पुरुषों ने अपने हितेषी सुहृदय के लिये भी जलां अजिल देने का कार्य सम्पन्न किया। वीरों की पत्नियों द्वारा जब उन वीरों के लिये जलां अञ्जलि दी जा रही थी उस समय गंगाजी के जल में उतरने के लिये बड़ा सुन्दर मार्ग बन गया और गंगा का पाट अधिक चौड़ा हो गया। 📜 महासागर के समान विशाल वह गंगा तट आनन्द और उत्सव से शून्य होने पर भी उन वीर पत्नियों से ब्याप्त होने के कारण बड़ा शोभा पाने लगा। महाराज। तदन्तर कुन्ती देवी सहसा शोक से कातर हो रोती हुई मंद वाणी में अपने पुत्रों से बोली- पाण्डवों जो महाधनुर्धर वीर रथ यूथपतियों का भी यूथपति तथा वीरोचित शुभ लक्षणों से सम्पन्न था, जिसे युद्ध में अर्जुन ने परास्त किया है, तथा जिसे तुम लोग सूत पुत्र एवं राधा पुत्र के रूप में मानते जानते हो। 📜 जो सेना के मध्य भाग में भगवान सूर्य के समान प्रकाषित होता था, जिसने पहले सेवकों सहित तुम सब लोगों का अच्छी सामना किया था, जो दुर्योधन की सारी सेना को अपने पीछे खींचता हुआ बड़ी सोभा पाता था, बल और पराक्रम में जिसकी समानता करने बाला इस भू-तल पर दूसरा कोई राजा नहीं है, जिस शूरवीर ने अपने प्राणों की बाजी लगाकर भी भू-मण्डल में सदां यश का ही उपार्ज किया है, 📜 संग्राम में कभी पीठ न दिखाने वाला अनायास ही महान् कर्म करने वाले अपने उस सत्य प्रतिज्ञ भ्राता कर्ण के लिये तुम लोग जलदान करो। वह तुम लोगों का बड़ा भाई था। भगवान सूर्य के अंष से वह वीर मेरे ही गर्भ से उत्पन्न हुआ था। जन्म के साथ ही उस शूरवीर के शरीर में कवच और कुण्डल शोभा पाते थे। वह सूर्य देव के समान ही तेजस्वी था। 📜 माता का यह अप्रिय बचन सुनकर समस्त पाण्डव कर्ण के लिये बार-बार शोक करते हुए अत्यन्त कष्ट में पड़ गये। तदन्तर पुरुषसिंह वीर कुन्ती पुत्र युधिष्ठिर सर्प के समान लंबी सांस खींचते हुए अपनी माता से बोले। मां। जो बड़े-बड़े महारथियों को डुबो देने के लिये अत्यन्त गहरे जलासय के समान थे, बाण ही जिनकी लहर, ध्वजा भंवर, बड़ी-बड़ी भुजाएं महान् ग्राहें और हथेली का शब्द ही गंभीर गर्जन था। 📜 जिनके बाणों के गिरने की सीमा में आकर अर्जुन के सिवा दूसरा कोई वीर टिक नहीं सकता था वे सूर्य कुमार तेजस्वी कर्ण पूर्व काल में आपके पुत्र कैसे हुए? जिनकी भुजाओं के प्रताप से हम सब ओर से संतप्त रहते थे, कपड़े में ढकी हुई आग के समान उन्हें अब तक आपने कैसे छिपा रखा था। 📜 धृतराष्ट्र के पुत्रों ने सदां उन्हीं के बाहुवल का भरोसा कर रखा था, जैसे कि हम लोगों ने गाण्डीवधारी अर्जुन के बल का आश्रय लिया था। कुन्तीपुत्र कर्ण के सिवा दूसरा कोई रथी ऐसा बड़ा बलवान नहीं हुआ है, जिसने समस्त राजाओं की सेना को रोक दिया हो। वे समस्त शस्त्रधारियों में श्रेष्ठ कर्ण क्या सचमुच हमारे बड़े भाई थे? आपने पहले उन अद्भुत पराक्रमी वीर को कैसे उत्पन्न किया था? ©N S Yadav GoldMine #Aurora अत्यन्त दु:ख से रोती हुई कुरूकुल की स्त्रियों ने भी अपने पिता आदि के साथ-साथ पतियों के लिये जल अपर्ण किये पढ़िए महाभारत !! 📄📄 {Bolo