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Ravish
ये असमानता के बीज बोकर,क्या हम पाएंगे। दिनकर के जमीं पर बैठकर,कब हमसब ऊंचा सोच पाएंगे। कितने दिनों के बाद कैंपस में, किलकारियां गूंजी हैं। क्या इसे भी हमसब लड़ते झगड़ते बिताएंगे। ज़रा से वर्चस्व के लिए, हमसब आक्रोश के अग्नि में जल रहे है। क्या इस आक्रोश में, हमसब इंसानियत को भूल जायेंगे। बड़े नारीवादी बनते फिरते हो तुम, और लिंग भेद के समर्थन भी करते हो। क्या इस बात को आपसब तर्क में उतार पायेंगे। ©Ravish #नारीवादी
Monalisa Guje
प्रगतिशील की आदि है। साझा करें अपने विचार Democrats & Dissenters के साथ और हमें बताएं एक नारीवादी की विशेषताएं। 🌸 #yqdidi #yqdnd #dndhindi #dndवहनारीवादीहै #col
keshav
Prof. RUPENDRA SAHU "रूप"
- लाचार कुंठाग्रस्त व्याकुल आदमी और औरत दो शब्द हैं लिंग बोधक। वर्तमान परिस्थितियों में आदमी की वास्तविक स्थिति बहुत बदतर है । एक घर को घर बनाने के लिए उसके परित्याग का
Dr Upama Singh
रचना नंबर – 1 “भारतीय साहित्य में स्त्रीयों का योगदान” निबंध– अनुशीर्षक में भारत में विभिन्न भाषा साहित्य के क्षेत्र में जिस तरह पुरुषों ने प्राचीन काल से ही उत्कृष्ट योगदान दिया है ठीक स्त्रीयों की भूमिका भी बराबर क
परवाज़ हाज़िर ........
6 दिसंबर 1989 को, मार्क लेपिन नाम के एक सशस्त्र पुरुष छात्र ने मॉन्ट्रियल के इकोले पॉलीटेक्निक में एक मैकेनिकल इंजीनियरिंग कक्षा में प्रवेश किया। सबसे पहले, उसने पुरुषों को महिलाओं से अलग किया। फिर, उन्होंने चिल्लाते हुए महिलाओं पर गोलियां चलाईं, "आप सभी नारीवादी हैं ।" 21 और 31 की उम्र के बीच चौदह मारे गए, और दस घायल हो गए । शूटर ने खुद को भी गोली मार ली। इस घटना को मॉन्ट्रियल नरसंहार के रूप में जाना गया और पूरे कनाडा को झकझोर दिया।. ©G0V!ND DHAkAD #NATIONAL_DAY_OF_REMEMBRANCE_AND_ACTION_ON_VIOLENCE_AGAINST_WOMEN कनाडा हर साल 6 दिसंबर को महिलाओं के खिलाफ हिंसा पर राष्ट्रीय स्मरण और क
Anamika Nautiyal
डियर पिंपल... माय डियर पिंपल, तुम इस बार भी बिन बताए आ गए और तुम्हारी आवभगत मैं हमेशा की तरह ही एंटी पिंपल फेस वॉश और एंटी पिंपल
इकराश़
मैं कौन हूँ? (रचना नीचे पढ़ें) चलो आज उस बारे में बात करते हैं जिस बारे में कोई नहीं करता। एक ऐसी हक़ीक़त जिसके बारे में जानते तो सब हैं मगर कोई स्वीकार नहीं करता। आइये एक ऐ
Aprasil mishra
"नारी अस्मितायें एवं सामाजिक सुरक्षा" एक वीभत्स अपराध के साये में आज हमारा शहर भी जीने को अग्रसर हो रहा है।अशिक्षा एवं बेरोजगारी में उर्ध्वगामी सर
Aprasil mishra
"नारी अस्मितायें एवं सामाजिक सुरक्षा" एक वीभत्स अपराध के साये में आज हमारा शहर भी जीने को अग्रसर हो रहा है।अशिक्षा एवं बेरोजगारी में उर्ध्वगामी सर