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Vedantika
कौन बने अब सारथी मन के? बीत गई है अब ऋतु विश्वास की, रूठे हैं मुझसे मेरे कृष्ण भी— % & *कौन थकान हरे / गिरिजाकुमार माथुर Greetings from Kautukii.. collab your original couplet with the couplet of ~गिरिजाकुमार माथुर ❇Highlight
Nitesh Prajapati
कौन भरेगा तेरी जगह मेरी जिंदगी में? बीत गया वो पल खुशी का, रूठ गई कायनात भी अब मुझसे।— % & *कौन थकान हरे / गिरिजाकुमार माथुर Greetings from Kautukii.. collab your original couplet with the couplet of ~गिरिजाकुमार माथुर ❇Highlight
#mai_bekhabar
कैसे लिखू पूरी गाथा जीवन की? धुन बंद कब हो जाए, जाने कौन सी कविता होगी आखिरी— % & #mai_bekhabar #collabwithmb *कौन थकान हरे / गिरिजाकुमार माथुर Greetings from Kautukii.. collab your original couplet with the couplet of ~ग
Dr Upama Singh
कौन दूर करे वेदना एकाकी मन की प्यार के धुन बिन ज़िन्दगी नीरस, कोमल हृदय शांत झील सी।— % & *कौन थकान हरे / गिरिजाकुमार माथुर Greetings from Kautukii.. collab your original couplet with the couplet of ~गिरिजाकुमार माथुर ❇Highlight
Rashmi Hule
व्रृथा लग रही जद्दोजहद जीवन की ना संगी रहा ना साथी कोई,जाने कब बजेगी तार मनकी!! Rashmi — % & *कौन थकान हरे / गिरिजाकुमार माथुर Greetings from Kautukii.. collab your original couplet with the couplet of ~गिरिजाकुमार माथुर ❇Highlight
Tarot Card Reader Neha Mathur
कोरा काग़ज़ जन्मदिन महाप्रतियोगिता 2022 अंतिम चरण :- निबंध लेखन शीर्षक:- कोराकाग़ज़ की विशेषताएँ उपशीर्षक:-कोरा काग़ज़ परिवार एक अभूतपूर्व मंच प्रस्तावना:- कोरी से सोच को जो शब्दों से एहसास दे कोई खुशी लिखे तो कोई ग़म बयां कर दे, नए लफ़ज़ों को देकर कवि की सोच को पंख दे प्यार के दो मिसरों में नित नई तस्वीर उभरे, ग़ज़ल कविता से कोरा काग़ज़ परिवार का रूप सजे हंसी फुहारों से भी परिवार का हर रूप हंसे और खिले, स्वागत खुली बाहों से सबका करता यही हैं विशेषताएँ माँ सरस्वती का सदा आशीष बरसे दूं यही जन्मदिन की शुभकामनाएँ। शेष कैप्शन/अनुशीर्षक में पढ़ें।🙏🙏 कोरा काग़ज़ जन्मदिन महाप्रतियोगिता 2022 अंतिम चरण :-निबंध लेखन शीर्षक:-कोरा काग़ज़ की विशेषताएँ उपशीर्षक:-काग़ज़ परिवार एक अभूतपूर्व मंच प्
Tarot Card Reader Neha Mathur
रखा रह गया प्यार ज़रा सा हल्वा था जो मां ने बनाया सभी के मन को था भाया फिर न जाने क्यों ज़रा छूट गया क्या मां को था किसीको देना बस एक कौर संभालकर रखा किस पर था उन्हे प्यार था उडेलना क्या था किसीको अपने हाथों से खिलाना था क्या वो गैया का बछड़ा या फिर चिडिया का खाना या बनना था किसी गरीब का निवाला या उस फूटपाथ के बच्चे को था खिलाना मैने भी मां के पीछे जाकर देखा आखिर था उसका राज़ जो गहरा आंखों में था अब आंसू का डेरा मैं भूली थी बाई के बेटे को खाना देना मां ने था उसे बड़े प्यार से खिलाया नही था बस एक कौर था पूरा डिब्बा पकवान के साथ था पूरा खाना भूली थी मैं घर के सहायक को खाना देना भूली थी मैं घर के सहायक को खाना देना। रखा रह गया प्यार ज़रा सा हल्वा था जो मां ने बनाया सभी के मन को था भाया फिर न जाने क्यों ज़रा छूट गया क्या मां को था किसीको देना बस एक कौर स
Tarot Card Reader Neha Mathur
कम से कम तुम तो समझते मेरे प्यार को थोप दिया मुझपर सरेबज़ार इल्ज़ामों को कह दिया निभाना नही रिश्ता तो तोड़ दो हाँ हो जाओ मुझसे अलग मुझे छोड़ दो मुझसे तुम अपना रुख हमेशा के लिए मोड़ लो और मुझे अकेले ही चुपचाप सब सहने बस दो क्या इस दिन के लिए तुमने मुझसे कहा प्यार करो फिर किस लिए कहा हमेशा मुझपर भरोसा रखो। शेष कविता अनुशीर्षक में पढ़े तुम तो समझते... कम से कम तुम तो समझते मेरे प्यार को थोप दिया मुझपर सरेबज़ार इल्ज़ामों को कह दिया निभाना नही रिश्ता तो तोड़ दो हाँ हो जाओ म
Tarot Card Reader Neha Mathur
कोरा काग़ज़ दूसरा चरण:-ग़ज़ल शीर्षक:- बचपन ख़्वाब में जो पुराना वो बचपन दिखा फ़िर हमें खिलखिलाता वो बचपन दिखा मनचली सी वो तितली को हाथों में फिर बांध कर मुस्कुराता वो बचपन दिखा काग़ज़ी नाव को हमें बरसात में दूर तक ही बहाना वो बचपन दिखा जुगनुओं का वही चांदनी रात में झील में झिलमिलाता वो बचपन दिखा वो नदी और तालाब के 'नीर' में मौज में छपछपाता वो बचपन दिखा। KKPC27 कोरा काग़ज़ दूसरा चरण:- ग़ज़ल शीर्षक:- बचपन ख्वाब में जो पुराना वो बचपन दिखा फिर हमें खिलखिलाता वो बचपन दिखा
Tarot Card Reader Neha Mathur
कोरा काग़ज़ प्रथम चरण:- कविता शीर्षक :- चरित्र स्वर्णिम विकास के लिए अच्छे चरित्र का निर्माण करो नैतिक मूल्यों को अपनाकर व्यक्तित्व का निखार करो, संस्कारों में ढलकर अपने पूर्वजों का नाम रौशन करो सहनशीलता,सेवाभाव,उदारता गुणों का विस्तार करो, शिक्षा से दृढ़ नींव गढ़कर आत्मा का सुंदर श्रृंगार करो भेदभाव मिटाकर सब धर्मों का हृदय से मान करो, नारी सा ममत्व गुण अपनाकर मानव प्रति संवेदनशील बनो करुणा,निस्वार्थ प्रेम से संबंधों में सुदृढ़ता स्थापित करो, विकट परिस्थितियों में धैर्य रखकर कनक सा खरा बनो मेहनत से ही अपने सफलता के पथ का नव निर्माण करो। कृप्या शेष कविता अनुशीर्षक में पढ़ें। KKPC27 कोरा काग़ज़ प्रथम चरण:- कविता शीर्षक:- चरित्र स्वर्णिम विकास के लिए अच्छे चरित्र का निर्माण करो नैतिक मूल्यों को अपनाकर व्यक्तित्व क