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Eenfnety Sunny Kumar
Genuinely, You ताकते रहते तुझको सांझ सवेरे । 😹 ©Eenfnety Sunny Genuinely, You ताकते रहते तुझको सांझ सवेरे । 😹 #loversday #Tharki #Lust #MindGames #LoveGamea
Juhi Singh
तेरा हांथ है जबसे सिर पर मेरे,चिंता न मोहे सताय तू है भोले भंडारी मेरा, मेरे बिगड़े काम बनाय प्यासी तेरे दरस को, अंखियां बरसी जाय, सांझ सवेरे नाम तेरा, इन अधरन पर गुनगुनाय❤️ ©Juhi Singh तेरा हांथ है जबसे सिर पर मेरे,चिंता न मोहे सताय तू है भोले भंडारी मेरा, मेरे बिगड़े काम बनाय प्यासी तेरे दरस को, अंखियां बरसी जाय, सांझ सवेर
gourav saini (loveishkraj singh saini)
*जैसे भी हैं, अब है "सांवरे" हम तो* *तेरे है,* *तेरे ही रंग में, रंगे हमारे सांझ* *सवेरे है,* *"कान्हा" हम तो तेरे हैं।* *जय श्री राधे कृष्णा* 👏 गौरव सैनी *जैसे भी हैं, अब है "सांवरे" हम तो* *तेरे है,* *तेरे ही रंग में, रंगे हमारे सांझ* *सवेरे है,* *"कान्हा" हम तो तेरे हैं।* *जय श्र
Devesh Dixit
ऐ दोस्त ऐ दोस्त तू है तो शुकून है दिल को कि मेरा कोई अपना है तेरे जैसे दोस्त का होना एक सपना है ऐ दोस्त तू है तो मैं भूला सांझ सवेरे को वरना तो मैं गमों से लिपटा होता अंधेरे को बना कफन मैं सोया होता ऐ दोस्त तू है तो जैसे पाया श्री कृष्ण को जो सुख में तो अपना प्यार दे पर हर मुश्किल में भी साथ दे ऐ दोस्त तू है तो सलाम है तेरी दोस्ती को जिसने दिल से अपने लगाया है अपना हमराज हमें बनाया है ऐ दोस्त तू है तो जग जैसे फुलवारी हो जश्न हो मस्ती धमाल का अपनी दोस्ती का रंग हो कमाल का .............................................. देवेश दीक्षित ©Devesh Dixit #ऐदोस्ततूहैतो#FriendshipDay#nojotohindi ऐ दोस्त ऐ दोस्त तू है तो शुकून है दिल को कि मेरा कोई अपना है तेरे जैसे दोस्त का होना एक सपना है
Drg
ना दिखी उसे प्रीत राधा की, ना मीरा की भक्ति जान पाया, अब तू ही बता मेरे कान्हा, वो उसकी प्रीत को तुझ जैसे क्यूँ ना समझ पाया? (कैप्शन में पढ़े) इन सुर्ख़ होंठों की लाली को इंतेज़ार आज भी है उसका, सताता वो अपनी प्रेम दीवानी को आज भी है उतना, गोपियों संग रास रम जाता है वो कई, ना ख़याल आत
रजनीश "स्वच्छंद"
कब उस रात की सुबह हुई।। मुर्गा भी बांग नहीं देता, ना किरण पतों संग इठलाती है। जहां दिन-रात में अंतर भी नहीं, बस दुख की बदली मंडराती है। कब फुर्सत उनको मिल पाता है, निवाले की जुगत में बीते पहर तमाम। हक की दुर्दशा भी देखी, अधिकारों पर लगे हैं निरन्तर लगाम। तन भी नँगा, हाथ भी नँगा, आते जाते सबकी आत्मा भी नंगी पड़ी थी। बाहर की गर्मी तो सह भी लेता, भूख की गर्मी मुँहबाये महंगी बड़ी थी। क्या जतन करे, वो क्या कर जाए, ढके बदन या क्षुधातृप्ति को दूध ले आये। बच्चे बिलखते सड़क पर, पत्नी बीमार पड़ी, बच्चों को देखे, या जा पत्नी की सूध ले आये। एक संसार मे बसते कई संसार, एक मेरा, एक तेरा, एक उनका है। तुमको हक मिला पेट से, मैं लड़ता, पर उसका क्या, वो तो वहीं दुबका है। उनकी तो बस एक लड़ाई है, सांझ, सवेरे, दोपहर, चारों पहर। दो जून की रोटी मिली कहां कब, आधे पेट ही करता है वो बसर। ना हमने सोचा, ना तुमने सोचा, बस शब्दों में दर्द छुपाया है। अब बस हुआ, उठ आगे बढ़ो, सच है, जो उनका दर्द सुनाया है। ©रजनीश "स्वछंद" कब उस रात की सुबह हुई।। मुर्गा भी बांग नहीं देता, ना किरण पतों संग इठलाती है। जहां दिन-रात में अंतर भी नहीं, बस दुख की बदली मंडराती है। कब
नेहा उदय भान गुप्ता
कर लेना राघव आज मेरा वरण तुम, हर घड़ी ना लो परीक्षा तुम मेरी इतनी। विरह में तेरे व्याकुल मैं हूँ भटक रही, तुम मेरे, मैं भी हूँ तेरी अनमोल रतनी।। अपने नाम के पीछे तेरा नाम लगाऊँ, कहलाऊँ मैं तो बस तेरी ही दुल्हनियाँ। प्रेम का ऐसा पर्याय सिखा दो मुझको, मैं भटक रही बनकर तेरी जोगनिया।। प्रेम अनूठा, सच्चा व समर्पित अपना हो, मेरी माथे पर सजी वो सिन्दूर तुम्हारा हो, बना लो तुम मुझको अपना जीवन साथी, तेरे आँगन में बस तेरी नेह का बसेरा हो।। अपने राजा राघव की रानी बन जाऊँ मैं, मिल जाए मुझको तेरे प्रेम का आलिंगन, लाड़ लगा ले हम दोनों अपने उपवन में, प्राप्त होता रहे मुझे तेरे प्रेम का छुअन।। सांझ सवेरे बस तुझको ही निहारती रहूँ, बन जाऊँ तेरे अधरो की मधुर मुस्कान। गुलाबी तन को सींचू मैं तेरे श्रृंगार रस से, तुम हो रघुनन्दन मेरे यौवन की पहचान।। झूम रही है ये तो पवन अलबेरी बदलिया, मेरा चंचल रंगी चितवन भी मचल रहा है। प्यासे मेरे लबों को चूम लो आज तुम राम, तड़पती निगाहें व जिया मेरा धड़क रहा है।। काव्य मिलन —1 कर लेना राघव आज मेरा वरण तुम, हर घड़ी ना लो परीक्षा तुम मेरी इतनी। विरह में तेरे व्याकुल मैं हूँ भटक रही, तुम मेरे, मैं भी
नेहा उदय भान गुप्ता😍🏹
कर लेना राघव आज मेरा वरण तुम, हर घड़ी ना लो परीक्षा तुम मेरी इतनी। विरह में तेरे व्याकुल मैं हूँ भटक रही, तुम मेरे, मैं भी हूँ तेरी अनमोल रतनी।। अपने नाम के पीछे तेरा नाम लगाऊँ, कहलाऊँ मैं तो बस तेरी ही दुल्हनियाँ। प्रेम का ऐसा पर्याय सिखा दो मुझको, मैं भटक रही बनकर तेरी जोगनिया।। प्रेम अनूठा, सच्चा व समर्पित अपना हो, मेरी माथे पर सजी वो सिन्दूर तुम्हारा हो, बना लो तुम मुझको अपना जीवन साथी, तेरे आँगन में बस तेरी नेह का बसेरा हो।। अपने राजा राघव की रानी बन जाऊँ मैं, मिल जाए मुझको तेरे प्रेम का आलिंगन, लाड़ लगा ले हम दोनों अपने उपवन में, प्राप्त होता रहे मुझे तेरे प्रेम का छुअन।। सांझ सवेरे बस तुझको ही निहारती रहूँ, बन जाऊँ तेरे अधरो की मधुर मुस्कान। गुलाबी तन को सींचू मैं तेरे श्रृंगार रस से, तुम हो रघुनन्दन मेरे यौवन की पहचान।। झूम रही है ये तो पवन अलबेरी बदलिया, मेरा चंचल रंगी चितवन भी मचल रहा है। प्यासे मेरे लबों को चूम लो आज तुम राम, तड़पती निगाहें व जिया मेरा धड़क रहा है।। काव्य मिलन —1 कर लेना राघव आज मेरा वरण तुम, हर घड़ी ना लो परीक्षा तुम मेरी इतनी। विरह में तेरे व्याकुल मैं हूँ भटक रही, तुम मेरे, मैं भी
Nitish
कहता है पल पल तुमसे होके दिल ये दीवाना एक पल भी जाने जाना मुझसे दूर नहीं जाना प्यार किया तो निभाना प्यार किया तो निभाना आंखों को चूमू तेरे Aankho ko chumu tere जुल्फों से खेलूं मैं Zulfo se khelu mai बाहों में भर के तुमको