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Sangeeta Patidar
"काफ़िरों की मंज़िल तो तय होती है ज़नाब, तू पहुँच वहाँ उसकी मंज़िल है हासिल जहाँ।।" तू रातों की रानी, मैं रातों का मुसाफ़िर, किस मंज़िल पे मिलेगी बता दे काफ़िर. #ajayarun #twoliner #shayari #collab #collabwithme #yqquotes #yqba
Unconditiona L💓ve😉
🌠उनकी एहसासों से भीगे कलम🌠 वो कोई ज़्यादा खूबसूरत नहीं थी मगर मुझसे ज़्यादा खूबसूरत थी। बड़ा हिसाब किताब लगकर बैठे थे रचने को उनका एक किरदार। ख्यालों में उतरे तो एहसास पन्नों पे उतरते चले गये कुछ यादें, कुछ अनुभव, और कुछ उनके दर्द उतरता चला गया मेरे दिल की गहराइयों में, मेरे ज़ेहन में। समझने की लाख कोशिश करता मैं, मग़र मग़र जितना समझता, उतना नसमझ होता गया उनकी ख़ामोशियाँ देख कलम ठहर सी जाती एक पल उकेर रहा होता हूँ, उस कैदी नंबर चार का दर्द जो चारों दिशाओं से मजबूरियों की दीवार से लदी हुई है जो आठ पहर में से,चार पहर आँशु बहाने को, तो चार पहर गालों पे सुखाती है आँशु। दर्द के इन पन्नों पर जिसने इश्क़ के नाम पर अपनी ज़िंदगी उस पागल खाने की दीवारों के नाम कर दी है, और इतनी दर्दनाक चित्रण देख, मेरी रूह काँपने लगती है फिर अचानक नींद से उठ खड़ा होता हूँ, तो ख़ुद को पाता हूँ, सपनों में रातरानी की दूसरी पहलु, जिसमें बेहिसाब दर्द आँशु, और मजबूरियों के जंजीर से बँधी है वो आज फिर उनकी एहसासों से भीगी कलम या फिर आँखों की नमी से। बता पाना मुश्किल है..!! ख़ैर रातों की रानी का पहला पहलु बेहद खूबसूरत है,, ❤ जल्द ही उनकी कविता मेरी ख्वाबों से होते हुये, एहसासों
अभिलाष सोनी
कोरा काग़ज़ कवि सम्मेलन-3 (ग़ज़ल लेखन) रचना क्रमांक - 4 दिनाँक - 16.01.2022 विषय :- मयखाने की तरफ़ जाना कौन चाहता है। मयखाने की तरफ़ जाना कौन चाहता है। रोज वही बात दोहराना कौन चाहता है। हम तो रहते हैं उसके ही गम में गुमशुदा। भूलकर भी उसको भुलाना कौन चाहता है। चेहरे में मासूमियत और ये शोख़ अदाएं। नज़रों से क़ातिल पर दिल को लुभाए। आख़िर उससे नज़रें चुराना कौन चाहता है। भूलकर भी उसको भुलाना कौन चाहता है। बातों में शरारत जैसे हो लड़कपन। हरकतें हैं ऐसी प्यारी, जीत लें सबका मन। आख़िर उससे बचकर जाना कौन चाहता है। भूलकर भी उसको भुलाना कौन चाहता है। सबके दिलों की वो मल्लिका, रातों की रानी। ख़ूबसूरत है वो इतनी, जैसे अल्हड़ जवानी। आख़िर उससे आज दूर जाना कौन चाहता है। भूलकर भी उसको भुलाना कौन चाहता है। मयखाने की तरफ़ जाना कौन चाहता है। रोज वही बात दोहराना कौन चाहता है। दिल में इस क़दर बस गई है वो सनम मेरी। भूलकर भी उसको भुलाना कौन चाहता है। कोरा काग़ज़ कवि सम्मेलन-3 (ग़ज़ल लेखन) रचना क्रमांक - 4 दिनाँक - 16.01.2022 विषय :- मयखाने की तरफ़ जाना कौन चाहता है। मयखाने की तरफ़ जाना कौन चा
Unconditiona L💓ve😉
तेरी माथे, मेरी माथे को चूमे तेरी कमरिया मेरी बांहों में झूमें मेरे सीने पे तेरी नाजुक़ हाँथ हो दोनों के आँखों में मासूम जज़्बात हो हम रहें एक दूजे में, पल यहीं ठहर जाये दिल में तेरी साँसो से ही मुझे सांस आये प्रेम की जन्मदात्री,प्रेम की मातृ,ममता की मूरत हो तुम क्या कहूँ ? कैसे कहूँ ? प्रिये....कितनी खूबसूरत हो तुम तेरे संग मोहब्बत-ए-सफर और भी वाकिफ हो...! जब भी तेरी प्रेम इतिहास लिखूं, वो ऐतिहासिक हो...!! 🌱______________💌
Unconditiona L💓ve😉
सुनो प्रिय मेरे आँखों के दर्पण में तुम हो मेरी साँसो की धड़कन में तुम हो, हाँ तुम्ही मेरा प्रेम मेरा समर्पण हो दिल में हो..( ❤ ).तुम पूनम की चांदनी रात हो, सितारों की बारात हो, पूस की रात हो और कोई न आस पास हो। तेरे सिवा कोई न खाश हो, तुम ही हर पल आस पास हो। तेरे लबो पे दूजा न कोई नाम हो, मेरे नाम के आगे तुम्हारा ही नाम हो। तेरे आंखों मैं कोई और उम्मीद न हो, मेरे आंखों मैं तेरे सिवा कोई न तसवीर हो। पास भी हो तुम, दूर भी हो तुम, जीत भी तुम,हार भी तुम ही हो। मूकद्दर भी तू सिकंदर भी तू, उम्मीद भी तू हताश भी तू। हर पल में तू हर दिन में तू, हर शाम में तू हर रात में तू। मेरे लिए सपना भी तू मेरे लिए अपना भी तू, मेरे हर रूह मैं तूओर मेरे हर एक साँस मैं तू। तेरे संग मोहब्बत-ए-सफर और भी वाकिफ हो...! जब भी हमारा प्रेम इतिहास लिखूं _वो ऐतिहासिक हो...!! 🌱______________
SAKSHI JAIN
लक्ष्मी बाई धीर बनी वो वीर बनी और बनी गम्भीर सी। स्वतंत्रता के संग्राम में बनी शमशीर सी। झांसी की रानी कहलायी बनी वो महावीर सी। साहसी थी वो निर्भय भी और बनी जन चेतना भी। फिरंगियों का आतंक मिटाने बनकर आयी उम्मीद सी। खिल उठा राजवंश भारत से हुई प्रीत सी। नारी सेना को तैयार किया थी अनोखी शक्ति सी। सबला थी वो ज्वाला सी और बनी मसीहा भी। मराठा साम्राज्य की कली अनोखी बुन्देलखण्ड की शान भी। धीर बनी वो वीर बनी और बनी गम्भीर सी। नाना के घर पली बढ़ी तात्या की मनु प्यारी थी। अखण्ड भारत पुनः निर्माण कसम मनु ने खाई थी। फिरंगियों के धूल चटायी बाज कभी न आयी थी। अंतिम सांस संघर्ष किया ऐसी लक्ष्मी बाई थी। आन थी वो शान भी और नारी का सम्मान भी। साक्षी जैन #झांसी की रानी
MS_HINDUSTANI
#StopAcidAttacks सितम दे देकर कितनी और जलाओगे बेटियां फिर कहीं इतिहास के पन्नों को ना दोहरा देना, हिंसा, अत्याचार, शोषण करखें कोई झांसी की रानी फिर से ना जन्मा लेना। झांसी की रानी
Ajay Keshari
रात की रानी हूं मैं, मै खिलूं हर रात.! रातभर ख़ुशबू बिखेरु, भोर पहर बुझ जात.!! #अजय57 रात की रानी