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Sunita PATHAK
सरकारी लेखांकन किताब रिटायर्ड gov सीनियर accounce ऑफिसर द्वारा लिखित है जिसका विमोचन झारखंड के माननीय राज्यपाल सर ने किया है। इस किताब को खर #जानकारी
read moreSAURABH MAHENDRA VISHWAKARMA
मित्रता वह प्रेम है जो बिना जैविक कारणों से होता है। मित्रता है बिना यौनाकर्षण का प्रेम। यह एक दुर्लभ घटना बन गई है। अतीत में यह महत्वपूर्ण घटना रही है, पर अतीत की कुछ महान अवधारणाएं बिलकुल खो गई हैं। ©Saurabh Mahendra Vishwakarma मित्रता वह प्रेम है जो बिना जैविक कारणों से होता है। मित्रता है बिना यौनाकर्षण का प्रेम। यह एक दुर्लभ घटना बन गई है। अतीत में यह महत्वपूर्ण
मित्रता वह प्रेम है जो बिना जैविक कारणों से होता है। मित्रता है बिना यौनाकर्षण का प्रेम। यह एक दुर्लभ घटना बन गई है। अतीत में यह महत्वपूर्ण #विचार
read moreRakesh frnds4ever
आज जो बुद्धिजीवी संपोषणीय विकास (sustainable development) और पारिस्थितिक तंत्र (ecological environment) की अवधारणा प्रस्तुत कर रहे हैं ये वही है जिन्होंने पिछले कुछ दशकों में (economic-determinism) आर्थिक निश्चयवाद,(possibilism) संभववाद, (technological) उद्देशयमूलक जैसी पर्यावरण अहितकारी अवधारणाएं लाकर पृथ्वी और पर्यावरण का नुकसान किया है,, और पर्यावरण निश्चयवाद को गलत ठहराया है,,,,.... ©Rakesh frnds4ever #पर्यावरण #आज जो #बुद्धिजीवी संपोषणीय #विकास (#sustainabledevelopment) और पारिस्थितिक तंत्र (ecological #environment ) की अवधारणा प्रस्तु
#पर्यावरण #आज जो #बुद्धिजीवी संपोषणीय #विकास (#sustainabledevelopment) और पारिस्थितिक तंत्र (ecological #environment ) की अवधारणा प्रस्तु #जैसी #पृथ्वी #समाज #हैं #kisandivas
read moreDivyanshu Pathak
रामायण सुर तरु की छाया । दुःख भये दूर निकट जो आया ।। आज राम नवमी के उत्सव में आओ अपने पूर्वजों के जींवन मूल्यों को आत्मसात करने का संकल्प ले ।कन्यापूजन चल रहा है।देवी स्वरूपा मातृशक्ति को प्रणा
आज राम नवमी के उत्सव में आओ अपने पूर्वजों के जींवन मूल्यों को आत्मसात करने का संकल्प ले ।कन्यापूजन चल रहा है।देवी स्वरूपा मातृशक्ति को प्रणा
read moreGRHC~TECH~TRICKS
प्रथम श्रवण विधा की 9 अवधारणाएं ******************************** 1.केवल श्रवण विधा से ही एक अधर्म को धर्म रूप मानना का मुल कारण है वर्तमान काल के आधुनिक युग में समस्त पृथ्वी पर । 2.एक श्रवण विधा से अपुर्ण ज्ञान को पुर्ण ज्ञान द्वारा से न जानना का मुल कारण भी है। 3. स्पष्टता से श्रवण विधा की सात कलाऔ से अवलोकन नहीं करना उनका घोर अंधकार को । अज्ञान रूप से इसे पुर्ण प्रकाश रूप में समझना का मुल कारण है । 4.पाखण्ड रूपी तुच्छ अनुभूति को वास्तविक रूप में न समझना एक अधर्मी रुपी अवधारणाएं पैदा करती रहती है निरंतर। 5.अपने आपको शैतान जानना और दुसरे को श्रेष्ठता से समझते चलना खुद के विश्वास अनुभव को खत्म करके एक चलन से पुर्ण अन्धविश्वास में बदलने का मुल कारण एक पुर्ण भ्रम की जड़ ही है। हर पल पुरुषार्थ शक्ति और नारी शक्ति आज़ अपने हृदय में समस्त पृथ्वी पर। 6. आपके पुरुषार्थ शक्ति/नारी शक्ति के सम्पुर्ण शरीर में ही समस्त ब्रह्माण्ड का ज्ञान आन्तरिक पृवति में अच्छी तरह संजोए रखा है । इस युग में आपका ज्ञान ही समस्त पृथ्वी पर भौतिक जीवन में बाहरी पृवति खोजने से तुच्छ साहस से खोजते जा रहे है। निरंतर दिन-प्रतिदिन। 7.अपने अनुभव को खत्म करके औरौ की संस्कृति और प्रकृति से अनुभव प्रस्तुत कर रहा है /रहे है अपने ग्रहस्थजीवन काल में। इसलिए स्वयं का शत्रु खुद हो रहे है निरंतर अभ्यास के तुच्छ ज्ञान से। 8. माता और पिता को केवल जन्मदाता मानकर धीरे- धीरे संस्कार रूपी पवित्र मोक्षदायिनी मार्ग को त्यागकर जाने से। अपने तुच्छ गुरुऔ के पाखण्ड को अपनाकर अधोगति मार्ग को स्वयं खोजकर ला रहे है अपने ग्रहस्थजीवन काल मैं। 9. स्वय ही अपना उद्धार कर सकते है तुम सभी , यही उद्धार आपके माता-पिता, पितृऋण से मुक्त कर देगा। आपकों एक दिन अन्धकार रूप संसार वृक्ष से इस पथ पर भटकने से रुप एक अवधारणाएं पैदा करना है यही भुल आपकी अधोगति का रुप है। यह मेरी वाणी श्री गीता जी गुप्त रहस्य भाव है। ©GRHC~TECH~TRICKS #grhctechtricks #tereliye प्रथम श्रवण विधा की 9 अवधारणाएं ******************************** 1.केवल श्रवण विधा से ही
#grhctechtricks #tereliye प्रथम श्रवण विधा की 9 अवधारणाएं ******************************** 1.केवल श्रवण विधा से ही #समाज
read moreXEviL
किसी की बात है अच्छी तो किसी की बातें है खराब, कोई दिल से है अच्छा तो कोई दिल से है खराब, किसी की जवान है कड़वी किसी के इरादे हैं महान, खराब कोई नहीं होता खराब उन्हें उनके हालात बना देते हैं अच्छे सब नहीं होते कुछ बुरे भी होते हैं , उम्मीद खुद से रखो दूसरों से नहीं , क्योंकि आगे खुद को बढ़ना है दूसरों को नहीं , बिना दूसरों को जांचे-परखे खुदी से खुद के मन में दूसरों के प्रति पूर्वाग्रह की अवधारणा बना लेना कहां तक उचित ठहराते हो , अक्सर ऐसी अवधारणाएं गलत सिद्ध होती है बुरे लोग नहीं उनकी परिस्थितियां होती है... हां माना और देखा भी कि तुम ज्ञानी हो बड़े किसी का उपहास उड़ाओ क्या शोभा देता है तुम्हें , हां पता है तुम्हें बात करना इतना पसंद नहीं पर किसी का उपहास उड़ाओ तुम चले जाते क्यों नहीं ... गलती करी है और उसने कर दिया है माफ़ , अगर कर रहे हो गलती बार-बार तों डूब मर जाओ ना आप ... अगर इज्जत करनी नहीं आती तो कोई करेगा इज्जत क्यों तुम्हारी , हां माना लोग निकाल लेते हैं अर्थ अनेक , सकारात्मक रहो अगर वाक्य नकारात्मक लग रहा हो तों बात को पूछ कर खत्म करते क्यों नहीं (बातें , वाक्य)... ©~XÊviL__👑 it is wrong to judge someone of standard of living , costumes speech etc... किसी की बात है अच्छी तो किसी की ब
it is wrong to judge someone of standard of living , costumes speech etc... किसी की बात है अच्छी तो किसी की ब #thought #HindiLanguage #faraway #respecteveryone
read moreDivyanshu Pathak
: स्त्री होने से कोई एतराज नही हैं मुझे तेरे सिर्फ़ औरत रह जाने का डर है। : बंदिशें समझती हो न तुम जिसे तेरे स्वरूप को ढालने का यंत्र है बस धुरी हो तुम भविष्य की सृष्टा है बर्तमान की । : तुझसे ही तो संस्कार है ममता है तुम माया हो जींवन की सामर्थ्य हो अग्नि परीक्षा तप है तेरे खरे होने का तेरे भाग से ही तो बनने है सृष्टि के गहने । : करुणा सौम्यता नवीनता सरलता गुण है तेरे सौंदर्य का प्रतिमान हो तुम पोषित मत करो अहंकार को पश्चिम की हवा में मत बहने दो आप को अधिकारों के नाम पे तुम स्वयं अधिकार हो । : समय के साथ नर-नारी के देह में तो कोई परिवर्तन नहीं आया, किन्तु चिन्तन और जीवन शैली में बहुत परिवर्तन आया है। यह परिवर्तन किस सीमा तक हितकर ह
Divyanshu Pathak
अपने जीवन को समझना हमारी जीवन-शैली का अंग रहा है स्वाध्याय काल में स्वयं के बारे में चिन्तन करते रहना एक नियमित आवश्यकता है। इसी से व्यक्ति शनै:-शनै: अपने मूल स्वरूप तक पहुंच पाता है। अपने संस्कारों का परिष्कार कर पाता है। वह स्वयं को सृष्टि का अंग समझता है तथा आवरण दूर होने के साथ ही उसकी मूल शक्तियां जागृत हो जाती हैं। उसकी सामाजिक उपादेयता भी स्वत: बढ़ जाती है। 💕☕good morning ji 💕👨☕☕☕🍫🍫🍫💕💕👨🍧🍧🍧💓💓😊💞💞💕👨☕🍫👨 संस्कार जीवन-व्यवहार का महत्वपूर्ण पहलू है। व्यावहारिक जीवन का आधार है और व्यक्ति की पहचान भी है।
💕☕good morning ji 💕👨☕☕☕🍫🍫🍫💕💕👨🍧🍧🍧💓💓😊💞💞💕👨☕🍫👨 संस्कार जीवन-व्यवहार का महत्वपूर्ण पहलू है। व्यावहारिक जीवन का आधार है और व्यक्ति की पहचान भी है।
read moreUmesh Rathore
अहम या वहम, मेरा जीवन, ( 👇अनुशीर्षक में पढ़े 👇) Please give your precious comments and suggestions ( 👇अनुशीर्षक में पढ़े 👇) मेरा जीवन यथार्थ मुझे कई बार सोचने के लिए मजबूर करता है, मेरा विषय जैसे कि अहंकार के रूप में जीवन या वहम के रूप में जीवन अक्सर ये हम कभी जान
मेरा जीवन यथार्थ मुझे कई बार सोचने के लिए मजबूर करता है, मेरा विषय जैसे कि अहंकार के रूप में जीवन या वहम के रूप में जीवन अक्सर ये हम कभी जान #lovequotes #yourquote #yqdidi #yqtales #yqhindi #yourquotebaba
read moreUmesh Rathore
अहम या वहम, मेरा जीवन, ( 👇अनुशीर्षक में पढ़े 👇) Please give your precious comments and suggestions ( 👇अनुशीर्षक में पढ़े 👇) मेरा जीवन यथार्थ मुझे कई बार सोचने के लिए मजबूर करता है, मेरा विषय जैसे कि अहंकार के रूप में जीवन या वहम के रूप में जीवन अक्सर ये हम कभी जान
मेरा जीवन यथार्थ मुझे कई बार सोचने के लिए मजबूर करता है, मेरा विषय जैसे कि अहंकार के रूप में जीवन या वहम के रूप में जीवन अक्सर ये हम कभी जान #lovequotes #yourquote #yqdidi #yqtales #yqhindi #yourquotebaba
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