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AJAY NAYAK
तेरी याद में...................... कुछ कहने का मन करता है कुछ लिखने का मन करता है तेरी याद में...................... थोड़ा हंसने का मन करता है थोड़ा रो लेने का मन करता है तेरी याद में...................... बस, बस जाने का मन करता है बस, उसी में खो जाने का मन करता है तेरी याद में...................... तूझे तराशने का मन करता है मन मंदिर में स्थापित कर लेने का मन करता है तेरी याद में...................... खुद को समर्पित करने का मन करता है समर्पित कर तुझमें विलीन कर देने का मन करता है तेरी याद में...................... –अjay नायक ‘वशिष्ठ’ ©AJAY NAYAK #akela #याद #Yaad❤️ तेरी याद में...................... कुछ कहने का मन करता है कुछ लिखने का मन करता है तेरी याद में...................... थ
Sanjay Sharma Saras
Nisheeth pandey
शीर्षक- मेरा शहर ये चारों तरफ अंधेरा अंधेरा सा क्यों है ..... मेरे सर के ऊपर सूरज अभी तो ठहरा ठहरा सा है .... मेरा शहर मेरा मेरा सा क्यूं नहीं है ... हर बचपन की निशानियां विलीन विलीन सा क्यूं है ,.... वो पुरानी अटखेलियां , शरारते , मस्तीया , खुशियां मिल क्यूं नहीं रहीं है.... ये सभी किधर चले गए मेरे शहर में अब क्यों नहीं है .... मेरे दोस्त आजकल मिलते नहीं नुक्कड़ पर आवारगी करते .... ये सब नालायक सुधर सुधर सा क्यूं गए हैं ..... जो मेरे लिये कभी लड़ा करते थे .... अब उन्हें मिलने की फुर्सत फुर्सत क्यूं नहीं है ..... मेरे अपने कितने बदले बदले से लग रहें हैं .... यहां अब अपने अपने से क्यूँ नहीं हैं ..... अपने , रिश्ते , नाते ,दोस्तवोसत बेवजह अब मिलते नहीं हैं .... उनके फुर्सत के पल खोया खोया सा क्यूं हैं .... मेरे शहर की गलियां सुनी सुनी क्यों है .... भीड़ बहुत है पर सब अनजान अनजान सा क्यूं है .... मेरे चारों तरफ अंधेरा अंधेरा सा क्यूं है .... मेरे सर के ऊपर सूरज अभी ठहरा ठहरा सा है..... @निशीथ ©Nisheeth pandey शीर्षक- मेरा शहर ये चारों तरफ अंधेरा अंधेरा सा क्यों है ..... मेरे सर के ऊपर सूरज अभी तो ठहरा ठहरा सा है .... मेरा शहर मेरा मेरा सा क
Nisheeth pandey
किताब तुम बिलकुल उस शाम की तरह हो, जिसका इंतज़ार मुझे रोज़ रहता है.... टेबल पर रखी चाय और चुस्की तलब सा रहता है ... तुम्हारे अध्याय कुछ मस्तिष्क में कंठस्थ रहता है , कुछ अध्याय का सारांश मस्तिष्क से खो जाता है लगता है यूँ जैसे सपना का कोई दृश्य हो..... जो आंखें खुलते ही दृश्य विलीन हो गया हो ..... #निशीथ ©Nisheeth pandey किताब तुम बिलकुल उस शाम की तरह हो, जिसका इंतज़ार मुझे रोज़ रहता है.... टेबल पर रखी चाय और चुस्की तलब सा रहता है ...
Nisheeth pandey
मेरा शहर मेरा मेरा सा क्यूं नहीं है ... ************** मेरे चारों तरफ अंधेरा अंधेरा सा क्यों है ..... मेरे सर के ऊपर सूरज अभी तो ठहरा ठहरा सा है .... मेरा शहर मेरा मेरा सा क्यूं नहीं है ... हर बचपन की निशानियां विलीन विलीन सा क्यूं है ,.... मेरे दोस्त आजकल मिलते नहीं नुक्कड़ पर आवारगी करते .... ये सब नालायक सुधर सुधर सा क्यूं गए हैं ..... जो मेरे लिये कभी लड़ा करते थे .... अब उन्हें मिलने की फुर्सत फुर्सत क्यूं नहीं है ..... मेरे जो थे अपने कितने बदले बदले से लग रहें हैं .... यहां अब अपने अपने से क्यूँ नहीं है ..... अपने , रिश्ते , नाते ,दोस्त-वोसत बेवजह अब मिलते नहीं हैं .... उनके फुर्सत के पल खोया खोया सा क्यूं है.... मेरे शहर की गलियां सुनी सुनी तो नहीं है .... भीड़ बहुत है पर सब अनजान अनजान सा क्यूं है .... वो पुरानी अटखेलियां , शरारते , मस्तीया , खुशियां मिल क्यूं नहीं रहीं है.... ये सभी किधर किधर चले गए मेरे शहर में अब क्यों नहीं है .... मेरे चारों तरफ अंधेरा अंधेरा सा क्यूं है .... मेरे सर के ऊपर सूरज अभी ठहरा ठहरा सा है..... #निशीथ ©Nisheeth pandey #merasheher मेरा शहर मेरा मेरा सा क्यूं नहीं है ... ************** मेरे चारों तरफ अंधेरा अंधेरा सा क्यों है ..... मेरे सर के ऊपर सूरज
Sangeeta Kalbhor
भोलेनाथ बड़ी देर कर दी आने में इंतजार बरसों का पूरा करने में आपका आना मानो भोर है मेरे मन की सुखदुःख की औकात ही क्या अब मनमानी करने की ऐ भोले.... बड़ा शुभ है तुम्हारा आना तुम्हारा नाम लेना तुममें अपने आपको विलीन कर जाना शंभू.... मार्ग मेरा तुम बन जाओ कार्य में मेरे तुम दिख जाओ मैं एक नाममात्र हूँ इन्सान इन्सानों में मुझे तुम मिल जाओ..... मी माझी..... ©Sangeeta Kalbhor भोलेनाथ बड़ी देर कर दी आने में इंतजार बरसों का पूरा करने में आपका आना मानो भोर है मेरे मन की सुखदुःख की औकात ही क्या अब मनमानी करने की ऐ भोल
Anil Ray
ग़म यह नही है कि वों शख्स छोड़कर चला गया अफ़सोस है कमबख़्त! यह दिल अब भी उसका इंतजार करता है... 🤔 ©Anil Ray 💕💖 "उसका इंतजार समझ आया" 💖💕 इस जहां से अब जहां में ही विलीन हो गया है 'वों शख्स' जिससे करते थे हम बेइंतहा प्यार। परन्तु..सुना है इश्क़ और र
AwadheshPSRathore_7773
Sangeeta Kalbhor
एवढं आणि एवढंच.. तू विसरु शकतोस मी नाही.. तू घसरु शकतोस मी नाही.. कारण.... विसरायला आठवावं लागतं आणि आठवायला विसरावं लागतं दोन्ही माझ्याच्याने अशक्य.. शक्य कायं तर.... फक्त सोबत राहणं येतील ते क्षण तुझ्या सोबतीनं जगणं काही न मागता सर्वस्व अर्पण करणं.. आणि हो.. तूला नकळत तुझ्यातचं विलीन होणं.. बस.... एवढं आणि एवढंच जमतं मला तरी..... मी माझी..... ©Sangeeta Kalbhor #Hum #एवढं आणि एवढंच.. तू विसरु शकतोस मी नाही.. तू घसरु शकतोस मी नाही.. कारण.... विसरायला आठवावं लागतं
SONUANGEL143