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Stories related to अटकल

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Anupama Jha

पहाड़ के मौसम सा मिज़ाज तुम्हारा

अगले पल का अटकलें लगाता, ये दिल हमारा


 #पहाड़ #मौसम #अटकलें#yqdidi

Rajeshwar Singh Raju

" अटकलें " अरे, तुमने सुना ? हालात नासाज़ हैं । क्या होगा ? क्या पता ? किस को ख़बर ?

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 " अटकलें "

अरे,
तुमने सुना ?
हालात नासाज़ हैं ।
क्या होगा ?
क्या पता ?
किस को ख़बर ?

Ajeet Malviya Lalit

जा रहा हूं घर को छोड़कर, आंगन को मायूस सा देखकर, गलियारे की चिड़ियों को चहकता छोड़ कर। मां की आंखों को नम सा छोड़कर, #Poetry

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जा रहा हूं घर को छोड़कर,

आंगन को मायूस सा देखकर,

 गलियारे की चिड़ियों को चहकता छोड़ कर।

मां की आंखों को नम सा छोड़कर,

Poonam Suyal

// वज़्ह-ए-वाबस्तगी // निकल तो पड़े हैं ढूॅंढने तुम्हें, पर ढूॅंढें कहाॅं शब होने को है, घरौंदा तेरा, अब पूछे कहाॅं। मुसाफ़िर बन मिले, कु #yqdidi #YourQuoteAndMine #restzone #aksharo_ki_awaz #rzलेखकसमूह #लेखनसंगी #rztask379

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जाने क्या-क्या दिखाएगी हमें हमारी दीवानगी 
ये दीवानापन हमसे अब छूटेगा कहाँ।

दिल को सुकून मिलेगा जाने कैसे 
अभी तो ये ख़ुद खोया है जाने कहाँ।

टूटकर भी जुड़ा है ये जाने कैसे 
जुड़ने की हर बार मिलती कहाँ।

मोहब्बत भरी है इसमें कूट कूटकर 
इसे फ़िर भी कोई समझा कहाँ।

जो जैसा है वो रहेगा वैसा ही 
कोई किसी के लिए बदलता है कहाँ।







 // वज़्ह-ए-वाबस्तगी //

निकल तो पड़े हैं  ढूॅंढने तुम्हें, पर ढूॅंढें कहाॅं
शब होने को है, घरौंदा तेरा, अब पूछे कहाॅं।

मुसाफ़िर बन मिले, कु

Shivangi

जब टूट जाए हर उम्मीद जीवन लगे जैसे कोई सजा जब थक जाए सांसे चलते चलते ना रहे जीने की कोई वजह हर लड़ाई लड़ी जिंदगी की हर अटकलों को पार किया #Disappointment #yqbaba #yqdidi #yqquotes #shivangiverma

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निराशा
Disappointment 

Read in caption 👇 जब टूट जाए हर उम्मीद
जीवन लगे जैसे कोई सजा
जब थक जाए सांसे चलते चलते
ना रहे जीने की कोई वजह

हर लड़ाई लड़ी जिंदगी की 
हर अटकलों को पार किया

Santosh Sagar

सागर भी करीब थे , तालाब भी करीब थे , पी नहीं सकता था , मेरे प्यास भी अजीब थे ! मर चुकी थी चाह और खो चुकी थी कामना , क्या बताऊ आपको कैसा

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सागर भी करीब  थे , तालाब भी करीब थे ,
पी नहीं सकता था , मेरे प्यास  भी अजीब  थे !
मर चुकी थी चाह और खो  चुकी थी कामना ,
क्या बताऊ  आपको कैसा मेरा तक़दीर थे !!
पी नहीं सकता था ,मेरे प्यास भी अजीब  थे .....
पाने की होड़ में बढ़ रही थी परेशानियां ,
आ चुके  थे बोझ जा चुकी थी नादानियाँ  !
गरीबी की मार थी , लोगों के थे अटकलें ,
लोग सब फले-फुले थे , हम बस फ़क़ीर थे......
पी नहीं सकता था , मेरे प्यास  भी अजीब  थे !
झेलने थे लाख ताने , सह लिए थे यातनाएँ ,
कोई कहता पगला है ये , कोई कहते हैं दीवाने !
बाग की फूलों के मालिक की तरह थी बेड़ियाँ  ,
देखने के फुल खिले थे , पर  काँटे से चिर  थे !!
पी नहीं सकता था , मेरे प्यास भी अजीब  थे .....
                    :-  साग़र सागर भी करीब  थे , तालाब भी करीब थे ,
पी नहीं सकता था , मेरे प्यास  भी अजीब  थे !
मर चुकी थी चाह और खो  चुकी थी कामना ,
क्या बताऊ  आपको कैसा

Sonam kuril

गरजते बादलों से पूछती हैं जिज्ञासा मेरी, बेटियां गरजती,अच्छी,लगती क्यों नहीं, चुप रही हर चोट, हर प्रहार पर, वेदनाइये,उसकी व्यथा, क्यों किसी #badal #समाज #awaj #Garjana

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गरजते बादलों से पूछती हैं जिज्ञासा मेरी,
बेटियां गरजती,अच्छी,लगती क्यों नहीं,
चुप रही हर चोट, हर प्रहार पर,
वेदनाइये,उसकी व्यथा, क्यों किसी को चुभती नहीं,
गरजते बादलों से पूछती हैं जिज्ञासा मेरी,
बेटियां गरजती,........

रुपरेखा, मापदंड, सीमाएं, मर्यादाएं,
क्यों स्त्रियों पर ही थोपी गयी,
लूट ली जब आबरू एक बेटी की,
चुप रही, ना लड़ सकी,
ना बेटा, ना बाप,
कौन संभाले, कौन बचाएं,
कौन थामेगा हाँथ,
डरकर ज़माने की कुरीत से,
चाहकर भी माँ चुप रह गयी,
पूछती हैं जिज्ञासा...,
बेटियां गरजती,....,

चाहता था एक बाप बेटी बन जाये अफसर,
सीख दी अगर हो गलत चुप रहना नहीं,
बोलना डंके की चोट पर,
रोकेगा जमाना अगर सच के साथ जाएगी,
तिरस्कारेंगे, धिकारेंगे भी तुझे,
जो अगर तू कुरीतियों से लड़कर,
समाज के बेढंग ढांचे के विरुद्ध जाएगी,
पर दहाड़ना तू शेरनी सी,
चाहे कितनी भी हो रास्तों में अटकले,
तू बन पहाड़ बादलों से लड़ना,और गर्जना..|
पर.......
पर खामोश हो गयी वो दहाड़,
फँस कर इस ज़माने की कुरीतियों के  शोर में ,
पुछती हैं जिज्ञासा मेरी......,
बेटियां गरजती,.......

©Sonam kuril गरजते बादलों से पूछती हैं जिज्ञासा मेरी,
बेटियां गरजती,अच्छी,लगती क्यों नहीं,
चुप रही हर चोट, हर प्रहार पर,
वेदनाइये,उसकी व्यथा, क्यों किसी

शुभी

सड़कों के गड्ढे सरकार भरने चली है, विश्वास नही होता चली ये जादू की छड़ी है. सुना है चोरों की महफ़िल जमी है, लगता है आई फिर चुनाव की घड़ी है #Politics #poem #yqbaba #satire #Dimri #नेता #yqdidi #सियासत #neta #siyasat #yopowrimo

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लगता है आई फिर चुनाव की घड़ी है
(check caption)  सड़कों के गड्ढे सरकार भरने चली है,
विश्वास नही होता चली ये जादू की छड़ी है.

सुना है चोरों की महफ़िल जमी है,
लगता है आई फिर चुनाव की घड़ी है

Shree

गुलाब का रूआब *********** होता तो है रूआब हर गुलाब का, अतरंगी बेबाक रंग ले शबाब का! सच ही तो है। ऐसे ही थोड़ी ना कोई गुलाब किसी की किस्मत म #a_journey_of_thoughts #unboundeddesires #हिम_और_मेरी_कलम #shreekibaat_AJOT #write_for_roses

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कुछ शब्द जोड़े हैं...

अनुशीर्षक— % & गुलाब का रूआब
***********
होता तो है रूआब हर गुलाब का,
अतरंगी बेबाक रंग ले शबाब का!

सच ही तो है। ऐसे ही थोड़ी ना कोई गुलाब किसी की किस्मत म

Shree

एक बात बताओ, यूं ही जब तुम दबे पांव आकर चेहरे पर मुस्कान लिए जो दस्तक दे जाती हो, क्या जानती हो तुम्हारे जाने के बाद क्या बचता है यहां? यह #YourQuoteAndMine #yqrestzone #collabwithrestzone #rzcinemagraph #a_journey_of_thoughts #rz_जानेसेपहले #तुम्हारा_मन_मेरी_समझ

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, सुनती जाना इस बार,
वक्त मिले तो जवाब सोचना ज़रूर,
अबकी आने से पहले।

अनुशीर्षक एक बात बताओ,

यूं ही जब तुम दबे पांव आकर चेहरे पर मुस्कान लिए जो दस्तक दे जाती हो, क्या जानती हो तुम्हारे जाने के बाद क्या बचता है यहां?

यह
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