Find the Latest Status about क्रियाकलापों from top creators only on Nojoto App. Also find trending photos & videos about, क्रियाकलापों.
Sunita D Prasad
प्रकृति ने रंगों से किया प्रेम और उन्हें जीवंत कर उन्हीं में लगी जीने..! मानव.... रंगों के प्रति रहा आकर्षित और उन्हें बाँध लिया.. अपनी रुचि और क्रियाकलापों संग..! प्रेम और आकर्षण में इतना-सा ही तो भेद रहा..। --सुनीता डी प्रसाद💐💐 प्रकृति ने रंगों से किया प्रेम और उन्हें जीवंत कर उन्हीं में लगी जीने..! मानव.... रंगों के प्रति रहा आकर्षित और उन्हें बाँध लिया..
Krish Vj
कविता :- चरित्र मानव के क्रियाकलापों से बदलती रहती तस्वीर व्यक्तिव की है जो कर्म परहित के लिए हो, वो निशाँ असाधारण व्यक्तिव की है सरलता स्वभाव में, वाणी मेें शीतलता लिए जो जी रहा मनुज है चरित्र के निर्माण की प्रक्रिया को सहज ही जो कर रहा मनुज है परवाह ना कर लाज की जो स्त्री साहस से करती वीरों सा कर्म है चरित्र उसका महान, जो करती दूसरों के चरित्र निर्माण का कर्म है जो मानवता के गुणों को आत्मसात कर चलता राष्ट्र निर्माण को है पशु, पक्षी, नर नारी सब मेें देखे हरि को, उसका जीवन उज्वल है चरित्र माँ 'जानकी' सा, चरित्र भगवती 'राधा' का उच्चतम आदर्श है हर नर में 'राम' नारी मेें 'सीता', बस जगाने का करना सबको कर्म है जाके ह्रदय बसे 'प्रीत' सबके लिए, दया, करुणा, सत्य कर्म संग हो पल पल चलता स्वभाव सत्य का ले, ऐसे 'मनुज' को बस नमन हो #collabwithकोराकाग़ज़ #विशेषप्रतियोगिता #कोराकाग़ज़ #kkpc27 #kkप्रीमियम #कोराकाग़ज़प्रीमियम #प्रीमियमकविता #चरित्र कविता :- चरित्र मानव के
Vibhor VashishthaVs
Meri Diary #Vs❤❤ 🌷सुप्रभातम्🌷 माघे मासे महादेव: यो दास्यति घृतकम्बलम। स भुक्त्वा सकलान भोगान अन्ते मोक्षं प्राप्यति।। समस्त देशवासियों को मकर संक्रांति पर्व की हार्दिक शुभकामनाएं..... शास्त्रों के अनुसार, दक्षिणायण को देवताओं की रात्रि अर्थात् नकारात्मकता का प्रतीक तथा उत्तरायण को देवताओं का दिन अर्थात् सकारात्मकता का प्रतीक माना गया है। इसीलिए इस दिन जप, तप, दान, स्नान, श्राद्ध, तर्पण आदि धार्मिक क्रियाकलापों का विशेष महत्व है। ऐसी धारणा है कि इस अवसर पर दिया गया दान सौ गुना बढ़कर पुन: प्राप्त होता है। इस दिन शुद्ध घी एवं कम्बल का दान मोक्ष की प्राप्ति करवाता है। 🙏हर हर महादेव🙏 ✍️Vibhor vashishtha vs मकर संक्रान्ति (मकर संक्रांति) भारत का प्रमुख पर्व है। मकर संक्रांति (संक्रान्ति) पूरे भारत और नेपाल में किसी न किसी रूप में मनाया जाता है।
Kunwar arun ¥
मैं जो हूँ कवि हूँ मैंने यह भ्रम पाल रखा है कितना अच्छा है मेरा भ्रम मुझे खुश रखता है मेरे मन मे उमड़ते दुःखों के बादलों को नष्ट करता है जीवन की रीतियां जीने की कलायें सीखने को प्रेरित करता है फिर करता है मुझे औरों से अलग मेरा मन सुरभ्य बनाता है इन सीमेंटी जंगलों के सघन अंधियारों मे मुझे पक्षियों का कलनाद कराता है और बनाता है समाज मे मुझे सुभट वर्तमान मे घटित सामाजिक क्रियाकलापों से दुःख होता है यह उनसे उबरने का साहस देता है यह बिकते हुये ईमान भ्रष्टों के सम्मान व्यग्रता से ग्रसित इंसान दूर है स्नेहाभिसिक्ती भावना से फसें है मन की संकीर्णता मे वहशियाना हो गये है जीने के लिए मर्मता शून्य है जिनकी अनाचित है भविष्य को लेकर वैसे तो इन पर कोई फर्क़ नहीं पड़ता पर मुझे एक मिंमर चाहिए कुछ कहना चाहता हूँ हो सके तो सुनकर निरधारिए समाज की अलक्षित प्रतिमा आने वाले भविष्य के लिए इन समाजी लुटेरों से मात्सर्य है मेरा पर यकीन मानिए मेरी कुछ ख्वाहिश नहीं है मेरी तरुणाई सूरज की अरुणाई सी अंर्तव्यापी है मेरी ख्वाहिश तो सिर्फ एक पेन और एक कागज है क्योंकि मुझे पूर्ण पारितोष भ्रम है मैं कवि हूं कुँवर अरुण #solotraveller मैं जो हूँ कवि हूँ मैंने यह भ्रम पाल रखा है कितना अच्छा है मेरा भ्रम मुझे खुश रखता है मेरे मन मे उमड़ते दुःखों के बादलों को न
Yashpal singh gusain badal'
मैं जब भी कोई कविता लिखता हूँ तो वे मेरे अंदर से नही उपजते बल्कि वे अक्सर मुझे सड़कों पर ,गलियों में ,लोगों के चेहरों में, लोगों के व्यवहार,क्रियाकलापों में मिलती हैं ।रोज हजारों कविताएं सड़कों पर लोगों के समांतर चलती रहती हैं । बस कोई उनको वहां से उठा कर पंक्तिबद्ध करने की जरूरत होती है । कवि बड़ी खूबसूरती से उन्हें शब्दबद्ध करता ताकि हर किसी को वह अपनी कहानी लगे । इसी तरह सैकड़ों आईडिया भी हरतरफ बिखरे रहते हैं बस उन्हें पहचानने वाली आंखें चाहिए ।एक समर्थ व्यक्ति उन्हें पहचान लेता है और उन पर काम करना शुरू कर देता है । यह काम करना शुरू कर देना ही असल में उसकी सफलता की वजह बनता है ।देख जाये तो आज कल आइडियाज और अवसरों की कोई कमी नहीं ,बस जरूरत है अपने बुद्धि और विवेक को एकाग्रचित्त करके सोचने की । ये आइडियास अक्सर तो हर व्यक्ति को दिखाई देते हैं , लेकिन वे उसी के हो जाते हैं , जो पहले लपककर उन पर काम शुरू करता है ।मैंने अक्सर कार्य स्थलों पर भी देखा है बहुत लोगों के पास कार्यस्थल पर बिखरे के आइडियाज को पहचानने की क्षमता होती है जिससे कार्य सरलीकरण में मदद मिल सकती है मगर उनमें से भी कुछ ही लोगों के पास उसको कैज़न के रुप क्रियान्वयन करने की क्षमता होती है। ©Yashpal singh gusain badal' मैं जब भी कोई कविता लिखता हूँ तो वे मेरे अंदर से नही उपजते बल्कि वे अक्सर मुझे सड़कों पर ,गलियों में ,लोगों के चेहरों में, लोगों के व्यवहार,क
Umesh Rathore
मेरा चरित्र दागदार, (अनुशीर्षक में पड़े) कृपया आपके कीमती सुझाव अवश्य साझा करें, धन्यवाद। मेरा चरित्र दागदार है, यह विषय किसी विषयवस्तु से संबंधित नहीं है, अपितु इसके बहुत से प्रमाण मेरे दैनिक जीवन से या यूं कहूं मेरे दैनिक क्रिया
ashutosh anjan
लेखन का महत्व 👇 कैप्शन में पढ़े। ---------------------------------------------------------------- लेखन के महत्व को जानने से पहले हमें ये समझना पड़ेगा कि लेखन क्या है? अपनी भा
savita Jha
कविता अनुशीर्षक में पढ़े I 👇👇👇👇👇👇👇 श्वेतवर्णी कर दिया है, भू को हिमपात से। सूर्य की किरणों से दिखती रजत-सी अभिजात है। कोहरे की आई टोली, सर्द हैं सब, सर्द हमजोली । दिन भी डर
Savita Jha
कविता अनुशीर्षक में पढ़े I 👇👇👇👇👇👇👇 श्वेतवर्णी कर दिया है, भू को हिमपात से। सूर्य की किरणों से दिखती रजत-सी अभिजात है। कोहरे की आई टोली, सर्द हैं सब, सर्द हमजोली । दिन भी डर
Sangeeta Patidar
कृपया अनुशीर्षक में पढ़ें 👇 उपवन में भी एक हास है, फूलों के मुख मुख पर छाया। मानोगे उनके गोरे मुख पर, किसी ने प्रातः रंग लगाया। बोल रहा है, कहीं पपीहा, खोज रहा है निज