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श्रेजल मिश्रा🍂
दुःख-दर्द दर्द यूं ही हो जाता है सिर्फ चोट लगने से या तो भावनायें आहत होने से, कभी गिरने से नहीं होता सिर्फ एहसास जगने से दर्द यूं ही हो जाता है ।।
दर्द यूं ही हो जाता है सिर्फ चोट लगने से या तो भावनायें आहत होने से, कभी गिरने से नहीं होता सिर्फ एहसास जगने से दर्द यूं ही हो जाता है ।। #Zindagi #brokenheart #pyaar #yqbaba #yqdidi
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उसके अठ्ठारहवें बसंत की, अंतिम पूनम की साँझ को, अमावस की, पहली चिठ्ठी आती है, उसके नाम, जो लाती है, कभी, उत्तरित नही हुए, कुछ, अनुत्तरित प्रश्न, व..कुछ प्रश्न वाचक चिन्ह, जो चिपके रहे सदा, माथे की बिंदिया बनकर, उसके आखिरी सावन की, साँवली साँझ तक, #पूर्ण_रचना_अनुशीर्षक_मे #साँवली_साँझ उसके अठ्ठारहवें बसंत की, अंतिम पूनम की साँझ को, अमावस की, पहली चिठ्ठी आती है,
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साँझ ढ़ले, पिछली कई रातों से, नैनों के दरिया से एकत्रित, आँसुओं के, ईंधन को सुलगाकर, वो बैठी थी..रसोई मे, अपने भाग्य की, रोटियां बनाने, वो गूँथ रही थी, परम्पराओं के श्मशान से मिली, अपने जैसी स्त्रियों की, और..अपनी पुरखिनों की, अस्थियों मे, पुरातात्विक वेदना का, जल मिलाके, #पूर्ण_रचना_अनुशीर्षक_मे #लक्ष्मी_की_अस्थियां साँझ ढ़ले, पिछली कई रातों से, नैनों के दरिया से एकत्रित, आँसुओं के,
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बहती नदी के, किनारे पर रूकी सी रेत, और ...उसमें, चलते पाँवों के, डूबते पद्चिन्ह उसके, उसकी छनकती, पाजेब के दम घोंट रही थी, उसके पाँव के, तलवों मे लिपटी रेत, घूमना चाहती है, पूरी धरती, वो..धरती, जो उसके हिस्से, मात्र रसोई से बिस्तर तक है, #पूर्ण_रचना_अनुशीर्षक_मे #किंजल_अक्षिता बहती नदी के, किनारे पर रूकी सी रेत, और ...उसमें, चलते पाँवों के,
#पूर्ण_रचना_अनुशीर्षक_मे #किंजल_अक्षिता बहती नदी के, किनारे पर रूकी सी रेत, और ...उसमें, चलते पाँवों के, #yqbaba #yqdidi #yqhindi #yqquotes #bestyqhindiquotes
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जब नदियों ने, पर्वतों से बिछड़ कर, रेत के मैंदानों में, अज्ञात वास ले लिया, और.., बादलों ने, बरसना भूलकर, हवाओं से संधि कर ली, सागरों ने, अपनी हृदय की गहराइयों में, अनेकों प्रश्न गर्भित कर लिये, व.., अपनी अंक सीमाओं को समेट, प्रतीक्षारत हो, क्षितिज पर अपने मिलन को, चिर मौन धारण कर लिया, #पूर्ण_रचना_अनुशीर्षक_मे #अश्रु_वीथिका जब नदियों ने, पर्वतों से बिछड़ कर, रेत के मैंदानों में, अज्ञात वास ले लिया,
#पूर्ण_रचना_अनुशीर्षक_मे #अश्रु_वीथिका जब नदियों ने, पर्वतों से बिछड़ कर, रेत के मैंदानों में, अज्ञात वास ले लिया, #yqbaba #yqdidi #yqhindi #yqquotes #bestyqhindiquotes
read moreअविनाश कुमार
( पूरी रचना अनुशीर्षक में ) ~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~ रचना थोड़ी सी लंबी है तो जरा साथ दीजिएगा, आशा करता हूँ कि आप निराश नहीं होंगे। . ॥ गंगा ॥ . यह स
Vishal Saini
निशब्द प्रेम का प्यासा मै एक शब्द नहीं कहने को है ना रहने को हृदय तेरा बस पीड़ा ही सहने को है। जो मिल जाओ तुम मुझे प्रिय मै तृप्त प्रेम से हो जाऊं बिंध कर तेरे नयन बाण से मै मुक्त पाश से हो जाऊं। ओष्ठ तुम्हारे कमल पंख यें बन जायें मेरी मधुशाला खो बैठूं सुध बुध मैं अपनी क्षण ना हो कोई विरह वाला। ग्रीवा नक्र चिबुक तेरे क्या कलाकृति उस सृष्टा की रच दिया चन्द्र धरती पे उसने दृष्टि भी मोहित दृष्टा की। अतृप्त।
अतृप्त।
read moreSwarup Sawant
अतृप्त किनारा किनारा तिचीच वाट पाहतोय, हे लाटेला कधिचं कळलं नाही. हात हाती घेण्यासाठी तरसतोय, हे तीला कधिच उमगलं नाही. # स्वरुप # अतृप्त किनारा
अतृप्त किनारा
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