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सुधा जोशी #रूहानी#
साँझ फ़िर आयी है सजकर तिरे एहसासों से,, ये मुस्काती रूहानी साँझ...// फ़िर फ़िर ये इक बारी मुझे तिरे प्रेम धागे से जाती है बांध।। फिऱ#एहसास#सजकर#साँझ#नोजोटोहिन्दी#sudhaspoetry
Aacky Verma
चेहरे पे लाली उसके क्या खूब जचती है लाल साड़ी में वो क्या खूब लगती है और जान मेरी बस निकल ही जाती है जब जब वो सजकर निकलती है www.aackyshayari.in @aackyshayari ©Aacky Verma चेहरे पे लाली उसके क्या खूब जचती है लाल साड़ी में वो क्या खूब लगती है और जान मेरी बस निकल ही जाती है जब जब वो सजकर निकलती है www.aackyshaya
Richa Sinha
Sarita Shreyasi
सगे-सहोदर को तज कर, नये संबंधों को अपनाती है, अंक से अपने वंश देकर भी, आंशिक ही अपनायी जाती है। प्रकृति की बनायी प्रतिमा, फिर से तोड़ी और गढ़ी जाती है, तस्वीरों में सजकर वह किसी के साथ ही मढ़ी जाती है। अपनों और अपनाये हुओं के बीच अपनी जगह तलाशती, आदि से अंत तक परायी रह जाती है, तब जाकर यहाँ औरत पूरी कहलाती है। सगे-सहोदर को तज कर, नये संबंधों को अपनाती है, अंक से अपने वंश देकर भी, आंशिक ही अपनायी जाती है। प्रकृति की बनायी प्रतिमा, फिर से तोड़ी और गढ
Raj Verma
A Gazal Written By-Raj Verma©® --------------------------------------------------------- रंजिशें सब भुला दीजिए, खुद को यूं न खफा कीजिये, थोड़ी जख्मों को राहत मिले, छू के मरहम जरा कीजिये, दिल को ठोकर लगे न कभी, इस तरह फैसला कीजिये, चाहूंगा उम्रभर बस तुम्हें, चाहे लाखों गिला कीजिये, अब कोई आरज़ू ही नहीं, सिर्फ अपना कहा कीजिये, वस्ल की रात है चांदनी, आज वाद-ए-वफ़ा कीजिये, उम्र भर दुल्हनों की तरह, हमसे सजकर मिला कीजिये, 'राज' की राज़ बनकर सदा, राज-ए-दिल में रहा कीजिये!! ✍️मौलिक रचना- 𝓦𝓻𝓲𝓽𝓽𝓮𝓷 𝓑𝔂-𝓡𝓪𝓳 𝓥𝓮𝓻𝓶𝓪. ©® ©Raj Verma.(Gold Medalist) A Gazal Written By-Raj Verma©® --------------------------------------------------------- रंजिशें सब भुला दीजिए, खुद को यूं न खफा कीजिये, थो
Mohammad Arif (WordsOfArif)
नफरतों का जमाना है बच के रहा करो बेचैनियां बहुत आला है देख के रहा करो अपनी दरों दीवार से लगाकर तुझे रख्खा है लोगों की नजरें खराब है छुप के रहा करो घर के दरवाजे पर पर्दे सभी लगा लो अपने लोग यहां वेहसी दरिंदें है संभल के रहा करो नियत कब खराब हो जाए कौन जानता है लोगों से कम मिलो तुम सजक के रहा करो किसको कौन तोहमत लगाएं यहां पर अब मयार देखो सब कह देते है जान के रहा करो अपने रुठे को मनाने में जुटे रहते है हर दम आरिफ सब झूठे मक्कार है बच के रहा करो नफरतों का जमाना है बच के रहा करो बेचैनियां बहुत आला है देख के रहा करो अपनी दरों दीवार से लगाकर तुझे रख्खा है लोगों की नजरें खराब है छुप के
#काव्यार्पण
तेरे सिर पर सजके सहरा प्रश्न तुमसे जब करेगा यूँ मुझे मस्तक पर रखकर जा रहे किस ओर तुम हो तुम कहोगे जा रहा हूँ लेने अपनी संगिनी को, तो कहेगा रास्ता उधर है जा रहे विपरीत तुम हो। तेरे सिर पर सजके सहरा...।। वस्ल' में सज कर तुम्हारी यामिनी तुमसे मिलेगी मेरे उपवन की कली वो प्यार से चुनने लगेगी तब कोई अल्हड़-सा भंवरा आ के तुमसे यह कहेगा, था किया वादा कभी जो तोड़ते क्यों आज तुम हो। तेरे सिर पर सज के सेहरा....।। जब कोई रुख पर तुम्हारे जुल्फ अपनी खोल देगा और तेरे वक्ष से सट करके लव यू' बोल देगा तब करोगे क्या बताओ ? प्रज्वलित तन हो उठेगा मैं कहूंगी बेवफा हो या तो फिर लाचार तुम हो। तेरे सिर पर सज के सहरा...।। मुझसे ज्यादा प्रेम तुमसे करती है कोई तो बताओ ! गर बसा कोई और दिल में तो बता दो ना छुपाओ ? क्या मुझी से प्यार है ???- जब भी मैं तुमसे पूछ बैठी कल भी तुम नि:शब्द थे और आज भी नि:शब्द तुम हो। तेरे सिर पर सज के सेहरा...।। नैनों में होगी उदासी खालीपन होगा ह्रदय में बाहों में तो सोई होगी, होगी ना पर वो हृदय में तब कोई संदेश मेरा आ के तुमसे ये कहेगा- मेरी कविताओं का अब भी तेरे सिर पर सजके सहरा प्रश्न तुमसे जब करेगा यूँ मुझे मस्तक पर रखकर जा रहे किस ओर तुम हो तुम कहोगे जा रहा हूँ लेने अपनी संगिनी को, तो कहेगा रास्ता उधर है जा रहे विपरीत तुम हो। तेरे सिर पर सजके सहरा...।। वस्ल' में सज कर तुम्हारी यामिनी तुमसे मिलेगी मेरे उपवन की कली वो प्यार से चुनने लगेगी तब कोई अल्हड़-सा भंवरा आ के तुमसे यह कहेगा, था किया वादा कभी जो तोड़ते क्यों आज तुम हो। तेरे सिर पर सज के सेहरा....।। जब कोई रुख पर तुम्हारे जुल्फ अपनी खोल देगा और तेरे वक्ष से सट करके लव यू' बोल देगा तब करोगे क्या बताओ ? प्रज्वलित तन हो उठेगा मैं कहूंगी बेवफा हो या तो फिर लाचार तुम हो। तेरे सिर पर सज के सहरा...।। मुझसे ज्यादा प्रेम तुमसे करती है कोई तो बताओ ! गर बसा कोई और दिल में तो बता दो ना छुपाओ ? क्या मुझी से प्यार है ???- जब भी मैं तुमसे पूछ बैठी कल भी तुम नि:शब्द थे और आज भी नि:शब्द तुम हो। तेरे सिर पर सज के सेहरा...।। नैनों में होगी उदासी खालीपन होगा ह्रदय में बाहों में तो सोई होगी, होगी ना पर वो हृदय में तब कोई संदेश मेरा आ के तुमसे ये कहेगा- मेरी कविताओं का अब भी हे प्रिये! आधार तुम हो। हे प्रिये! आधार तुम हो। ©काव्यार्पण #tere_sir_pe_saj_ke_sehra तेरे सिर पर सजके सहरा प्रश्न तुमसे जब करेगा यूँ मुझे मस्तक पर रखकर जा रहे किस ओर तुम हो
Krish Vj
सब बदल गया:_ लघुकथा "सब कुछ बदल गया है तेरे जाने के बाद मैं तो अब मैं भी ना रही हूँ तेरे जाने के बाद अपनी हर आरज़ू को मैंने दफन किया तेरी जुदाई ने मेरे दिल को यह गम दिया " #collabwithकोराकाग़ज़ #कोराकाग़ज़ #विशेषप्रतियोगिता #kkpc16 #अल्फाज_ए_कृष्णा #yqdidi रामगढ़ के एक मध्यमवर्गीय परिवार में जन्मी रमा एक मेधावी,
AK__Alfaaz..
प्रभात् ने भोज दिया.., सुनहरी-पीली किरणों की दाल पकाने को.. यह सूरज का पतीला.. आसमान के चूल्हे पर कौन चढ़ा गया.. बादलों की अंगीठी भी सुलग रही है.. हंडिया मे रखा सितारों का चावल भी बदकने लगा है.. धरती की सुवर्ण थाल परोसने के लिए तैयार पड़ी है.. जाने कौन परदेशी घर लौट के आने वाला है.. नदी मे ये रौशनी,,किसने छिटका दी.. किसने इसे प्रेम रंग की मधुशाला बना दिया.. एक घूँट पीकर,,चाँद भी अब तो.. अलसाकर चाँदनी संग इसमें समा गया.. धरती की ढ्योढ़ी,आँगन-आँगन,क्यारी-क्यारी.. सजकर सँवरकर तैयार हो गयी.. हवा ने कानाफूसी की है.. पंछियों की बारात आने वाली है.. आगे क्या है लिखा.. भाग्य के कर्मफलों से आज.. कौन पूछेगा यहाँ.. जीवन की किताब में.. तेरे-मेरे प्रेम ने कुछ शब्द अपनी भावनाओं के अंकित कियें हैं.. कौन इसे हमारे बाद,,किसको सुनायेगा यहाँ.. प्रीत ने एक धुन बनायी है.. सुना है जुगनुओं से आज.. चाँदनी रात में इसे कोई गुनगुनायेगा,,किसी को करके याद.. सपनों की आहें कौन जाने.. चलूँ आज मैं भी.. अंतिम श्वाँस निमंत्रण लेके आई है...।। -AK__Alfaaz.. "भोज" प्रभात् ने भोज दिया.., सुनहरी-पीली किरणों की दाल पकाने को.. यह सूरज का पतीला.. आसमान के चूल्हे पर कौन चढ़ा गया.. बादलों की अंगीठी
Anupama Jha
शिथिल मौन अब भंगित होगा कलरवों के नाद से पादप दल मुस्काएँगे पुष्पों के,अभिव्यंजित श्रृंगार से, मकरंदों के लिए तितलियों के अभिसार से। (पूरी कविता अनुशीर्षक में) देख आते अरुणिमा को चाँदनी,हो रही आतुर छिटकने को रात से, लगती नाराज़ सी वो किसी बात से, कुछ कह रही धरा आओ सुने प्रात से !