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Manjul

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Vibhooti Gondavi.

इस कदर वो बेदर्द निकलेंगे,
ये यकीं ना था फाखिर,
मैं उनकी राह देखता रहा, वो
दर्द में भी नस्तर चलाते रहे मुझपर..... नस्तर
#nojotohindi
#nojotourdu
#nojotoshayri
#दर्द
#नस्तर
#यकीं
#राह

Manjul

ऐसा नस्तर चुभा दे कोई..
उसकी यादों से निज़ात दिला दे कोई..

©Manjul Sarkar #नस्तर #यादों #निजात 

#jail

arrey.oh.chachu

आज फिर जिदंगी नस्तर चुभो रही है काश कोई होता मरहम लगाने को #Feeling_Alone #Painful #heartache #YourQuoteAndMine Collaborating with Parul

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Bachon Ke Saath Maap-Baap Key Jagadey Bhi Badey Ho Jaatey Hai
Ek Hee Sawaal Par, "Sabsey Zyaada Zimeydaar KAUN" आज फिर जिदंगी नस्तर चुभो रही है
काश कोई होता मरहम लगाने को
#feeling_alone 
#painful 
#heartache   #YourQuoteAndMine
Collaborating with Parul

रजनीश "स्वच्छंद"

खामोशियों का नस्तर।।।।।।।।।।#thought #shayri #Fun #Love #poem #Comedy #Meme #Nojoto #nojotohumour #NojotoMeme #NojotoFun #kalakaksh #znmd T #Poetry #Life #Motivation #SAD #kavishala #nojotohindi #TST

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जेहन में था ख्याल, रह लूंगा खामोश, पर अब पानी सर के पार निकला।।।
थी खामोशियों की धार बहुत तेज़, ये नस्तर चीर जिगर के पार निकला।।

रजनीश "स्वच्छन्द" खामोशियों का नस्तर।।।।।।।।।।#thought #shayri #fun #love #poem #comedy #meme #nojoto #nojotohumour #nojotomeme #nojotofun #kalakaksh #znmd #T

Rakesh frnds4ever

#duniya ये #रौनकें ,ये #चकाचौंध आंखों में चुबती हैं,,, जैसे कि #नस्तर चूबते हों जैसे की पांव में #शूल और शीशा चुबता हो #संसार की सारी व #क्यों #ज़िन्दगी #ऊब #सृजन #rakeshfrnds4ever

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Divyanshu Pathak

कमियों को छिपाता रहा
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वह अपनी  कमियों को छिपाता  रहा।
ख़ुद ही अपने आप को भरमाता  रहा।

जो भी चाहत की कभी पा नहीं सका।
वो अपने  सीने में नस्तर  चुभाता रहा।

जब इश्क़ किया तो टूटा दिल उसका।
ख़स्ता हुआ  और  ऑंसू बहाता रहा ।

उम्र भर सीखने का दौर चलता रहेगा।
जो अपनी ख़्वाहिशों को जगाता रहा।

'पंछी' अपनी कमियों को दूर कर लो।
समाज आईने सा सब  दिखाता  रहा। #कमियों_को_छिपाता_है_rks 
#रचना_का_सार 
#पाठकपुराण 
#yqdidi 
#yqbaba #पाठकपुराण
:
कमियों को छिपाता रहा
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रजनीश "स्वच्छंद"

इश्क।। इश्क, इश्क तो नही, मजबूर रहा। देख मुस्काना उनका, दस्तूर रहा। बीते थे पल चांद रातों में कभी, पूछता वक़्त है, क्या कसूर रहा। #Love #ghazal #ishk

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इश्क।।

इश्क, इश्क तो नही, मजबूर रहा।
देख मुस्काना उनका, दस्तूर रहा।

बीते थे पल चांद रातों में कभी,
पूछता वक़्त है, क्या कसूर रहा।

चलते हैं नस्तर सीने पे अब भी,
बहुत गर नही, कुछ जरूर रहा।

रंग जो डाले थे पन्ने तेरी याद में,
हर एक हर्फ़ उसका, मशहूर रहा।

रुखसत हुए जो, ग़मगीन दिल था,
तेरा जाना क्यूँ रब को मंजूर रहा।

ना यादें भूलाती, ना दिल से जाती,
तुझे खोके भी तुझमे मगरूर रहा।

©रजनीश "स्वछंद" #NojotoQuote इश्क।।

इश्क, इश्क तो नही, मजबूर रहा।
देख मुस्काना उनका, दस्तूर रहा।

बीते थे पल चांद रातों में कभी,
पूछता वक़्त है, क्या कसूर रहा।

रजनीश "स्वच्छंद"

है कौन सा रँगरेज ये।। जमीं लहु से रंग रहा, है कौन सा रँगरेज ये। मज़हबी दुकान पे सजाए है कुर्सी मेज ये।। फ़न निकाले बैठ कर, है दीये को ढंक रह #Poetry #Love #HUmanity

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है कौन सा रँगरेज ये।।

जमीं लहु से रंग रहा, है कौन सा रँगरेज ये।
मज़हबी दुकान पे सजाए है कुर्सी मेज ये।।

फ़न निकाले बैठ कर, है दीये को ढंक रहा,
दमकते सूर्य को भी कर रहा निस्तेज ये।

कुछ इधर और उधर भी, फासले बढ़ते गए,
नँगा रखा जो गला, नस्तर कर रहा तेज ये।

इंसानियत है बिक रही, नाम मे बंटती गयी,
बना रहा हो मौन कौन मृत्युशय्या का सेज ये।

राम कहो, अल्लाह कहो, मतलब तो एक है,
अपनो से अपनो को क्यूँ हो रहा परहेज ये।

कह कह मैं हारा जाता हूँ, शब्द नहीं शेष है,
शायद बदलती दुनिया का है एक फेज ये।।

©रजनीश "स्वछंद"

 #NojotoQuote है कौन सा रँगरेज ये।।

जमीं लहु से रंग रहा, है कौन सा रँगरेज ये।
मज़हबी दुकान पे सजाए है कुर्सी मेज ये।।

फ़न निकाले बैठ कर, है दीये को ढंक रह

रजनीश "स्वच्छंद"

ये दुनिया कुछ और होती। निकाल पाता जो दिल से ये तल्खियां, जला पाता जो बुझी हुई ये बत्तियां, ये दुनिया कुछ और होती। कपड़े का दोष क्यूँ, मनोवि #Poetry #Quotes #Life #Pain #kavita #hindikavita #hindipoetry

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ये दुनिया कुछ और होती।

निकाल पाता जो दिल से ये तल्खियां,
जला पाता जो बुझी हुई ये बत्तियां,
ये दुनिया कुछ और होती।

कपड़े का दोष क्यूँ, मनोविचार चिथड़ा पड़ा,
रोक पाता जो कसी जा रही फब्तियां,
ये दुनिया कुछ और होती।

दर्द का अहसास क्यूँ सब खोने के बाद है,
जला पाता जो पहले ये मोमबत्तियां,
ये दुनिया कुछ और होती।

शांत नदी में तो हर कोई पार होता है,
जो भँवर में  उतारी होती कश्तियाँ,
ये दुनिया कुछ और होती।

फुटपाथों पे जो आ ठहरी है ज़िन्दगी सारी,
जो जलने से बचाई होती ये बस्तियां,
ये दुनिया कुछ और होती।

है हाथ मे नस्तर निशाना अपनो की गर्दनें,
जो मिटाई होतीं फिरकापरस्तियाँ,
ये दुनिया कुछ और होती।

संस्कारों की बली चढ़ती सुबह-ओ-शाम है,
जो बचाई होती विरासत और हस्तियां,
ये दुनिया कुछ और होती।

है बदरंग मायूस सी होती ज़िन्दगी सारी,
जो पतझड़ में बचाई होती पत्तियां,
ये दुनिया कुछ और होती।

©रजनीश "स्वछंद" ये दुनिया कुछ और होती।

निकाल पाता जो दिल से ये तल्खियां,
जला पाता जो बुझी हुई ये बत्तियां,
ये दुनिया कुछ और होती।

कपड़े का दोष क्यूँ, मनोवि
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