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Rabindra Kumar Ram
" कुछ कर फैसला की मैं तेरा तलबगार आखिर कब तक रहु, हयाते-ए-हिज्र की बात मुनासिब और मुमकिन हो तो हो कैसे . " --- रबिन्द्र राम ©Rabindra Kumar Ram " कुछ कर फैसला की मैं तेरा तलबगार आखिर कब तक रहु, हयाते-ए-हिज्र की बात मुनासिब और मुमकिन हो तो हो कैसे . " --- रबिन्द्
" कुछ कर फैसला की मैं तेरा तलबगार आखिर कब तक रहु, हयाते-ए-हिज्र की बात मुनासिब और मुमकिन हो तो हो कैसे . " --- रबिन्द् #शायरी
read moreराणा नवीन सिंह
मेरे पास एक बार कोई था जो हर दिन कुछ मतलब रखता है। और अब…। मै खो गया हूँ…। और अब कुछ भी मतलब नहीं है। Rana..✍ #free #nojoto #keep_sporting मेरे पास एक बार कोई था जो हर दिन कुछ मतलब रखता है। और अब…। मै खो गया हूँ…। और अब कुछ भी मतलब नहीं है। रण
#Free nojoto #keep_sporting मेरे पास एक बार कोई था जो हर दिन कुछ मतलब रखता है। और अब…। मै खो गया हूँ…। और अब कुछ भी मतलब नहीं है। रण
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" मत पूछ अब मेरे ख्यालों की मंजिल क्या होगी, तसव्वुर ख्यालों अब जो भी हो हयाते-ए-हिज्र ये हयात फिर क्या होगी, मत पुछ अब हमारी हसरत फिर क्या होगी, मैं हमारे खसारे की बात क्या करु तलब ये मुंतज़िर हिज्र में होगी... " --- रबिन्द्र राम ©Rabindra Kumar Ram " मत पूछ अब मेरे ख्यालों की मंजिल क्या होगी, तसव्वुर ख्यालों अब जो भी हो हयाते-ए-हिज्र ये हयात फिर क्या होगी, मत पुछ अब हमारी हसरत फिर क्या
Rabindra Kumar Ram
*** ग़ज़ल *** *** फ़ुर्क़त *** " आज इक दफा उस से मुलाकात हुई , फ़ुर्क़ते हयाते-ए-ज़िक्र अब जो भी हो सो हो , मुहब्बत में बचे शिकवे शिकायतें आज भी हैं , आज उसे इक दफा गले लगाने को दिल कर रहा हैं , फकत अंजुमन कुछ भी तो कुछ बात बने , फ़ुर्क़त में उसे दाटने को जि कर रहा है , क्या समझाये की अब मुहब्बत नहीं हैं तुझसे , फकत तुझे महज़ इक याद की तरह रखी , तेरी तस्वीर आज भी इक पास रखी हैं , फिर जो कहीं मुहब्बत और नफ़रत की गुंजाइश हो तो याद करना , आखिर हम रक़ीबों से दिल लगा के आखिर करते क्या . " --- रबिन्द्र राम ©Rabindra Kumar Ram *** ग़ज़ल *** *** फ़ुर्क़त *** " आज इक दफा उस से मुलाकात हुई , फ़ुर्क़ते हयाते-ए-ज़िक्र अब जो भी हो सो हो , मुहब्बत में बचे शिकवे शिकायतें
Rabindra Kumar Ram
" चल फिर तुझसे से मिला जाये कही, बात जो हो मुनासिब हो वो बात किया जाये, कही फिर ये मंजर का एहसास तो हो, हम जिस के जद में रहे ओ कही आस पास तो हो, मुंशिब होने दे हसरतें ख़याल से भी अब मुझे, फुर्कत राब्ता राश नहीं आती अब ये हयाते-ए-हिज्र तेरा. " --- रबिन्द्र राम ©Rabindra Kumar Ram " चल फिर तुझसे से मिला जाये कही, बात जो हो मुनासिब हो वो बात किया जाये, कही फिर ये मंजर का एहसास तो हो, हम जिस के जद में रहे ओ कही आस पा
" चल फिर तुझसे से मिला जाये कही, बात जो हो मुनासिब हो वो बात किया जाये, कही फिर ये मंजर का एहसास तो हो, हम जिस के जद में रहे ओ कही आस पा #शायरी
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*** ग़ज़ल *** *** करें तो क्या करें *** " दिल गवारा ना करें तो क्या करें , तेरे बगैर फिर गुजारा ना करें तो क्या करें , उल्फते-ए-हयाते में ज़िक्र तेरा आज भी हैं , अब तेरा महज ज़िक्र भी ना करें तो क्या करें , मिलना तो मुकम्बल हुआ ही नहीं , तेरे हिज़्र में दिन और रात का गुजारा ना करें तो क्या करें , उल्फते-ए-हयाते ज़िक्र तेरा आज भी हैं , ऐसे भी इस रुसवाई में ना जिये भला तो क्या करें , मलाल हैं अब तेरे बाद मलाल अब कुछ भी ना रह जायेगा , तिश्नगी हैं अब मलाल कुछ भी तेरे बगैर मलाल कुछ भी नहीं रह जायेगा , रूह-ए-ख़्वाबीदा हूं जाने कब से इस उल्फत में तुझे मेरा ख्याल जाने कब आयेगा . " --- रबिन्द्र राम ©Rabindra Kumar Ram *** ग़ज़ल *** *** करें तो क्या करें *** " दिल गवारा ना करें तो क्या करें , तेरे बगैर फिर गुजारा ना करें तो क्या करें , उल्फते-ए-हयाते में
A R Sahil Official
गजल के एक मतला और चन्द शेर न दिलवर याद आता है न कातिल याद आता है फंसे कश्ती जो तूफां में तो साहिल याद आता है गया जो छोड़ कर मुझको, खुदा
गजल के एक मतला और चन्द शेर न दिलवर याद आता है न कातिल याद आता है फंसे कश्ती जो तूफां में तो साहिल याद आता है गया जो छोड़ कर मुझको, खुदा #nojotophoto
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*** ग़ज़ल *** *** तसब्बुर *** " हम याद जऱा तुम्हें करेंगे , तेरी बात जऱा खुद से करेंगे , मुख्तलिफ मसले फिर क्या किया जाये , हम खुद में तुम्हें खोजते फिरेंगे , रास आये हयाते-ए-हिज्र फिर वो बात कहां मुलाक़ात कहा , सवालात जो करु फिर वो बात कहां , मिलना हैं की बिछड़ना हैं वो , मुख्तलिफ सवगात हैं , मिल की बिछड़ना ना परे , ऐसे में हमारी गुफ्तगू कहा , सब आईने के दस्तूर पुछते हैं , अभी तुम से मेरा मिलना हुआ कहा , कोई रुख करु तो फिर कोई बात हैं , बुझते जज्बातों के वो दौर कहा , यु खोना भी तूझे खोना है , फिर तुझसे मैं ग़ैर इरादातन फिर मिला कहां , कोई बात आज भी आईने के दस्तूर लिये बैठा हैं , मिलते तो पुछते तुम से कौन शक्ल अख्तियार किए बैठे हो , जो तसब्बुर के ख्यालों से तुम हु-ब-हू कहीं नहीं मिलते ." --- रबिन्द्र राम ©Rabindra Kumar Ram *** ग़ज़ल *** *** तसब्बुर *** " हम याद जऱा तुम्हें करेंगे , तेरी बात जऱा खुद से करेंगे , मुख्तलिफ मसले फिर क्या किया जाये , हम खुद में तु
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चमक इस हयाते ज़र्क़ पर आई चमक में खोते चले गए आंखों के इस मुबश्शिर दरिया में डूबते चले गए कश्ती चाहत की जब साहिल को तलाशती रही आंखों में छलक
चमक इस हयाते ज़र्क़ पर आई चमक में खोते चले गए आंखों के इस मुबश्शिर दरिया में डूबते चले गए कश्ती चाहत की जब साहिल को तलाशती रही आंखों में छलक #Poetry
read moreshamawritesBebaak_शमीम अख्तर
खुलुसे मुहब्बत और वफा की जो ये निशानी है, के मेरे घर की फिजा आज भी सुहानी है//१ मेरे मिजाज में अब तक जो ये रवानी है,ये मेरी नेकियों का सिला और मुझपे वालीदेंन की दुवाए मेहरबानी है//२ किसी के ज़ख्म हरे,किसी के है,ये सुर्ख ,हरेक अफ़राद की ये अलहदा कहानी है//३ मैं जानती हुं जालिमों के जोम का अंजाम,ये जबर मैने,बेबसों की बेचारगी से छानी है//५ टूटते नशेमन बिखेरते रिश्ते ये खौफजदा साये, इस दौरे हयात की यही रंज_ओ_गानी है//५ शमा हयाते जविंदा तो अपने हाथ में है,ये और बात है,कि दुनिया सराय फानी है//६ #shamawritesBebaak ©shamawritesBebaak_शमीम अख्तर #Aansu खुलुसे मुहब्बत और वफा की जो ये निशानी है,के मेरे घर की फिजा आज भी सुहानी है//१ मेरे मिजाज में अब तक जो ये रवानी है,ये मेरी नेकियों क
#Aansu खुलुसे मुहब्बत और वफा की जो ये निशानी है,के मेरे घर की फिजा आज भी सुहानी है//१ मेरे मिजाज में अब तक जो ये रवानी है,ये मेरी नेकियों क #writersofindia #nojotohindi #poetsofindia #NojotoFilm #poetrycorner #nojotocreator #shamawritesBebaak
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