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Sultan Mohit Bajpai
बसंत और कुरिंजी –––––––––– बसंत जंजीरों से बंधा नही हो सकता बसंत सरसों के खेतों का ही कॉपीराइट नही है, वो तो आटाकामा के रेगिस्तान से भी उतना ही प्रेम करता है जितना किसी बड़ी सी बिल्डिंग की बालकनी में रखे कुरिंजी के फूल से करता है भले ही पूरी दुनियां घूमकर बसंत बारह साल बाद कुरिंजी के पास आता है पर वो आता जरूर है, बसंत और नीलकुरिंजी के इसी स्नेहिल सयोंग ने उसे दुनियां का , एक दुर्लभ फूल बना दिया ••• ©Sultan Mohit Bajpai बसंत और कुरिंजी –––––––––– बसंत जंजीरों से बंधा नही हो सकता बसंत सरसों के खेतों का ही कॉपीराइट नही है, वो तो आटाकामा के रेगिस्तान से भी उतना
Vedantika
आज सुधा को घर के कामों से थोड़ी सी फुर्सत मिली थी तो उसने सोचा कि चलो शाम को थोड़ी सी ताजी हवा का आनंद ले लिया जाए। यही बात सोच कर वो बालकनी में एक कुर्सी लेकर बैठ गई। उसके घर की बालकनी से पार्क दिखाई देता था जहाँ पर आज काफी दिनों बाद कुछ बच्चों की चहल पहल हो रही थी। वहाँ पर एक बैंच पर एक लड़का बैठा हुआ था। सुधा ने उसे पहली बार उस पार्क में देखा था। शायद वो लड़का सोसायटी के किसी घर पर बतौर मेहमान आया हुआ था। वो लड़का ना तो किसी से बात कर रहा था और ना ही किसी बच्चे के साथ खेल रहा था। बस चुपचाप जमीन को एकटक देखता रहा। अब ये उसका रोज का नियम हो गया था और सुधा की दिलचस्पी भी उस बच्चे में बढ़ने लगी। एक दिन जब सुधा ने देखा कि उसकी सोसायटी की एक महिला उस बच्चे के साथ आई थी तब सुधा ने आगे बढ़ कर उस लड़के के बारे मे जानने की कोशिश की और जो कुछ उसे मालूम हुआ वो बहुत ही दुखदायी था। यह लड़का अपने माता पिता के साथ रहता था जब कोरोना का कहर बरपा और उन दोनों की मौत हो गई। उन दोनों की मौत के बाद अब इस लड़के को अनाथालय भेजने के लिए इसकी देखभाल करने का जिम्मा मुझे मिला है। अब सुधा उसके दिल का दर्द, उसके दिल की ख़ामोशियाँ समझ पा रही थी। जिसे तोड़ना आसान नहीं होगा। प्रविष्टि-३ आज सुधा को घर के कामों से थोड़ी सी फुर्सत मिली थी तो उसने सोचा कि चलो शाम को थोड़ी सी ताजी हवा का आनंद ले लिया जाए। यही बात सोच कर
ARUN KUMAR PRAJAPATI
और एक दफ़ा उसे देखा ऑडी में किसी और के साथ... तब से उस गली से गुज़रने की मेरी आदत छूट गयी, दिल तो टूटा ही साहब! साथ में मेरी साईकल भी टूट गयी। 😂 ये दिव्य ज्ञान की बात मैंने अभी-अभी अपनी दुःखी रूममेट से कही है😜इसका वास्तविकता से पूरा पूरा संबंध है। नोट:-इस तरह के ज्ञान दोस्त को तब ही
Chintoo Choubey
मेरे पड़ोस में बहुत सारे घर हैं, उन घरों को अपनी बालकनी से देखता हूँ, क्या फर्क है यही मैं सोंचता हूँ, मैं सुबह आठ बजे जाता हूँ, और रात को नौ बजे आता हूँ, बालकनी में बस सुबह ही जा पाता हूँ, शायद, यही फर्क है मेरे बालकनी में जाने से, बालकनी
kumaarkikalamse
प्रिय बगीचे, तुम सुकून हो मेरी तन्हाई में, तुम सुकून हो नारी की अंगड़ाई में..। तुमसे मिलकर हर तकलीफ़ जैसे आधी हो जाती है, जानते हो सिर्फ आधी क्यों, क्योंकि तुम जानते हो मुझे तकलीफ़ को कम करना, उन्हें दूर करना बहुत भाता है और यह सब मैंने तुमसे सीखा है, अब तुम पूछो गे कैसे, चलो मैं बताता हूँ - जैसे तुम्हारी देह पर जब कोई पैर की थाप रखे तो तुम्हें मुस्कान मिलती पर उसी देह पर जब कोई गाड़ी चलाए तो तुम्हें उस से तकलीफ़ होती है पर तुम उन्हें फिर भी चैन देते हो, ताज़ी हवा देते हो और तुम्हारा तकलीफ़ में भी उनको प्यार करना तुम्हारी निःस्वार्थ भाव सेवा दिखाता है, बस यही से मैं तुमसे सीखता हूँ कि तकलीफ़ का सामना करो, डरों मत, हटो मत, भागों मत - जब तेज हवा आती है या बहुत जोरों की बारिश होती है तो भी तुम अपना कर्तव्य नहीं भूलते, वैसे ही मैं भी बीमारी, पैसे की तंगी में कभी नहीं घबरात
Ankit Srivastava
शाम होने वाली थी - एक छोटी कहानी (It was going to be evening - A Short Story.) --------------------------------------------------- पूरी कहानी कैप्शन में पढ़ें। (Read the full story in caption.) शाम होने वाली थी आसमां का रंग बदलने लगा था पंक्षी अपने घर की ओर लौट रहे थे फ़िज़ाओं में हल्की-हल्की ठंढ़ी हवाएँ चल रही थी मानों जैसे कहीं बारिश
Dr. Vishal Singh Vatslya
लाकङाउन की मुलाकात ●●●●●●●●●●●●● { Read in Caption } Dr.Vishal Singh #yostowrimomay #बालकनीकहानी #लघुकथा तुम बस यहीं लेटे रहा करों... तुम्हारे आराम के लियें ही यें लाकडाउन हुआ है ना..... क्या हुआ मां आप क्या
Mahima Jain
टीम "E" •| वह जगह जहां हम कभी गए नहीं, पर वहां रहना चाहते हैं |• Day 5 Team "E" वह जगह जहां कभी गए नहीं, पर रहना ज़रूर चाहेंगे। मेंबर - Vedantika आज भी जब मैं सोचती हूँ कि ऐसी कौन सी जगह, कौन सा शहर था
atrisheartfeelings
स्नेह के आंसू.... कृपया अनुसीर्षक में पढ़े... किसी और की कलम से.... स्नेह के आँसू.... सब्जी वाले ने तीसरी मंजिल की घंटी का बटन दबाया। ऊपर बालकनी का दरवाजा खोलकर बाहर आई महिला ने नीचे देखा। "बीबी जी ! सब्ज
Arun Prajapati
और एक दफ़ा उसे देखा ऑडी में किसी और के साथ... तब से उस गली से गुज़रने की मेरी आदत छूट गयी, दिल तो टूटा ही साहब! साथ में मेरी साईकल भी टूट गयी। 😂 ये दिव्य ज्ञान की बात मैंने अभी-अभी अपनी दुःखी रूममेट से कही है😜इसका वास्तविकता से पूरा पूरा संबंध है। नोट:-इस तरह के ज्ञान दोस्त को तब ही