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Shashi Bhushan Mishra
लड़ने पर रहते आमादा, भूल गए सारी मर्यादा, अहंकार है कारण इसका, रहता कमोवेश या ज्यादा, प्रेम से सुंदर वजह न कोई, भजते केशव राधा-राधा, अपनी छवि को आप सुधारो, कहे आदमी सीधा-सादा, दिल न दुखे तेरे शब्दों से, करो स्वयं से ऐसा वादा, रहे प्रेम व्यवहार सभी से, रखो सदा ही नेक इरादा, समय बिछाकर बैठा चौसर, गुंजन हम सब केवल प्यादा, --शशि भूषण मिश्र 'गुंजन' चेन्नई तमिलनाडु ©Shashi Bhushan Mishra #हम सब हैं केवल प्यादा#
Gautam_Anand
मैं आपकी रहनुमाई में बस जरूरतों का प्यादा हूँ; आपकी उम्मीदों से कम अपनी बर्दाश्त से कुछ ज्यादा हूँ। दुनिया ने पढ़ लिया है मुझे खुली किताब की तरह; और आपके लिए न जाने क्यूँ एक छुपा हुआ इरादा हूँ। आप ही के रक्त मज्जे से जन्मा हूँ आप ही का हिस्सा हूँ; जाने क्यूँ लगता है जैसे मैं वारिस कम हिस्सेदार ज्यादा हूँ। मैं मुकम्मल हो ना पाया कभी नज़रों में आपकी; मिट गया वज़ूद फिर भी लगता है बचा हुआ मैं आधा हूँ। #अभिशप्त_वरदान #प्यादा #yqbaba #yqdidi #yqhindipoetry
S. Bhaskar
मैं अदना सा प्यादा ना कद्र है मेरी ना ही कोई कद बची है, मुझसे होशियार तो नब्ज़ सबकी रही है, थोड़ी फीकी है पर ये बात सच ही है, मैं अदना सा प्यादा सोच एक घर में ही रही है। कुछ खास लम्हों ने मुझको बड़ा तोड़ा है, तभी तो हर एक खास ने मुझे तन्हा छोड़ा है, वक्त पर सबके साथ रहा हूं पर साथ कोई नही है, मैं अदना सा प्यादा मुश्किल वक्त मेरा ही है। धरा पर शीश मेरा धड़ दो गज अंदर है, बिखरा तेरे लब्जों से तू ऐसा खंजर है, बेबाक मस्ती मेरे लहजे में रहा ही नहीं है, मैं अदना सा प्यादा हर कदम मरना ही है। मेरा अस्तित्व अब कहीं मौजूद नहीं है, रूठा खुद से आज मन बड़ा दुखी है, खैर प्यादों का होता कभी जयकार नही है, मैं अदना सा प्यादा मेरा तिरस्कार ही सही है। मैं अदना सा प्यादा तिरस्कार ही सही है #yqbaba #yqdidi #yqquotes #yqaestheticthoughts #yqbhaskar #yqlove
CalmKazi
(I) शब-ए-इंतज़ार की कशमकश में न पूछ कैसे सहर हुई, कभी इस झोंके ने डरा दिया, कभी उस झोंके ने डरा दिया । कभी एक चिराग जला दिया, कभी एक चिराग बुझा दिया। लौ को कशिश तो माचिस से मिली आग की तपिश फिर ज़ाहिर हुई, कभी एक चिराग जला दिया, कभी एक चिराग बुझा दिया । जलता रहा तमाम शब, मिला जा कर क़रार तब । कभी इस झोंके ने डरा दिया, कभी उस झोंके ने डरा दिया । (Continued in Caption) - CalmKazi और क़ायनात The big impromptu collab with Mayanka Dadu. We delved deep into our observations so mind the length, the story is intact. Happy Reading ! C
Aman Mishra
तेरा शहर ही तेरा था मेरा तो जहान भी तेरा था तेरे सजदे में झुका सिर भी मेरा था बन के था खुश मैं तेरा प्यादा पर तु कहाँ मेरा था तेरी शतरंज की बाजी में मैं महज एक मोहरा था मेरे सामने घना अंधेरा पीछे घना कोहरा था चार दिन की ज़िन्दगानी में हम दो दिन तेरे साथ को रोये और जब हुआ हक़ीक़त से सामना तो पड़ा मौत का पहरा था वक़्त का जख्म तो बड़ा गहरा था पर एक अरमान दिल मे आके ठहरा था के हो जाऊंगा मैं भी एक दिन वजीर पर प्यादा मैं सिर्फ तेरा था ।। "प्यादा" मेरे द्वारा लिखी गयी रचनाओं में से ये रचना मुझे खुद बहुत ज्यादा पसंद है या यूं कहिये कि ये मेरे दिल के करीब है । यही वो रचना है जो
Dr Upama Singh
ज़िंदगी एक शतरंज अनुशीर्षक में://👇👇 ज़िंदगी शतरंज का एक खेल शह मात का ज़िंदगी में कोई नहीं मेल ज़िंदगी के शतरंज में हर कोई मोहरा खा जाते धोखा जिसने रखा दोहरा चेहरा जहांँ प्यार और क़िस्मत दे देते धोखा कब आपको कोई दे दे यहांँ धोखा शह मात में कमज़ोर अक्सर पीस जाता प्यादा ही चौसठ खाने में शहीद पहले हो जाता
तुषार"आदित्य"
ये पक्के मकान नही वो कच्चे ही अच्छे थे। युही ख़ामख़ा बड़े हुए,हम बच्चे ही अच्छे थे। रिश्तो से बिक जाते बस तब मोलभाव के कच्चे थे। वोटों की कोई समझ न थी नोटों से सिक्के ज्यादा थे। रणभूमि क्या है पता न था,"रन"भूमि के तो दादा थे। अब आंख खुली सपना टूटा है,सबका मोल लगाना है। सबकुछ ही मतलब से है,बिन मतलब की बस बाधा है व्यथाकथा ही ऐसी है,सुख लोगो के दुख मिलता है। शतरंज जहाँ पर हर प्यादा राजा बनने को मारता है। अब हमें भी लोगो के जैसे बगुलाभागताई करनी है। प्यार व्यार बेकार है सब अब सिर्फ लड़ाई करनी है। ये पक्के #मकान नही वो कच्चे ही अच्छे थे। युही ख़ामख़ा बड़े हुए,हम बच्चे ही अच्छे थे। रिश्तो से बिक जाते बस तब मोलभाव के कच्चे थे। वोटों की कोई
Harshita Dawar
छू कर अनछुई हूं पूरी हूं पर अधुरी हूं गिनती में पूरी सूरी हूं शतराज़ में तुम्हारी प्यादा हूं मौसिकी की फैली सनसनी हूं अंधाधुंध गोलियां की आवाज़ हूं तुम चलते हम चाहते रहे मैं कौन हूं बस विष पीते हम, हमें ही आजमाते रहे, मैं मैं हूं ? हर बार खुद पर सवाल उछलती हूं तुम बढ़ते रहे हम घटते रहे आह सी कौन हूं घटना ग्रस्त दिल लहू लुहान सी हूं फसाद में सरहदी मलाल सी हूं मिल कर ना मिल पाएं बेहाल सी हूं अधूरी होकर अपनी कुछ पराई सी हूं मैं कौन हूं ....बताओ ना….. मैं हूं कही जताओ ना... जगाओ ना.... अपनी नींद में जगाओ ना... मैं हूं कही ..... ये बताओ ना... बताओ ना..... OPEN FOR COLLAB✨ #ATlovehandspic3 • A Challenge by Aesthetic Thoughts! ✨ Collab with your soulful words.✨ • Must use hashtag: #aesthetic
Harshita Dawar
Written by Harshita ✍️ #Jazzbaat Eye opener for society विक्टिम कार्ड और नहीं आज तक ये एक्टिंग ही थी या सच कहूं दूसरो को खुश करने के लिए बस अपनी दिल हार रही थी। आज सपना अपना पूरा सपना तोड़ चुकी थी। हार हाल में जवाब मांगा पर पीड़िता सी जिन्दगी को पूरे घाव भरे जिस्म को छुपाती रही। कैप्शन जोड़ें......... ©️ जज़्बात ए हर्षिता Eye opener for society विक्टिम कार्ड और नहीं आज तक ये एक्टिंग ही थी या सच कहूं दूसरो को खुश करने के लिए बस अपनी दिल हार रही थी। आज सपना अपना
Harshita Dawar
Written by Harshita ✍️✍️ #Jazzbaat हर बार गिराया जा चुका हूं हर बार दिल के हाथों गवाया जा चुका हूं जिसके लिए एक सवाल सुझाया था मैंने उसने मेरे मुंह पर एक और सवाल फेंक चुका हूं जिसके लिए एक दरवाज़ा खोला था मैंने उसने मेरे मुंह पर एक दरवाज़ा देख चुका हूं मुसालसल हालात ए ज़िन्दगी की ताबीर यूं ही ताबीज़ बना कर पहन चुका हूं मरम्मत उन दरारों की नकाब कहूं या कहूं खिताब मर मर अब जी चुका हूं रास्ते जो कभी दिखाएं थे मैंने हमदर्दी में मेरे साथ ही शतरंज के खिलाड़ी में प्यादा समझने की भूल कर चुका हूं रहे ना रहे ये धर्म कर्म कर ख़ुद के रास्ते सफ़र बनकर अमन कि रहा पर चल चुका हूं। #reality #yqdidi #lifequotes #zindagikasafar #yqdidi Written by Harshita ✍️✍️ #Jazzbaat हर बार गिराया जा चुका हूं हर बार दिल के हाथों गवाया