Nojoto: Largest Storytelling Platform

New विहान Quotes, Status, Photo, Video

Find the Latest Status about विहान from top creators only on Nojoto App. Also find trending photos & videos about, विहान.

Related Stories

    PopularLatestVideo

||स्वयं लेखन||

देश के संचालन का लिखित विधान है, अव्यवस्थाओं को दूर करने का समाधान है । भारत में जो हुई लोकहित में उद्घोषणा है, 26 नवंबर को लाया गया ये विह #thought #RepublicDay #विचार

read more
संविधान!

देश के संचालन का लिखित विधान है,
अव्यवस्थाओं को दूर करने का समाधान है ।

भारत में जो हुई लोकहित में उद्घोषणा है,
26 नवंबर को लाया गया ये विहान है।

26 जनवरी 1950 में पूर्णरूप से हुआ 
आत्मसात हमारा संविधान है।

©||स्वयं लेखन|| देश के संचालन का लिखित विधान है,
अव्यवस्थाओं को दूर करने का समाधान है ।

भारत में जो हुई लोकहित में उद्घोषणा है,
26 नवंबर को लाया गया ये विह

Anil Ray

💞प्रेम अपने परवां तक पहुंचे💞 बहुत ऊंची उड़ान तक पहुंचे जमीं से आसमां तक पहुंचे। अल्प-मान क्या मिला तुमको तुम तो अभिमान तक पहुंचे? #Hope #nojotohindi #शायरी #dictatorship #umeedein #getaway #humunity #Anil_Kalam #Anil_Ray #marketism

read more
mute video

MAHENDRA SINGH PRAKHAR

चित्र चिंतन :- सरसी छन्द ~गीत करते हो किन बातों पर तुम , अब इतना अभिमान । आज धरा को बना रहा है , मानव ही शमशान ।। करते हो किन बातों पर तुम #कविता

read more
सरसी छन्द ~गीत 

करते हो किन बातों पर तुम , अब इतना अभिमान ।
आज धरा को बना रहा है , मानव ही शमशान ।।
करते हो किन बातों पर तुम ...

भूल गये सब धर्म कर्म को , भूले सेवा भाव ।
नगर सभी पीछे है दिखते , दिखते आगे गाव ।।
मानवता रोती है बैठी , सुन्न पड गये कान ।
पत्थर के महलों में रहकर , पत्थर है इंसान ।।
करते हो किन बातों पर तुम ....

माया के पथ पर चलकर ही , खोई है पहचान ।
असली दौलत से इंसा यह , अब भी है अन्जान ।।
किसको देवे दोष आज हम , सूना पड़ा विहान ।
सुख की खातिर भटक रहा है , मानव बन शैतान ।।
करते हो किन बातों पर तुम...

क्यों मुर्गे की बाँग सुने यह , क्यों कागा के बोल ।
व्यर्थ ही शोर मचाते है यह , पास घड़ी अनमोल ।।
मिटे फूस के घर को देखो , बनता आज महान ।
जंगल-जंगल उजड़ गये है , राहें हैं वीरान ।।
करते हो किन बातों पर तुम ....

रही नही देखो अब छाया , राही है हैरान 
तरस रहे पानी को सब ही , कोई नही निदान ।।
काले-काले मेघ दिखे जो , लाये अब तूफान ।
दिखा रही है प्रकृति सभी को , अपनी ऊँची शान ।।
करते हो किन बातों पर तुम ....

अभी समझ लो भाई मेरे , कुदरत का फरमान ।
ढ़ह जायेगी दुनिया सारी , खाली रहें मकान ।।
दौलत के दम पर कितने दिन , पाओगे सम्मान ।
पानी वाले बादल अब तो , दिखते न आसमान ।।
करते हो किन बातों पर तुम .....

करते हो किन बातों पर तुम , अब इतना अभिमान ।
आज धरा को बना रहे क्यों , तुम ही अब शमशान ।।

०२/०६/२०२३      -   महेन्द्र सिंह प्रखर

©MAHENDRA SINGH PRAKHAR चित्र चिंतन :- सरसी छन्द ~गीत 

करते हो किन बातों पर तुम , अब इतना अभिमान ।
आज धरा को बना रहा है , मानव ही शमशान ।।
करते हो किन बातों पर तुम

MAHENDRA SINGH PRAKHAR

चित्र चिंतन :- सरसी छन्द ~गीत करते हो किन बातों पर तुम , अब इतना अभिमान । आज धरा को बना रहा है , मानव ही शमशान ।। करते हो किन बातों पर तुम #कविता

read more
सरसी छन्द ~गीत 

करते हो किन बातों पर तुम , अब इतना अभिमान ।
आज धरा को बना रहा है , मानव ही शमशान ।।
करते हो किन बातों पर तुम ...

भूल गये सब धर्म कर्म को , भूले सेवा भाव ।
नगर सभी पीछे है दिखते , दिखते आगे गाव ।।
मानवता रोती है बैठी , सुन्न पड गये कान ।
पत्थर के महलों में रहकर , पत्थर है इंसान ।।
करते हो किन बातों पर तुम ....

माया के पथ पर चलकर ही , खोई है पहचान ।
असली दौलत से इंसा यह , अब भी है अन्जान ।।
किसको देवे दोष आज हम , सूना पड़ा विहान ।
सुख की खातिर भटक रहा है , मानव बन शैतान ।।
करते हो किन बातों पर तुम...

क्यों मुर्गे की बाँग सुने यह , क्यों कागा के बोल ।
व्यर्थ ही शोर मचाते है यह , पास घड़ी अनमोल ।।
मिटे फूस के घर को देखो , बनता आज महान ।
जंगल-जंगल उजड़ गये है , राहें हैं वीरान ।।
करते हो किन बातों पर तुम ....

रही नही देखो अब छाया , राही है हैरान 
तरस रहे पानी को सब ही , कोई नही निदान ।।
काले-काले मेघ दिखे जो , लाये अब तूफान ।
दिखा रही है प्रकृति सभी को , अपनी ऊँची शान ।।
करते हो किन बातों पर तुम ....

अभी समझ लो भाई मेरे , कुदरत का फरमान ।
ढ़ह जायेगी दुनिया सारी , खाली रहें मकान ।।
दौलत के दम पर कितने दिन , पाओगे सम्मान ।
पानी वाले बादल अब तो , दिखते न आसमान ।।
करते हो किन बातों पर तुम .....

करते हो किन बातों पर तुम , अब इतना अभिमान ।
आज धरा को बना रहे क्यों , तुम ही अब शमशान ।।

०२/०६/२०२३      -   महेन्द्र सिंह प्रखर

©MAHENDRA SINGH PRAKHAR चित्र चिंतन :- सरसी छन्द ~गीत 

करते हो किन बातों पर तुम , अब इतना अभिमान ।
आज धरा को बना रहा है , मानव ही शमशान ।।
करते हो किन बातों पर तुम

Triveni Shukla

!! रातों के उजियारे !! पुलकित मन के स्पन्दन का नित निशा संग अनुनाद रहा, उगते सूरज की किरणों से एक बैर सा पाला है मैंने! दिन #Inspiration #philosophy #yqdidi #yqhindi #aestheticthoughts #RatonKeUjiyare

read more
पुलकित मन  के स्पन्दन  का 
नित निशा संग  अनुनाद रहा,
उगते  सूरज  की  किरणों  से
एक  बैर  सा  पाला  है  मैंने!

दिन  कोलाहल  से भरा हुआ
है  रात  पियारी   घोर  शान्त,
निर्बाध   विचरता   रहता   हूँ
लेता विराम  जब  हो विहान!

एकाग्रशील  है  मन मेरा अब
सहज  हो  रहा   चिन्तन  भी,
साकार  'कल्पना'  करने  को
तादात्म्य हो रहे तन-मन भी!

जग कहता जिनको निशाचरी 
वो   दिवास्वप्न   के   मारे    हैं,
रातें   उजली   दिन   कारे   हैं
ये   'रातों   के   उजियारे'   हैं! !! रातों के उजियारे !!

पुलकित मन  के स्पन्दन  का 
नित निशा संग  अनुनाद रहा,
उगते  सूरज  की  किरणों  से
एक  बैर  सा  पाला  है  मैंने!

दिन

यशवंत कुमार

यारों!, थोड़ा रो लेता हूँ. आज मन बड़ा व्याकुल है हृदय बड़ा शोकाकुल है, अंतर की वेदना अश्रु बन दृग- कोरो में अटके हैं, सब कुछ धुआँ -धुआँ है #lifequotes #truthoflife #sadquotes

read more
यारों!, थोड़ा रो लेता हूँ.

हँसे कोई दिखावा है,
रोये कोई छलावा है.
सब अर्थ का चक्कर है,
क्या काशी क्या काबा है ?
मन जुड़ता है धन से,
रिश्ते सिक्कों की खन-खन से.
सब कुछ स्पष्ट सामने,
चमकते चांदी के दर्पण से.
फिर भी मैं भूखा रिश्तों के पेड़
बिना अर्थ ही बो देता हूँ.
कुछ भी बताऊँ  इससे पहले
यारों!, थोड़ा रो लेता हूँ.

Read full poetry in caption... यारों!, थोड़ा रो लेता हूँ.

आज मन बड़ा व्याकुल है
हृदय बड़ा शोकाकुल है,
अंतर की वेदना अश्रु बन
दृग- कोरो में अटके हैं,
सब कुछ धुआँ -धुआँ है

Tera Sukhi

आदत से मज़बूर मेरे ज़ज़्बात मुझे झुकलाते है बहा अश्क़ अब भी वो उन्हें निगाहों में बैठाते है जाने किन के इंतज़ार में वो भीग रहे है बरसात में #gazal #yqdidi #YourQuoteAndMine #terasukhi #terasukhiquotes #terasukhishayaris #आदतसेमजबूर

read more
आदत से मज़बूर मेरे ज़ज़्बात  मुझे  झुकलाते है 
बहा  अश्क़ अब  भी वो उन्हें निगाहों में बैठाते है

जाने किन के इंतज़ार में वो भीग रहे है बरसात में
बादल है कि सब बरसात के साथ  तूफान लाते है

Full read in caption 👇👇 आदत से मज़बूर मेरे ज़ज़्बात  मुझे  झुकलाते है 
बहा  अश्क़ अब  भी वो उन्हें निगाहों में बैठाते है

जाने किन के इंतज़ार में वो भीग रहे है बरसात में

SURAJ आफताबी

कविता अदृश प्रेम की ! निशा - रात मलय - चंदन सराई - दीपक विहंगम - जो आसमान में विचरण करता है उद्विग्नता - व्याकुलता तमस - अंधियारा #yqbaba #yqdidi #yqhindi #कविताएँज़िंदारहतीहैं #surajaaftabi

read more
तू सिमट आता है दिये की लौ में
ज्यों-ज्यों तू क्षितिज के अंक में ढ़लता है
इतना तो मैंने स्वयं से भी नहीं कहा मेरे 'दिनकर'
मगर, सारी निशा तेरा ओज मेरे मुख पर मलय मलता है !

माटी की इस छोटी सराई में
विहंगम सा जो तू लहलाता है
है पता मुझे ये, कि मेरी आंखों की उद्विग्नता को
तू अपनी धीमी आंच से बड़ी मृदुलता से सहलाता है
बुझ जाती है मेरी हर प्यास जो पूरी रात मेरी आगोश में जलता है
इतना तो मैंने स्वयं से भी नहीं कहा मेरे 'दिनकर' 
मगर, सारी निशा तेरा ओज मेरे मुख पर मलय मलता है !

जब तमस ढ़ल नया विहान मेरी निद्रा तोड़ता है
तू चढ़ जाता है अम्बर और मुझे नितांत इकला छोड़ता है
मैं बिस्तर की सलवटें संग खुद को समेट फिर तेरे आने की भाट भरती हूं
माना बहुत कुछ है पूर्ण-अपूर्ण तेरे और मेरे मध्य
मगर सुन ओ मेरे 'दिनकर' मैं सिर्फ़ तुम्हीं और तुम्हीं से प्यार करती हूं !! कविता अदृश प्रेम की !

निशा - रात
मलय - चंदन
सराई - दीपक
विहंगम - जो आसमान में विचरण करता है
उद्विग्नता - व्याकुलता
तमस - अंधियारा

HINDI SAHITYA SAGAR

"कविता : जय! जय! गणतंत्र हमारा।" जय! जय! गणतंत्र हमारा! जय हो! लोकतंत्र हमारा! विश्व का सबसे बड़ा लिखित है भारत का संविधान। लोकतांत्रिक गणर #RepublicDay #Knowledge #VandeMatram #तिरंगा #वंदेमातरम् #हिंदी_साहित्य_सागर

read more
mute video

Anil Ray

बहुत ऊंची उड़ान तक पहुंचे जमीं से आसमां तक पहुंचे। अल्प-मान क्या मिला तुमको, तुम तो अभिमान तक पहुंचे? जज़्बात थे सब अपने ही है, और लब गंदे #कविता #हमारा_नोजोटो_प्रणाम_नोजोटो_प्यारा_नोजोटो_आभार_नोजोटो

read more
बहुत ऊंची उड़ान तक पहुंचे
जमीं से आसमां तक पहुंचे। 
अल्प-मान क्या मिला तुमको,
तुम तो अभिमान तक पहुंचे?
जज़्बात थे सब अपने ही है,
और लब गंदे बयां तक पहुचे!
जब रजनी पर फिदा हो सूरज
रात्रि कैसे विहान तक पहुंचें?
उड गया पक्षी निज-नीड़ से
तीर जैसे ही कमान तक पहुंचें।
लहु से महंगी है स्याही, देखो
  फंदा, जिनके गिरेबां तक पहुंचे।(आजादी)
मत बहाओ यूं व्यर्थ में इसे,जो
अपनो के दिलो-जान तक न पहुंचे।
तर्क  विवेकशील है तुम करो,  पर
तकरार से किस निशान तक पहुंचे?
रखो जिंदा इंसानियत को सदा
शरीर जब तक शमशान पहुंचे।
बुझा ले अब अनिल इस अनल को
परस्पर प्रेम अपने परवां तक पहुंचे।
💝❤️🧡💛💚💙💜🤎🤍💖🧡💛💚💙💜♥️❤️💝

©Anil Ray बहुत ऊंची उड़ान तक पहुंचे
जमीं से आसमां तक पहुंचे। 
अल्प-मान क्या मिला तुमको,
तुम तो अभिमान तक पहुंचे?
जज़्बात थे सब अपने ही है,
और लब गंदे
loader
Home
Explore
Events
Notification
Profile