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Matangi Upadhyay( चिंका )
इंसान के प्राण भी पंछी की तरह है, जब तक है,,तब तक है , कब उड़ जाए भरोसा ही नहीं ।। ©Matangi upadhyay (चिंका) प्राण पखेरू 😲 #parindey #matangiupadhyay #विचार #Nojoto #nojotostreaks #nojotohindi
प्राण पखेरू 😲 #parindey #matangiupadhyay #विचार #nojotostreaks #nojotohindi #Thoughts
read moreSunita Shanoo
मन पखेरु उड़ चला फिर नेह की नजरों से मुझको ऐसे देखा आपने। मन-पखेरु उड़ चला फिर आसमां को नापने। कामना का बांध टूटा- ग्रंथियां भी खुल गईं । मलिनता सारी हृदय की आंसुओं से धुल गई । एक नई भाषा बना ली, तन के शीतल ताप ने। शब्द को मिलती गईं नव-अर्थ की ऊँचाइयाँ । भाव पुष्पित हो गए मिटने लगीं तनहाइयाँ। गीत में स्वर भर दिए हैं- प्यार के आलाप ने - मन पखेरु उड़ चला फिर, आसमां को नापने ।। "मन पखेरू उड़ चला" काव्य संग्रह से एक कविता... YourQuote Didi YourQuote Baba
"मन पखेरू उड़ चला" काव्य संग्रह से एक कविता... YourQuote Didi YourQuote Baba
read moreVaishali Pandit
तेरी चौखट पर सिर रखूं मेरे प्राण पखेरू उड़ें सावरे एक बार देखूं हजार बार देखूं तुझे देखते रहने की चाहत है सावरे #बिहारी_जी ©Vaishali Pandit तेरी चौखट पर सिर रखूं मेरे प्राण पखेरू उड़ें सावरे एक बार देखूं हजार बार देखूं तुझे देखते रहने की चाहत है सावरे 🙏 #भक्ति
तेरी चौखट पर सिर रखूं मेरे प्राण पखेरू उड़ें सावरे एक बार देखूं हजार बार देखूं तुझे देखते रहने की चाहत है सावरे 🙏 #भक्ति #समाज #बिहारी_जी
read moreSadbhawana Samachar
वक्त का ये पखेरू रुका है कहां मैं था पागल उसे आवाज देता रहा . चार पैसे कमाने मैं आया शहर गांव मेरा मुझे आवाज देता रहा . #शायरी
read moreअबोध_मन//फरीदा
सुन.! पंख फैला उड़ गए पखेरू, अब तू का बैठी ताक रही। विस्तृत नभ कबसे प्रतीक्षारत, तेरे ‘आँगन’ से उसे जाना था। ... ©अबोध_मन//फरीदा #पंख #आस_उम्मीद #बिछड़ते_अपने #अबोध_मन #मुक्तक💝 #अबोध_मुक्तक #बदलते_रिश्ते सुन.! पंख फैला उड़ गए पखेरू, अब तू का बैठी ताक रही।
#पंख #आस_उम्मीद #बिछड़ते_अपने #अबोध_मन मुक्तक💝 #अबोध_मुक्तक #बदलते_रिश्ते सुन.! पंख फैला उड़ गए पखेरू, अब तू का बैठी ताक रही। #कविता #फ़क़तफरीदा
read moreRajkumar Siwachiya
रहवय जीव जंतु पशु पखेरू कठ्ठे वन म लुटय प्रकृति के नज़ारे बिन खर्चे धन म जमा ना पाप द्वेष भेदभाव राखते मन म मानते सबका अधिकार है कण कण म होते दिल त खुश देख एक दूजे झूमते फन म दिखय स आज भी इंसानियत जिंदा जन जन म ✨♥️✨🕉️🔱💫📙🔭✍️ - Rajkumar Siwachiya ✍️ ©Rajkumar Siwachiya रहवय जीव जंतु पशु पखेरू कठ्ठे वन म लुटय प्रकृति के नज़ारे बिन खर्चे धन म जमा ना पाप द्वेष भेदभाव राखते मन म मानते सबका अधिकार है कण कण म होत
MAHENDRA SINGH PRAKHAR
वीर कभी मरते नहीं , जन जन होती बात । बस इतना ही कष्ट है , हृदय हुआ आघात ।। त्याग और बलिदान से , करते देश महान । वीर शहीदों में सदा , नित जिनकी पहचान ।। आज देश पे मर मिटें , अपने वीर जवान । काल चक्र ने निगल लिया , देश का स्वाभिमान ।। संकट ऐसा काल का , हुआ नहीं अनुमान । पंख पखेरू ले गये , हिंद देश की शान ।। वीरों की गाथा लिखूँ , करूँ देश का मान । माँ इतना तुम ज्ञान दो , अवसर मिलें समान ।। महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR वीर कभी मरते नहीं , जन जन होती बात । बस इतना ही कष्ट है , हृदय हुआ आघात ।। त्याग और बलिदान से , करते देश महान । वीर
वीर कभी मरते नहीं , जन जन होती बात । बस इतना ही कष्ट है , हृदय हुआ आघात ।। त्याग और बलिदान से , करते देश महान । वीर #कविता #bipinrawat
read more#maxicandragon
कोई मानता नही उसे मना नही सकता क्या कश्मकश है बता नही सकता एक दौर आया है चला जाएगा अभी गमगीन हू, तुम्हे हंसा नही सकता कुछ बात है कुछ मजबूरीयां मै #फकीरीत जमाने को बता नही सकता वो जो समझते है समझने दो है रईस हम,उन्हे समझने दो मै खोखला खाली हूं, चीर के बता नही सकता तुम खुश रहो के मै जिन्दा हूं कैद पिंजरे का वो परिंदा हूं ये प्राण पखेरू कब उड जाएंगे, बता नही सकता #Sadharanmanushya #Faqeeriyat #Dead #LastBreath #TheEdge #Sadness #Sad कोई मानता नही उसे मना नही सकता क्या कश्मकश है बता नही सकता एक दौर आया है चला जाएगा अभी गमगीन हू, तुम्हे हंसा नही सकता
कोई मानता नही उसे मना नही सकता क्या कश्मकश है बता नही सकता एक दौर आया है चला जाएगा अभी गमगीन हू, तुम्हे हंसा नही सकता #thought #SAD #poem #sadness #dead #Heartbeat #lastbreath #Sadharanmanushya #फकीरीत #Faqeeriyat #TheEdge
read moreS. Bhaskar
अंधेरी रात का साहिल बनना मुकर्रर था, तो मैंने भोर का रास्ता करार कर दिया। रहा तिमिर के गर्भ में डूबा हुआ, रौशनी को मैंने खबरदार कर दिया। कई पर्वतों की उचाई मापी है, गहराई को मैंने आत्म निर्वाण कर दिया। उच्छल जल में पखेरू भी गोते लगाते है, मैंने तह में जा कर गला तर कर दिया। तुम साहिल की बाट जोहते हो उतरन को, मैंने लहरों पे अपना आशियाना आबाद कर दिया। तुम पारस खोजते हो स्वर्ण में ढलने को, मैंने तो पत्थर छु के पारस कर दिया है। मेरी समझ से देखो हर कोई नासमझ मिलेगा, परिस्थितियों ने मुझे बेजार कर दिया है। चांद की सिथिलिता का परिचय हूं, सूरज सा तेज का प्रमाण कर दिया है। अंधेरी रात का साहिल बनना मुकर्रर था, तो मैंने भोर का रास्ता करार कर दिया। रहा तिमिर के गर्भ में डूबा हुआ, रौशनी को मैंने खबरदार कर दिया।