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ANIL KUMAR
बात-बात पे रोना छोड़ो,बात-बात पर रोना। जीवन सुख-दुःख का है प्यारे,प्यारा एक बिछौना।। पतझड़ का मतलब न है की, जीवन केवल रीता है। इसका मतलब केवल न है,समय बुरा ही बीता है। पतझड़ आकर लाता है,नईं कोपलें शाखों पर और बसंती मौसम फिर,ख़्वाब भरे कुछ आँखों पर जीवन केवल पतझड़ न है,है एक बसंती-छौना। काली-रात अंधेरी है तो,कल सूरज भी आएगा। इक-सा वक़्त नहीं रहता है,आकर के बतलाएगा। रात अगर होती है भारी,नई भोर भी फिर होगी। तमस हमेशा न रह पाता,नई छोर भी फिर होगी। इस संसार में वक़्त के सब,मानो खेल खिलौना। फूलों को पाने की चाहत,काँटों से होकर गुजरे। सुख पाने की झुंझलाहट, दुःख के क़तरे बन बिखरें। धीरज का बस यही समय है,फल पकने में देरी है। वक़्त की लाठी न्याय करे है, करती नहीं अंधेरी है। अच्छे को अच्छा मिलता है, और बुरे को मिले घिनौना। मन की हसरत केवल है,बस फूलों की बाँह मिले। हर मंजिल तक जाने वाली,बस सीधी इक राह मिले। कंकड़-पत्थर वाले रस्ते,पैर पे छाले पड़ जाएँगें। मंजिल अपनी वो पाएँगें, जो आगे बढ़ जाएँगें। और खुशी से भर जाएगा,मन का कोना-कोना। धीरे-धीरे चलना सीखो,धीरे-धीरे ही बढ़ना। चलो नहीं खरगोश के जैसे, कछुए जैसे तुम चलना। और सफलता तुम्हें मिलेगी,कहता निश्छल बात यही। चौबीस कैरेट ख़री-ख़री, निकलेगी सच बात,कही। हँसने के पहले पड़ता है,बहुत दिनों तक रोना। वर्तमान को जी भर जीना, और भाव्य की चिंता ना। जो बीता सकुशल ही बीता, अन्य भाव्य की चिंता ना। खुशियों में ही कट जाएगा,खुशियों से खुशियाँ मिलती। मनभावन-बसंत आने पर,बागों की कलियां खिलतीं। खुशियाँ पाने की ख़ातिर,खुशियाँ पड़ता बोना। अनिल कुमार ''निश्छल'' ©ANIL KUMAR #intezaar #अनिल #अनिल_कुमार #जीवन #Sukha #दुख बात-बात पे रोना छोड़ो,बात-बात पर रोना। जीवन सुख-दुःख का है प्यारे,प्यारा एक बिछौना।।
ANIL KUMAR
बात-बात पे रोना छोड़ो,बात-बात पर रोना। जीवन सुख-दुःख का है प्यारे,प्यारा एक बिछौना।। पतझड़ का मतलब न है की, जीवन केवल रीता है। इसका मतलब केवल न है,समय बुरा ही बीता है। पतझड़ आकर लाता है,नईं कोपलें शाखों पर और बसंती मौसम फिर,ख़्वाब भरे कुछ आँखों पर जीवन केवल पतझड़ न है,है एक बसंती-छौना। काली-रात अंधेरी है तो,कल सूरज भी आएगा। इक-सा वक़्त नहीं रहता है,आकर के बतलाएगा। रात अगर होती है भारी,नई भोर भी फिर होगी। तमस हमेशा न रह पाता,नई छोर भी फिर होगी। इस संसार में वक़्त के सब,मानो खेल खिलौना। फूलों को पाने की चाहत,काँटों से होकर गुजरे। सुख पाने की झुंझलाहट, दुःख के क़तरे बन बिखरें। धीरज का बस यही समय है,फल पकने में देरी है। वक़्त की लाठी न्याय करे है, करती नहीं अंधेरी है। अच्छे को अच्छा मिलता है, और बुरे को मिले घिनौना। मन की हसरत केवल है,बस फूलों की बाँह मिले। हर मंजिल तक जाने वाली,बस सीधी इक राह मिले। कंकड़-पत्थर वाले रस्ते,पैर पे छाले पड़ जाएँगें। मंजिल अपनी वो पाएँगें, जो आगे बढ़ जाएँगें। और खुशी से भर जाएगा,मन का कोना-कोना। धीरे-धीरे चलना सीखो,धीरे-धीरे ही बढ़ना। चलो नहीं खरगोश के जैसे, कछुए जैसे तुम चलना। और सफलता तुम्हें मिलेगी,कहता निश्छल बात यही। चौबीस कैरेट ख़री-ख़री, निकलेगी सच बात,कही। हँसने के पहले पड़ता है,बहुत दिनों तक रोना। वर्तमान को जी भर जीना, और भाव्य की चिंता ना। जो बीता सकुशल ही बीता, अन्य भाव्य की चिंता ना। खुशियों में ही कट जाएगा,खुशियों से खुशियाँ मिलती। मनभावन-बसंत आने पर,बागों की कलियां खिलतीं। खुशियाँ पाने की ख़ातिर,खुशियाँ पड़ता बोना। अनिल कुमार निश्छल ©ANIL KUMAR #andhere #newwsgaanv #gyaangaaon #निश्छल #अनिल #गीत #Nishchhal #अनिल_कुमार #Geetkaar #geet
Ravi Sharma
जो भावों से भरा हुआ है , भाव वही कह पाएगा जो रीता ,ख़ाली होगा , क्या मन की कह पाएगा।। ©Ravi Sharma #lovequote जो भावों से भरा हुआ है , भाव वही कह पाएगा जो रीता ,ख़ाली होगा , क्या मन की कह पाएगा।।
Author Munesh sharma 'Nirjhara'
रीता मन रीता कहाँ होता है वो जो चला गया... क्या सचमुच चला गया होता है...? 🌹 रीता---खाली #yqhindi #bestyqhindiquotes #yqdidi #मन #तुम्हारे_ख़्याल_और_मैं #mनिर्झरा Pic Google
Kamal
रंग भरा अंबर है देखो चितकबरा सा बादल है धरती देखो है सिन्दूरी हरीयाली का चोला पहने सागर गहरा नीला लगता है अंबर का सारा रंग लिए कल-कल बहते झरने निश्छल छेड़ा हो सरगम जैसे रीता मन है फिर क्यों मेरा बेरंग कुछ रूठा-रूठा सा ओ चित्रकार तेरी कूची से भर दे इसमे में भी रंग गहरा सुप्रभात। रंग भरा अंबर है देखो चितकबरा सा बादल है धरती देखो है सिन्दूरी हरीयाली का चोला पहने सागर गहरा नीला लगता है अंबर का सारा रंग लिए
Insprational Qoute
"देख री सखी फूल खिलग्या" देख री सखी फूल खिलग्या,पर मन का री नाही, बाँटया जोहुँ दिण रात री,पर पिव कद सी आहि? सम्पूर्ण रचना अनुशीर्षक में पढ़े। "देख री सखी फूल खिलग्या" देख री सखी फूल खिलग्या,पर मन का री नाही, बाँटया जोहुँ दिण रात री,पर पिव कद सी आहि? निरख निरख आँख्या री तरसी, गर
Gopal Lal Bunker
दलाल ~~~~~ दुष्ट आदमी यों है होता। बन शातिर वह बने परोता।। बना लोभ को बसर सहारा। बन दलाल फिर करे गुजारा।। ⚡✨⚡ यश सुख जाए उसका रीता। औरों पर वह जाए जीता।। नैतिकता को देकर धोखा। मौका बुनता बड़ा अनोखा।। ⚡✨⚡ ( Read full in Caption ) ✍️ गोपाल 'सौम्य सरल' #दलाल #दलाली #चौपाई #glal #yqdidi #restzone #rzhindi #rzलेखकसमूह दलाल ~~~~~ दुष्ट आदमी यों है होता। बन शातिर वह बन
Dr Jayanti Pandey
कतरा कतरा बह रहा है हर शख्स जो ठहरा सा है सांस तब टूटती जा रही है जब सांसो पर पहरा सा है जाने कब तक यूं चलेगा कहर ढाती यह बवा जो है और कितना खोना पड़ेगा जब कटेगी यह बला जो है। मन तो रीता जा रहा है वक्त यह कटता नहीं है सुख बांटने को भीड़ थी दुख मगर बंटता नहीं है। लौटेंगे नहीं वो लोग जो इस तूफान में हैं बह गए दुनिया ही उनकी बदल गई जो उनके पीछे रह गए। प्रकृति तुम ही करो कुछ रोक लो इस विनाश से इस धरा को फिर सजा दो खिलखिलाती उजास से। कोरोना का कहर हर घर को,हर जीवन को प्रभावित कर रहा है। कितने ही लोग असमय काल के गाल में समा गए। कितने ही लोगों का रोजगार चला गया। कितने लोगों
Dr Jayanti Pandey
खुद रंग रहो खुश रंग रहो सब साथ चलें तो संग रहो वरना अपने में मग्न रहो रह सको तो खुद मुख्तार रहो अपने सपनों के संग बहो। यह जीवन बहुत अमोल मिला, इसको ना बेरंग करो, खुद रंग रहो खुश रंग रहो। (पूरी कविता अनुशीर्षक में पढ़ें) अपने ही रंग में रहो …........................ खुद रंग रहो खुश रंग रहो सब साथ चलें तो संग रहो वरना अपने में मग्न रहो रह सको तो खुद मुख्तार रह
Vijay Tyagi
अंजू, मंजू, विद्या, बाला लोटन, छोटन, मोटा लाला देखो "काका" ने बना डाली 108 नाम की माला... कविता नीचे अनुशीर्षक में पढ़ें👇 मेरे मित्र और छोटे भाई Palash Chouhan का आभार जो उन्होंने मुझसे काका की इतनी सुंदर और कलात्मकता से परिपूर्ण कविता को साझा किया... इसमें काका