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vikas sharma विचित्र
prestige कॉलेज ,ग्वालियर में सालाना महोत्सव " स्पंदन" में nojoto द्वारा आयोजित किया। देश भर से आये शायरों में जब विजेता के तौर पर हमारा नाम
Asheesh indian
नहीं मिलता हूं, किसी से आजकल मैं, खुद में ही खोया हूं कल तक मैं, भी बहुत हंसता था आज जोरों से रोया हूं नहीं मिलता हूं........ जब उठने लगा जनाजा मेरे सब्र का जिस पर सबसे ज्यादा भरोसा था उसी ने सबसे पहले मेरे जनाजे पर कफ़न चढ़ाया था जब तक जरूरत थी हर किसी ने मुझको अपनाया था जब हुई जरूरत खत्म हर किसी ने मुझको दफनाया था नहीं मिलता हूं...... कैसे भूल गया मैं, जमाने की हकीकत कैसे मैंने किसी और को, गले लगाया था छोड़ दिया मेरा साथ सबने आखिर ये मेरा ही दिल था, जिसने मुझे फिर से अपनाया था ©Asheesh indian नहीं मिलता हूं, किसी से आजकल मैं, खुद में ही खोया हूं कल तक मैं, भी बहुत हंसता था आज जोरों से रोया हूं नहीं मिलता हूं........ जब उठने लगा जन
drsharmaofficial
सीनें में जुनूं आंखों में देशभक्ति की चमक थी दुश्मन की सांसें थम जाए आवाज में वो धमक थी अपने खून से लिखी भारत की नई कहानी थीं हँस कर कुर्बान हुई वो जवानी थी (अनुशीर्षक में पढ़े) सीनें में जुनूं आंखों में देशभक्ति की चमक थी दुश्मन की सांसें थम जाए आवाज में वो धमक थी अपने खून से लिखी भारत की नई कहानी थीं
jagruti vagh
**शहीद शिरीष कुमार** ---------------------------- जिस उम्र में शब़ाब भटक जाते हैं गलत राह पर उस उम्र में शहीद ने ली थी चार गोलियां अपने फौलादी सीने पर ये शहीद है शिरीष कुमार ,जो अपने माँ की शिक्षा से प्रेरित हो,निकल पडे थे आजादी की राह पर बस इतनी थी ख्वाहिश उनकी, मिले आजादी भारत वासियों को और मिले खुशियाँ भर भर कर 16 साल जैसी कम उम्र में उन्होंने देशभक्ति का जज्बा अपनाया था "हिन्द छोड़ो" जैसे बडे़ आंदोलन में निकालकर रैली उसका इमामत संभाला था दिखाकर अपनी भारतमाता की रक्षा का जज्बा गुस्से से लाल अंग्रेजों को कर डाला था अपनी दिल-नवाज़ी मिट्टी पे अपना जिस्म छोड़ते समय "वन्दे मातरम्" यही एक ही नारा था मरते वक़्त भी तिरंगा उन्होंने लहराया था क्योंकि भारतवर्ष उन्हें अपनी जान से प्यारा था **शहीद शिरीष कुमार** ---------------------------- जिस उम्र में शब़ाब भटक जाते हैं गलत राह पर उस उम्र में शहीद ने ली थी चार गोलियां अपने फौल
Sunil itawadiya
रंग से गोरी न थी , लेकिन सुन्दर थी , बहुत ऊंची न थी , लेकिन मेरे लिए योग्य थी प्रेम देने वाली न सही लेकिन मेरे कदमो से कदम मिलती थी। मंदिर आने से इनकार करती थी, लेकिन बाहर मेरा इंतज़ार करती थी कही भी जाओ मेरे साथ चल देती थी जहां रूकु मेरे लिए रूक जाती थी वो कोई मुझे प्यार करे न करे पर वो मुझे बहुत प्यार करती थी बड़ी मेहनत से पाया था उसे बहुत चक्कर लगाया था उसे पाने के लिए हजारो की भीङ से ढूढा था अपने लिऐ घरवालो की नाराजगी झेलकर अपनाया था वो जो हमेशा मेरे साथ रही पर आज मुझे छोड़कर चली गयी , , मेरी चप्पल थी …. साला कोई चुरा कर ले गया😄😄 रंग से गोरी न थी , लेकिन सुन्दर थी , बहुत ऊंची न थी , लेकिन मेरे लिए योग्य थी
MAHENDRA SINGH PRAKHAR
मिट्टी के टुकडो की खातिर , तुम कितना लहू बहाओगे , मानव हो तुम मानव जग में , मानव कब कहलाओगे जिसें मानते धरती माता , अब उसके लाल मिटाओगे मिट्टी के टुकड़ो की खातिर....१ इतनी दौलत लेकर भी तुम , फिर तुम कितना चल पाओगे राह नहीं है इतनी सीधी , तुम कदम कदम गश खाओगे अपने प्राणों की फिर रक्षा , बोलो कैसे कर पाओगे मिट्टी के टुकड़ों की खातिर ,......२ जिसे मानते हो तुम लोहा , कभी जरा उससे भी पूछो कितने घर शमशान हुए है , बाहर बैठी माँ से पूछो पूछो इन शस्त्रों से मुडकर , क्या फिर जीवन दे पाओगे मिट्टी के टुकड़ों की खातिर .....३ जिसका जो भी धर्म यहां था , वो सभी यहां अपनाया था अपने अपने कर्म लिखाकर , वह भी प्रभु से आया था अब करके संहार यहाँ तुम ,तुम क्या इनको दिखलाओगे मिट्टी के टुकडों की खातिर ......४ मिट्टी के टुकड़ों की खातिर , तुम कितना लहू बहाओगे ..... महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR मिट्टी के टुकडो की खातिर , तुम कितना लहू बहाओगे , मानव हो तुम मानव जग में , मानव कब कहलाओगे जिसें मानते धरती माता , अब उसके लाल मिटाओगे म
अशेष_शून्य
"त्याग :मोह पत्रों का" ( शेष अनुशीर्षक में...) जब तुम्हारी उंगलियां पकड़कर चलने लगते शब्द मेरी कविताओं के तो सोचती हूं किसी ऐसे अनंत सफ़र पर निकलूं जिसकी कोई मंजिल ना हो
शुभी
प्यार की परिभाषा (check caption) मैं चोट खाया था, आंसू माँ को आया था, प्यार का अर्थ कुछ कुछ समझ आया था. भूखी वो भी थी, पहला निवाला मेरे हिस्से आया था, प्यार का अर्थ कुछ कुछ
Divyanshu Pathak
सुनो....💕👨 तुमसा कोई मिल जाता तो ढूंढ लिए होते क्यूं प्यार तुम्हें करते ? क्यूं तेरे लिए रोते ? इस प्रेम के पंथ में हाय प्रभु ! सर दे कर भी छुटकारा न होता हम रोते ही क्यों बिलखा कर के अगर तू मन प्राण हमारा न होता ! :💕👨🌷🌷🐒 अगर नज़र में अवगुण थे तो क्यों अपनाया था ये प्रीत न निभ सकती पहले न बताया था ! हे कन्हैया ....! :💕💕🐒💕👨 मौका तो दिया होता मेरे मीत सफ़ाई
Niaz (Harf)
26 jan republic day 75वें गणतंत्र दिवस की शुभकामनाएं! आज सिर्फ एक दिन की छुट्टी या देशभक्ति का प्रदर्शन नहीं है, बल्कि यह सोचने का समय है कि हमारे देश को महान क्या बनाता है। यह वह दिन है जब हमने अपना संविधान अपनाया था, नियमों का एक सेट जो दर्शाता है कि एक स्वतंत्र भारत का सपना क्या है। तीन रंगों वाला झंडा दिखाता है कि कैसे हम सभी अलग-अलग हैं लेकिन फिर भी एक साथ हैं, हमारी आजादी के लिए लड़ने वाले लोगों को धन्यवाद। एक भारतीय के रूप में, हमें अपने संविधान में महत्वपूर्ण विचारों का पालन करना चाहिए: निष्पक्षता, स्वतंत्रता, समानता और एकजुटता। आइए उन लोगों से सीखें जिन्होंने हमारे भविष्य की योजना बनाई और एक ऐसा देश बनाने का वादा किया जहां सभी के अधिकार और सम्मान सुरक्षित हों। जय हिन्द! गणतंत्र दिवस की शुभकामनाएं! ©Niaz (Harf) 75वें गणतंत्र दिवस की शुभकामनाएं! आज सिर्फ एक दिन की छुट्टी या देशभक्ति का प्रदर्शन नहीं है, बल्कि यह सोचने का समय है कि हमारे देश को महान