Nojoto: Largest Storytelling Platform

New भौमितिक रचना सरावसंच 1 Quotes, Status, Photo, Video

Find the Latest Status about भौमितिक रचना सरावसंच 1 from top creators only on Nojoto App. Also find trending photos & videos about, भौमितिक रचना सरावसंच 1.

Related Stories

    PopularLatestVideo

अंकित शर्मा बेख़बर

1 पहली रचना #विचार

read more
 #1 पहली रचना

Nitesh Prajapati

नौबहार (ग़ज़ल) 

दो दिल मिले है जैसे कोई गुल खिले,
पलकें शर्मा गई जैसे सारी फलक गिरे।

नौबहार आई है मोहब्बत की भी सनम,
चलते थे और चलते रहेंगे कई सिलसिले।

नए जज़्बात लाई है ये पेड़ो की नई पत्तियां,
असर तो कर रही है प्यार की जड़ी बूटियां।

जैसे छायी है हर तरफ सिर्फ हरियाली,
आती थी, आती रहेंगी इश्क़ के रंगों की होलिया।

नौबहार है ये तपश्चर्य को तुम ना तोड़ना,
'शिव' की भी कर लो थोड़ी सी आराधना।

क्या पता कल हो ना हो कोई कद्र करनेवाला,
दिल से कर लो इश्क़ की भी थोड़ी साधना।

ऋतुराज भी कहलाती है इश्क-ए-नौबहार,
आई देखो मेरे इंतज़ार के एहसास की गुलबहार।

लाई है मेरे महबूब के रूप में प्यारा एक उपहार,
कर दिया है दिल ने भी इश्क-ए-इज़हार।

-Nitesh Prajapati  रचना क्रमांक :-1

#नौबहार
#collabwithक़लम_ए_हयात
#क़लम_ए_हयात
#जन्मदिन_qeh22

Writer1

हसरतें
*************
प्रकृति के चक्र से नई कोंपलों जवां‌ हुई,
भंवर का स्पर्श पा , हर कली मदमस्त हुई।

रूहों का मिलन मुकम्मल हुआ, ख्वाबों में जो वार्तालाप हुई,
जुदाईयों की बात तो इंतज़ाम हुआ, ख्वाबों में जो मुलाकात हुई।

वो हममें‌ शामिल ही रहे इस कदर हमारी खुद से मुलाकात हुई,
आईने में हम संवरने लगे उनकी आहटों की जो ख़ुशी हुई।

कहते हैं ना" जब कोई दिल से याद करें तो सामने वो होते हैं,
 दिल-ओ-दिमाग पे काबू करने लगी, हमारी धड़कनें ‌बे-काबू हुईं।

ख्वाइशे रोज़‌  करते हैं , रोज़ ही  हम  मिलते-जुलते  हैं,
क्या हसरतों को प्रवान करें,दुनियादारी की  बंदिशे और रस्में‌ हुईं।

तुम उम्मीदे-ए- वफा सदा क़ायम रखना सनम,
क्योंकि हसरतें हो जवां ,उस  पर ही हौंसला की बुनियाद कायम हुई।
 रचना-1
#kkhkh2021 
#होलीकेहमजोली 
#होली2021 
#कोराकाग़ज़ 
#collabwithकोराकाग़ज़ 
#विशेषप्रतियोगिता

Nitesh Prajapati

"गाँव"
गाँव जैसे ख़्वाब ,
गाँव शब्द सुनते ही दिल में सुकून सा छा जाता है,
गाँव जहां सूरज की पहली किरण,
जो हरियाली खेतों से होकर गुजरती है,
जहां मंद मंद पवनों की गूँज और,
झील के पानी की सुमुधर आवाज, 
कानों में पड़ते ही रूह को छू जाती है,
पक्षियों का वह कर्णप्रिय संगीत,
जो सुनते ही मन प्रसन्न हो जाता है,
जहाँ की शुद्ध हवाई लहराते फसलों की, 
वो सोंधी सोंधी खुशबू,
और रात का नज़ारा जैसे आसमान में, 
चमकते हुए सितारों के बीच, 
चाँद का रोशनी बिखरना जैसे स्वर्ग की अनुभूति करवाता है। 
अगर इंसानियत की सच्ची मिसाल देखनी हो, 
तो सिर्फ गांव में मिलती है,
वहां के भोले-भाले लोग, 
और इंसानियत की बातें कुछ और ही है,
गांव में मेहमानों को भगवान का दर्जा दिया जाता है,
और उसकी खानपान और मेहमान नवाजी का तो कोई मोल नहीं,
जहाँ गाय को आज भी अपनी माता समझ कर पूजते है,
और गाय के गोबर भी आज भी पुताई करते हैं,
और उससे घर का चूल्हा जलाते हैं,
और गाय का ताजा दूध पीकर कई बीमारियों ने मुंह मोड़ लिया है,
ऐसा है हमारे भारत के गाँव का नज़ारा। 
 रचना क्रमांक :-1
#collabwithकोराकाग़ज़
#कोराकाग़ज़महाप्रतियोगिता
#नववर्ष2022
#विशेषप्रतियोगिता
#कोराकाग़ज़
#kknitesh

Nitesh Prajapati


" लम्हा"
वो लम्हा था मेरा,
जो मेरे हाथों से सरक गया, 
चाह कर भी मैं उसे खुद ना रोक पाया,
और धीरे धीरे मेरे हाथों से फिसलता ही गया।

था मैं बहुत खुश की बहुत अरसे बाद,
मेरी बचपन की लाडली मुझे रूबरू होने वाली थी, 
मनो मन सोचता था कल मेरी जिंदगी,
का सुनहरा दिन उगने वाला है।

लंबे अरसे बाद दिखाई दी उसकी एक झलक,
नज़दीक आई वो और सामने से गुफ़्तगू भी की,
उसकी आवाज सुनते ही लगा जैसे बचपन की परी फिर से बोली, 
क्या वह नायाब लम्हा था, आज तक ऐसा लम्हा मैंने कभी नहीं जिया। 

मैंने खूब जीना चाहा और जिया भी उस लम्हे को, 
लेकिन फिर भी वह लम्हा हाथो से सरक ही गया, 
पता नहीं जिंदगी की तेज़ रफ़्तार कब गुजरेगी, 
और जिया था जो लम्हा वह फिर से दुबारा कब जीने को मिलेगा। 

-Nitesh Prajapati 
 रचना क्रमांक :-1

#होलीकेहमजोली
#collabwithकोराकाग़ज़
#होली2022
#कोराकाग़ज़कीहोली
#कोराकाग़ज़
#kknitesh907

Nitesh Prajapati

"श्रृंगार रस" 

सजती संवरती हूंँ मे तेरे लिए ओ पिया,
तेरे नाम का ही सिंदूर पूरती हूंँ ओ पिया।

बालों में फूलों की माला तेरे ही लिए सजाती हूंँ,
ताकि उसकी खुशबु से तु खींचे आए मेरे करीब ओ पिया।

तेरे ही लिए तो सजा के रखती हूं घर का आँगन,
एक बार आजा पिया मेरे आँगन को पवित्र करने।

इस बारिश के मौसम में मोहे भीगना है तेरे संग,
सुनकर मेरे अंतरात्मा की पुकार पूरी कर जा मेरी तमन्ना। 

तेरे मिलन की आस में पल-पल तड़पू में, 
लेकिन फिर भी बावरी होकर फिर से नयी आश बांधू मे। 
 रचना क्रमांक :-1

#kkकाव्यमिलन
#कोराकाग़ज़काव्यमिलन
#काव्यमिलन_1
#विशेषप्रतियोगिता
#collabwithकोराकाग़ज़
#कोराकाग़ज़

Nitesh Prajapati

"माँ" 
टूटता तारा देखा था बचपन में माँ की आँखों से,
था वह चमकता एकदम से टिमटिमाता,
चंद लम्हों के लिए ताकता था में उसे, 
और पल भर में ग़ायब हो जाता था वो।

अपने पेट में नव महीने कितनी तकलीफ के साथ, 
एक माँ अपने बच्चे का ख्याल रखती है,
जन्म के बाद अपने दूध से पालती है उसे,
अपने मुह से खाने का निवाला छीन कर बच्चों को पहले खिलाती है,
पूरी पूरी रात जागकर लोरी गाकर बच्चों को सुलाती है।

हम चाहे कितने भी बड़े हो जाए,
एक माँ के लिए तो सिर्फ हम बच्चे ही रहते है,
स्कूल की परीक्षा हो,या नौकरी का पहला दिन,
हमेशा शक्कर खिलाकर भेजती है माँ,
पापा की डांट का डर दिखाकर, 
फिर खुद ही बचाती है पापा की डांट से,
जब बाहर निकलते थे तब हमेशा टोकटी वो माँ,
रात को जब देरी से आते हैं तब डांटती वो माँ,
ममता की मूर्त, ईश्वर की निशानी,
भोली भाली सारे जग से निराली मेरी माँ।

बचपन में माँ गोदी में बिठा कर दिखाती थी टूटता तारा,
और कहती थी इसे देखकर आँखे बंद करके, 
कोई भी मन्नत मागो तो इसे ईश्वर जरूर पूरा करता है, 
तभी हम छोटे थे, दुनियादारी का भान न था,
अगर होता तो आँख बंद करके माँ की लंबी उम्र ही मांग लेते हम। 

-Nitesh Prajapati 

  रचना क्रमांक :-1
#collabwithकोराकाग़ज़
#गणतंत्रदिवस2022
#गणतंत्रभारत
#विशेषप्रतियोगिता
#कोराकाग़ज़
#kknitesh86

Nitesh Prajapati

"नीतेश"

नितेश मानी के नीति का उपासक,
सच का नुमाइंदा और कानून का हिमायती।

चलता है जो हमेंशा नीति की पगडंडी पर, 
चाहे फिर हो जाए कुछ भी खुद का।

करता है वह दूसरों की इच्छा पहले पूरी,
अपने बारे में तो वह बाद में सोचता है।

जो श्री कृष्णा की तरह बांटता है प्यार,
और घिरा रहता है हर वक़्त अपने चाहको से। 

ना होता है कोई छल कपट ना ही कोई क्रोध भाव, 
होता है इस नाम वालों का दिल बिल्कुल ही साफ़। 

रहता है वह अकेला अपने बलबूते पर, 
लेकिन देता है साथ हमेंशा जहांँ उसकी जरूरत होती है। 
 रचना क्रमांक :-1

#प्रतिरूप
#kkप्रतिरूप
#कोराकाग़ज़प्रतिरूप
#प्रतिरूपकविता
#विशेषप्रतियोगिता
#collabwithकोराकाग़ज़

Nitesh Prajapati

"रिमझिम बारिश"

टूटता है जब धरा के, 
सब्र का बांध,
गिरती है रिमझिम बारिश की बूंँदे,
धरा की प्यास बुझाने के लिए।

धरतीपुत्र की जान में जान आती है,
और नये बीज में अंकुर फूटते हैं,
पत्तों से ओस की बूंँदे गिरती है और,
 एक आशिक को अपनी प्रेयसी याद आती है। 

गली मोहल्लों में पानी का प्रवाह बहता है,
बच्चों को कागज़ की नाव याद आती है,
और एक दूर बैठे प्रीतम को,
अपनी प्रियतमा याद आती है।

रिमझिम बारिश है, 
एक ऐसा अनछुआ अहसास,
के कोई भीगता है मीठी यादों से,
तो कोई भीगता है अपने आँसूओ से।

-Nitesh Prajapati  रचना क्रमांक :-1

#रिमझिम
#kkरिमझिम
#कोराकाग़ज़रिमझिम
#रिमझिमकविता
#विशेषप्रतियोगिता
#collabwithकोराकाग़ज़

Nitesh Prajapati

"लेखन का महत्व"

पानी की धारा जैसे लेखक के,
मन से निकलते हैं अनमोल अल्फ़ाज़,
रंगबिरंगी शाही और विचारों के समन्वय से, 
एक लेखक लेखन मुकम्मल करता है कोरे काग़ज़ पर।

महक उठता है हर एक कोरा काग़ज़,
जिस पर लेखक के अल्फाजों की मुहर लगती है,
और अगर पढ़ ले कोई वाचक उसे,
तो उसे पल दो पल का सुकून मिलता है।

लेखन से मन की वेदना का अंत होता है,
और मन के विचारों को काग़ज़ का सहारा मिलता है,
लेखन से माँ सरस्वती देवी की साधना होती है,
और साधना से जिंदगी के लक्ष्य प्राप्त होते हैं।

लिख लिख कर आँखे भी दर्द करें हमारी,
उंगलियाँ भी हमारी सूज के फ़रियाद करें,
लेकिन मैं भी क्या करूंँ एक लेखक जो हूंँ, 
तो कोरा काग़ज़ भी मेरे शब्दों के लिए तरसे। 

-Nitesh Prajapati 
 रचना क्रमांक :-1

#happybirthdayyq
#hbdyq
#hbdyq1
#लेखनकामहत्व
#विशेषप्रतियोगिता
#collabwithकोराकाग़ज़
loader
Home
Explore
Events
Notification
Profile